एनएफसीएसएफ ने इथेनॉल पर सरकार के फैसले का स्वागत किया, लंबित मांगों को भी पूरा करने का किया अनुरोध
केंद्र सरकार ने गन्ने के रस, चीनी की चाशनी और बी-हैवी मोलेसेस से इथेनॉल उत्पादन पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया है, जिससे 2024-25 सत्र में पूरी क्षमता से उत्पादन की अनुमति मिल गई है। इस फैसले का मकसद इथेनॉल उत्पादन बढ़ाना, चीनी मिलों को आर्थिक मदद देना और 2025-26 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिलाने के लक्ष्य को हासिल करना है। एनएफसीएसएफ ने इस फैसले का स्वागत किया है, लेकिन इथेनॉल की खरीद दरों और चीनी के न्यूनतम मूल्य पर जल्द घोषणा करने की मांग की है
केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए गन्ने के रस, चीनी की चाशनी और बी-हैवी मोलेसेस से इथेनॉल उत्पादन पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया है। यह प्रतिबंध 6 दिसंबर, 2023 को लगाया गया था, जिसमें 15 दिसंबर, 2023 को आंशिक रूप से राहत दी गई थी, लेकिन अब 29 अगस्त, 2024 को पूरी तरह से हटा लिया गया है। इस फैसले से अब देश की डिस्टलीरिज 2024-25 सीजन में इन सामग्रियों से अपनी पूरी क्षमता तक इथेनॉल का उत्पादन कर सकेंगी।
जुलाई 2024 के अंत तक देश की इथेनॉल उत्पादन क्षमता 1,590 करोड़ लीटर थी, लेकिन 2023-24 के वित्तीय वर्ष में तेल कंपनियों ने सिर्फ 505 करोड़ लीटर इथेनॉल खरीदा। पेट्रोल में इथेनॉल का मिश्रण 13.3 प्रतिशत तक पहुंच चुका है, और सरकार का लक्ष्य इसे 2025-26 के अंत तक 20 प्रतिशत तक बढ़ाने का है। सरकार के इस फैसले से इथेनॉल उत्पादन में बढ़ोतरी और चीनी के इथेनॉल में डायवर्जन से चीनी मिलों की आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद है।
नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। एनएफसीएसएफ के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंत्रियों अमित शाह, हरदीप सिंह पुरी, और प्रह्लाद जोशी का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि एनएफसीएसएफ ने इस मुद्दे को सरकार के सामने सक्रिय रूप से उठाया है। 10 अगस्त 2024 को नई दिल्ली में हुए एक सम्मेलन में एनएफसीएसएफ ने अपना पक्ष रखा था।
एनएफसीएसएफ के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाईकनवरे ने कहा कि गन्ने के रस, चीनी के सिरप और बी-हैवी मोलेसेस से बने इथेनॉल की खरीद दरों की घोषणा पिछले दस महीने से नहीं की गई है। उन्होंने जोर दिया कि इन दरों की जल्द घोषणा जरूरी है ताकि चीनी मिलें अपनी उत्पादन योजनाओं को अंतिम रूप दे सकें। साथ चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य भी अभी तय नहीं हुआ है, और एनएफसीएसएफ इस मुद्दे को हल करने के प्रयास में जुटा हुआ है।
नाईकनवरे ने कहा कि 24 अप्रैल, 2024 को सरकार द्वारा जारी एक अध्यादेश के माध्यम से 7.5 लाख टन बी-हैवी मोलेसेस का उपयोग इथेनॉल उत्पादन के लिए करने की अनुमति दी गई है। इस इथेनॉल को 1 अगस्त से 31 अक्टूबर 2024 तक तेल कंपनियों द्वारा खरीदा जाएगा, जिससे चीनी मिलों को 2,300 करोड़ रुपये तक की आय हो सकती है। उन्होंने कहा कि एनएफसीएसएफ ने 93 चीनी मिलों को अपनी मशीनरी को उन्नत करने और मक्का से इथेनॉल उत्पादन के लिए सुझाव दिया है। सरकार ने मक्का से बने इथेनॉल की खरीद दर 71.86 रुपये प्रति लीटर तय की है। इसके अलावा, एनएफसीएसएफ इन मिलों के लिए ब्याज छूट योजना को भी लागू करने के प्रयास कर रहा है।