सहकारी समितियों के सुरक्षित संचालन के लिए एनसीडीसी ने साइबर सुरक्षा ढांचा विकसित किया
साइबर दुनिया में छिपे हुए अपराधियों से अपने संचालन को सुरक्षित रखने के लिए सहकारी समितियां अब राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) द्वारा निर्धारित एक व्यापक साइबर-सुरक्षा ढांचे की सहायता प्राप्त कर सकती हैं। यह कदम देश भर में सभी प्राथमिक कृषि ऋण समितियों(पीएसीएस) को कम्प्यूटरीकृत करने और उन्हें जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों, राज्य शीर्ष सहकारी बैंकों और नाबार्ड के साथ जोड़ने के उद्देश्य से एक कार्य योजना तैयार करने के केंद्र के फैसले के बाद लिया गया है
नई दिल्ली
साइबर दुनिया में छिपे हुए अपराधियों से अपने संचालन को सुरक्षित रखने के लिए सहकारी समितियां अब राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) द्वारा निर्धारित एक व्यापक साइबर-सुरक्षा ढांचे की सहायता प्राप्त कर सकती हैं। यह कदम देश भर में सभी प्राथमिक कृषि ऋण समितियों(पीएसीएस) को कम्प्यूटरीकृत करने और उन्हें जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों, राज्य शीर्ष सहकारी बैंकों और नाबार्ड के साथ जोड़ने के उद्देश्य से एककार्य योजना तैयार करने के केंद्र के फैसले के बाद लिया गया है।
इस ढांचे से सहकारी समितियों के नेटवर्क सुरक्षित करने के रूप में सुरक्षा संपत्तियों, पहचान, संरक्षण, पता लगाना, प्रतिक्रिया देना और रिकवरी करने के संबंध में क्या करें और क्या न करें उसके विषय में एक दिशानिर्देश प्रदान करता है ।
कोराना महामारी के बाद लोगों में डिजिटल तरीके से लेन देन व्यापक हो गया है, प्रत्येक सहकारिता के लिए पर्याप्त साइबर रक्षा तंत्र होना जरूरी हो जाता है ताकि वह हैकर्स का शिकार न हों। अपनी ओर से, हमने रूपरेखा तैयार की है, जिसके मसौदे पर सहकारी क्षेत्र के हितधारकों के बीच हाल ही में हुई एक बैठक में चर्चा की गई थी और कुछ सुझावों के साथ इसे पूर्ण रूप से अपनाया गया था।
एनसीडीसी के सहकारी संस्थानों साइबर सुरक्षा सलाहकार फोरम (सीसैफ़) के तहत हाइब्रिड माध्यम में आयोजित बैठक में एनसीडीसी के प्रबंध निदेशक संदीप नायक ने कहा कि साइबर सुरक्षा जोखिम के प्रबंधन पर एक संगठन को मार्गदर्शन प्रदान करने के उद्देश्य से 42-पृष्ठ की रूपरेखा अब सभी डीसीसीबी और एससीबी के लिए उपलब्ध है।
पूर्व राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक, नीति के प्रमुख, और केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के शीर्ष वित्तीय संगठन एनसीडीसी के वरिष्ठ सलाहकार हैं डॉ गुलशन राय ने कहा कि उपयोगकर्ता सहभागिता के लिए साइबर-सुरक्षा और आईटी दिशानिर्देश में स्थित चार स्तरों का उद्देश्य उन प्रणालियों और संरचनाओं को प्रदान करना है जिन्हें एक संगठन में स्थापित करने की जरूरत होती है। सिस्टम/आईटी संपत्तियों को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए कदम उठाए जाने का प्रावधान करता है। यह उन उपायों के लिए भी प्रदान करता है जो साइबर खतरों को रोकने, पता लगाने और पुन: प्राप्त करने के लिए आईटी संपत्तियों की बढ़ोत्तरी की ओर ले जाते हैं। साथ ही, आईसीटी प्रणाली की आधारभूत जोखिम-आधारित निगरानी की भी परिकल्पना की गई है,
डॉ राय ने कहा कि उन्होंने सभी क्षेत्रों में साइबर हमलों के बढ़ते मामलों की पृष्ठभूमि में इस तरह के ढांचे की जरूरत को रेखांकित किया, जिसमें 3 ही वर्षों में से कम 15 ऐसे मामले सामने आए हैं। जो कई लोगों द्वारा रिपोर्ट नहीं किए गये हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह फ्रेमवर्क वित्तीय, सुरक्षा और परिचालन जोखिम के समान साइबर सुरक्षा जोखिम के प्रबंधन पर एक संगठन को मार्गदर्शन प्रदान करता है।
बैठक में संदीप नायक ने कहा कि इस बैठक में साइबर सुरक्षा के प्रमुखों एवं सहकारिताओं के व्यापक स्पेक्ट्रम के प्रतिनिधियों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया । इसमें केरल, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के सहकारी बैंकों के अलावा नैफेड, कृभको और एनसीडीसी के अधिकारी शामिल हुए हैं। वर्तमान में, लगभग 65,000 पैक्स हैं, जिन्हें केंद्र ने देश को आत्मानिर्भर बनाने के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए अगले पांच वर्षों में 3 लाख सेअधिक की योजना बनाई है।
पूर्व केंद्रीय उर्वरक सचिव एवं एनसीडीसी के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. छबीलेंद्र राउल ने एनसीडीसी के कदम को फ्रेमवर्क लाने में एक अच्छी शुरुआत बताया क्योंकि साइबर क्राइम करने वाले हमेशा आईटी डेवलपर्स से आगे होते हैं,
पूर्व केंद्रीय मत्स्य सचिव और वर्तमान में वरिष्ठ एनसीडीसी के सलाहकार डॉ. राजीव रंजन ने लघु सहकारिताओं एवं व्यवसाय के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा सुनिश्चित करने पर जोर दिया, जो महत्वपूर्ण आईटी या सूचना सुरक्षा बजट के बिना वेब सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष कर सकते हैं। राजीव रंजन जीएसटी परिषद के विशेष सचिव थे,जिसने देश की अर्थव्यवस्था को वैट प्रणाली से जीएसटी में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।