बेंगलुरु में स्थापित किया जा रहा है इफको का नया नैनो यूरिया प्लांट, सालाना 5 करोड़ बोतलों का होगा उत्पादन
नैनो यूरिया खेती के लिए एक क्रांतिकारी पहल है। इसके लिए भंडारण की जगह तो कम चाहिए ही यह सस्ता भी पड़ता है और इससे उत्पादकता भी बेहतर होती है। इसलिए 1970 के दशक में अधिक उपज वाली बीज टेक्नोलॉजी के आविष्कार के बाद नैनो यूरिया को खेती में सबसे बड़ी खोज माना जाता है
दुनिया के सबसे बड़े उर्वरक कोऑपरेटिव इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव (इफको) लिमिटेड बेंगलुरु में नैनो यूरिया का नया प्लांट लगाने जा रहा है। यहां से दक्षिण भारतीय बाजारों में नैनो यूरिया की आपूर्ति की जाएगी। शनिवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया की मौजूदगी में इस प्लांट की आधारशिला रखी। इस मौके पर इफको के चेयरमैन दिलीप संघाणी और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. यू एस अवस्थी भी मौजूद थे।
नैनो यूरिया खेती के लिए एक क्रांतिकारी पहल है। इसके लिए भंडारण की जगह तो कम चाहिए ही यह सस्ता भी पड़ता है और इससे उत्पादकता भी बेहतर होती है। इसलिए 1970 के दशक में अधिक उपज वाली बीज टेक्नोलॉजी के आविष्कार के बाद नैनो यूरिया को खेती में सबसे बड़ी खोज माना जाता है। इसे हरित क्रांति 2.0 का भी नाम दिया गया है।
नैनो यूरिया के इस्तेमाल से सरकार पर सब्सिडी का बोझ भी कम होगा। इससे यूरिया आयात पर निर्भरता भी कम होगी। ड्रोन के इस्तेमाल से नैनो यूरिया का छिड़काव किया जा सकता है। इस तरह उर्वरक के छिड़काव में भी कम समय लगता है। यह किसानों और मिट्टी दोनों के लिए लाभदायक है। नैनो यूरिया के बाद नैनो डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) अभी ट्रायल की प्रक्रिया में है। इसके बाद भारत और उर्वरकों के मामले में काफी हद तक आत्मनिर्भर हो जाएगा।
इस मौके पर मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने दानेदार यूरिया की तुलना कीमोथेरेपी से करते हुए कहा कि इससे जल और मिट्टी दोनों प्रदूषित होती है। नैनो यूरिया को किसान हितैषी बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके ट्रांसपोर्टेशन और भंडारण में किसानों को कम खर्च करना पड़ता है और उत्पादकता भी बढ़ती है।
इफको के मैनेजिंग डायरेक्एटर डॉ. अवस्थी ने बताया कि यह प्लांट 15 महीने में बनकर तैयार हो जाने की उम्मीद है। यहां हर साल नैनो यूरिया की करीब 5 करोड़ बोतलें तैयार की जाएंगी जिनकी आपूर्ति कर्नाटक और दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में होगी। उन्होंने बताया कि 5 करोड़ बोतल यूरिया सामान्य यूरिया के 5 करोड़ बैग (22.5 लाख टन) के बराबर है। इस पर लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग का खर्च कम होने के साथ यह सुरक्षित, स्वच्छ, पर्यावरण हितैषी भी है। इससे किसानों का मुनाफा बढ़ेगा।
इफको चेयरमैन दिलीप संघाणी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और सहकार से समृद्धि विजन को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। उन्होंने बताया कि इफको नैनो यूरिया कोऑपरेटिव की अपनी टेक्नोलॉजी के माध्यम से ही बनाया गया है। यह किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह कोऑपरेटिव सेक्टर के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी खोज किसानों की कॉपरेटिव ने की है। इससे होने वाला मुनाफा सीधे किसानों को मिलेगा।