एनसीडीसी को डॉएच्च बैंक से 68.87 मिलियन यूरो का ऋण मिला
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने देश में सहकारी समितियों को ऋण प्रदान करने के लिए जर्मनी के सबसे बड़े बैंक डॉएच्च बैंक से 68.87 मिलियन यूरो (600 करोड़ रुपये) का ऋण लिया है। मंगलवार नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री, नरेन्द्र सिंह तोमर की उपस्थिति में एनसीडीसी और जर्मन बैंक के बीच एक समझौता किया गया
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने देश में सहकारी समितियों को ऋण प्रदान करने के लिए जर्मनी के सबसे बड़े बैंक डॉएच्च बैंक से यूरो 68.87 मिलियन (600 करोड़ रुपये) का ऋण लिया है। मंगलवार नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री, नरेन्द्र सिंह तोमर की उपस्थिति में एनसीडीसी और जर्मन बैंक के बीच एक समझौता किया गया । इसके साथ ही केंद्रीय कृषि मंत्री की उपस्थिति में बाजारों के साथ किसानों के संबंध को बढ़ावा देने के लिए इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स और एनसीडीसी के बीच हुए एक समझौते पर हस्ताक्षर के हुए। इस कार्यक्रम की भी उन्होंने अध्यक्षता की।
इस असवर पर कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भारत के कृषि परिदृश्य और जर्मनी के साथ अपने आर्थिक संबंधों को एक नई दृष्टि दी है । उन्होंने कहा कि देश में स्थापित किए जा रहे किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), आईसीसी और डॉएच्च बैंक के साथ एनसीडीसी समझौतों के माध्यम से आसान ऋण और बाजार तक पहुंच बना सकेंगे ।
यह पहली बार है कि दुनिया के सबसे बड़े यूरोपीय बैंकों में से यह बैंक एनसीडीसी को ऋण प्रदान कर रहा है जो भारतीय विकास वित्त संस्थान में वैश्विक वित्तीय संस्थान के आत्मविश्वास को दर्शाता है। विशेष रूप से ऐसे समय में जब कोविड -19 संकट द्वारा उत्पन्न वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल ने ऋण को एक चुनौतीपूर्ण कथ्य बना दिया है ।
डॉएच्च बैंक एजी के सीईओ और भारत में प्रमुख, कौशिक शपारिया ने एक बयान में कहा कि वह एनसीडीसी के साथ कृषि क्षेत्र में मजबूत संबंधों की उम्मीद कर रहे हैं ।
इस दौरान एनसीडीसी के प्रबंध निदेशक संदीप नायक ने कहा कि किसानों को टिकाऊ, जलवायु-अनुकूल कृषि की दिशा में एक सफल केंद्र बिंदु बनाने में वित्त एनसीडीसी की मदद करेगा । प्रबंध निदेशक ने कहा कि “सहकारी संस्थाओं के लिए 1963 से एक संगठन के रूप में हमारी स्थापना के बाद से हम हमेशा किसानों को टिकाऊपन आजीविका हासिल करने में सहयोग देने के लिए प्रयासरत रहे हैं ।”
सहकारिताएं जर्मनी के लिए कोई नया विषय नहीं है तथापि, आज जर्मनी के 7,500 सहकारी उद्यमों में 20 दो करोड़ से भी अधिक सदस्य हैं । इसकी तुलना में भारत की सहकारिताओं की संख्या विश्व में शीर्ष रैंकिंग पर है । लगभग 94% भारतीय किसान कम से कम एक सहकारिता के सदस्य हैं । भारत सरकार की आधुनिक कृषि पहलें सहकारिताओं को जमीनी स्तर से परिवर्तित कर रही हैं ।
भारत में डॉएच्च बैंक द्वारा की गई पहल, पिछले वर्षों में भारत में जर्मन कंपनियों द्वारा दिखाये गई व्यवसाय अभिरुचियों में से एक है । इस समय भारत में 1700 से अधिक जर्मन कंपनियां सक्रिय हैं जो लगभग चार लाख प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष नौकरियां प्रदान करती हैं । यूरोप और भारत के मुख्य दस वैश्विक व्यापारिक भागीदारों में, जर्मनी भारत का सबसे शीर्ष व्यापारिक भागीदार है ।
एनसीडीसी कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत एक विकासात्मक एवं वित्त पोषण संस्थान है । वर्ष 2014 से अब तक विभिन्न प्रकार की सहकारिताओं को 16 बिलियन यूरो ऋण प्रदान कर चुका है । शून्य शुद्ध एनपीए के साथ एनसीडीसी सभी राज्यों में अपने 18 क्षेत्रीय निदेशालयों के साथ इसकी अखिल भारतीय उपस्थिति है ।
इसी प्रकार, डॉएच्च बैंक निगमों, सरकारों एवं अन्य को कॉर्पोरेट व बैंक लेन-देन, ऋण, केंद्रित निवेश बैंकिंग के साथ-साथ खुदरा एवं निजी बैंकिंग प्रदान करता है । पिछले 40 वर्षों में डॉएच्च बैंक भारत के सबसे बड़े विदेशी बैंकों में से एक बन गया है, जिसकी देशभर के 16 शहरों में शाखाएं हैं । शपारिया ने कहा कि बैंक ने समाज और लोगों की बेहतरी के लिए सामान्य लक्ष्य की प्राप्ति हेतु एक जैसी विचारधारा वाले भागीदारों के साथ काम किया ।
इस कार्यक्रम में इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स कमेटी के सह-अध्यक्ष आदित्य बागड़ी ने कहा कि कृषि- व्यापार एवं खाद्य प्रसंस्करण विषय पर आईसीसी-एनसीडीसी समझौता ज्ञापन का विशेष ध्यान एफपीओ द्वारा निर्यात संवर्धन पर केंद्रित होगा ।