एनसीडीसी रूरल क्रेडिट पर ध्यान केंद्रित कर रहा है: संदीप कुमार नायक
नेशनल प्नॉडक्टिविटी काउंसिल (एनपीसी) के डायरेक्टर जनरल और एनसीडीसी प्रबंध निदेशक संदीप कुमार नायक का कहना है कि हमें कृषि और ग्रामीण समृद्धि को विकसित करने के लिए कृषि को उसके संबद्ध क्षेत्रों के साथ समग्रता में देखने की जरूरत है। इसलिए हमें केवल "एग्रीकल्चर क्रेडिट" तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि ग्रामीणों की आवश्यकता के अनुसार "रूरल क्रेडिट" पर ध्यान देना चाहिए
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नेशनल प्नॉडक्टिविटी काउंसिल (एनपीसी) के डायरेक्टर जनरल और एनसीडीसी प्रबंध निदेशक संदीप कुमार नायक का कहना है कि हमें कृषि और ग्रामीण समृद्धि को विकसित करने के लिए कृषि को उसके संबद्ध क्षेत्रों के साथ समग्रता में देखने की जरूरत है। इसलिए हमें केवल "एग्रीकल्चर क्रेडिट" तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि ग्रामीणों की आवश्यकता के अनुसार "रूरल क्रेडिट" पर ध्यान देना चाहिए। कृषि और सहकारिता क्षेत्र में लंबे अनुभव वाले नायक 1988 बैच के जम्मू और कश्मीर कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। दिल्ली में आयोजित रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव और NEDAC अवार्ड्स 2021 में सहकारी समितियों और किसानों के समूह के माध्यम से कृषि और ग्रामीण समृद्धि सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि एनसीडीसी ग्रामीण ऋण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और पिछले कुछ वर्षों में सहकारी समितियों के ऋण फ्लो में तेजी आई है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में ऋण का आकार 24,000 करोड़ रुपये था जबकि चालू वित्त वर्ष में यह अभी तक 35,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि यह वाणिज्यिक बैंक जितना उधार देते हैं, यह ऋण उसका एक छोटा सा अंश है। इस समस्या के समाधान के लिए एनसीडीसी और नाबार्ड दोनों की बड़ी भूमिका है।
एनईडीएसी प्रबंध निदेशक ने कहा, एनसीडीसी रूरल वॉयस का सपोर्ट कर रहा है, क्योंकि ये प्लेटफार्म प्रमुखता से ग्रामीण और किसानों के साथ जुड़ने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि रूरल वॉयस प्लेटफार्म एक तटस्थ में भूमिका निभा रहा है नायक ने बाताया कि एनसीडीसी पिछले कुछ महीनों से रूरल वॉयस पर आने वाला कृषि कार्यक्रम रूरल वॉयस एग्रीटेक शो को सपोर्ट कर रहा है। इस कार्यक्रम में किसानों और कृषि में विकास के लिए नई तकनीकों की जानकारी को प्रस्तुत किया जा रहा है । आज के समय में ग्रामीण भारत के लिए एक आदर्श प्लेटफार्म है और यह संचार का एक प्रमुख साधन बन गया है।
एनसीडीसी प्रबंध निदेशक ने कहा कि कृषि में समृद्धि लाने में टेक्ऩोलॉजी और प्रॉडक्टिविटी की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। हम केवल आईसीएआर और सरकारी संस्थानों पर निर्भर नहीं रह सकते आज के समय में हमारे पास बहुत से टेक्ऩोलॉजी बेस्ड स्टार्ट-अप्स हैं, जिनके पास नई टेक्नालॉजी उपलब्ध है। अब हमें इन स्टार्ट-अप्स को सहकारी समितियों के साथ जोड़ने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि सहकारी समितिायां और कृषक उत्पादन संगठनों में कोई मालिक या कार्यकर्ता नहीं होता है इसके सभी सदस्य पार्टनर होते हैं और सभी सदस्यों की सामूहिक जिम्मेदारी होती है। यह नियम सभी समूहों पर लागू होती है। चाहे वह स्व-सहायता समूह (एसएचजी) हो या कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) हों। उनका कहना है कि सहकारिता भारतीय़ कृषि और ग्रामीण समृद्धि को आगे बढ़ाने में एक भागीदार बनकर प्रमुख निभा सकती है।