संसदीय समिति की सिफारिश, सहकारिता मंत्रालय संघीय ढांचे का रखे ख्याल
संसदीय समिति की रिपोर्ट के मुताबिक सहकारिता मंत्रालय को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी गतिविधियां, योजनाएं और कार्यक्रम तय करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि देश का संघीय ढांचा इससे प्रभावित ना हो और सहकारिता क्षेत्र के सभी अंशधारकों को इसका लाभ मिले
कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर संसद की स्थायी समिति ने सहकारिता (कोऑपरेटिव) के लिए अलग मंत्रालय बनाने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही उसने चेतावनी भी दी है कि राष्ट्रीय स्तर पर कोऑपरेटिव की नीतियां बनाते समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि देश के संघीय ढांचे पर किसी तरह की आंच ना आए। समिति ने सहकारिता मंत्रालय के लिए अनुदान मांगों से संबंधित एक रिपोर्ट गुरुवार को संसद में रखी। गौरतलब है कि सहकारिता मंत्रालय का प्रभार इस समय गृह मंत्री अमित शाह के जिम में है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सहकारिता क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए अलग सहकारिता मंत्रालय का गठन करना सरकार का अच्छा निर्णय है। इससे सहकारिता से संपन्नता के विजन को साकार किया जा सकेगा। रिपोर्ट के अनुसार सहकारी समिति विषय संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची दो (राज्य सूची) में आइटम नंबर 32 में शामिल है। राज्य कोऑपरेटिव सोसाइटीज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड सहकारी समितियां संबंधित रजिस्ट्रार द्वारा संचालित होती हैं।
सहकारी समितियों को बढ़ावा देने के मकसद से अनेक सहकारी संस्थान राज्य सहकारिता नियम के तहत भी स्थापित किए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए समिति का मानना है कि सहकारिता मंत्रालय को राष्ट्रीय स्तर पर अपनी गतिविधियां, योजनाएं और कार्यक्रम तय करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखना चाहिए कि देश का संघीय ढांचा इससे प्रभावित ना हो और सहकारिता क्षेत्र के सभी अंशधारकों को इसका लाभ मिले।
समिति ने मंत्रालय से स्थापना से जुड़े सभी कार्यो को समयबद्ध तरीके से पूरा करने की सलाह दी है। इसने यह सिफारिश भी की है कि मंत्रालय को मंजूर पदों पर भर्तियां जल्द करनी चाहिए। मंत्रालय को 2022-23 के बजट में 900 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। हालांकि मंत्रालय ने मांग 3250 करोड़ रुपए की की थी।
समिति ने मंत्रालय की नई नीतिगत पहल का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई है कि नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति सभी संबंधित पक्षों के साथ सलाह मशविरे और तमाम मुद्दों के विश्लेषण के बाद बनाई जाएगी। रिपोर्ट में मंत्रालय के हवाले से कहा गया है कि सहकारिता क्षेत्र सक्षम गवर्नेंस, नेतृत्व और प्रोफेशनल मैनेजमेंट के अभाव के साथ तकनीक अपनाने में भी पीछे है।