पंजाब में पराली पर बढ़ रहा टकराव, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- किसानों को बनाया जा रहा विलेन
पंजाब में पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ हो रही कार्रवाई के विरोध में किसानों और प्रशासन के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। सरकार द्वारा पराली प्रबंधन के ठोस उपाय नहीं निकाले जाने से भी किसानों में गुस्सा है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने पराली के मामले पर मंगलवार को हुई सुनवाई में पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि किसानों को खलनायक बनाया जा रहा है और उनकी बात कोई नहीं सुन रहा है।
पंजाब में पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ हो रही कार्रवाई के विरोध में किसानों और प्रशासन के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। सरकार द्वारा पराली प्रबंधन के ठोस उपाय नहीं निकाले जाने से भी किसानों में गुस्सा है। इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने पराली के मामले पर मंगलवार को हुई सुनवाई में पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि किसानों को खलनायक बनाया जा रहा है और उनकी बात कोई नहीं सुन रहा है।
पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ पुलिस एफआईआर दर्ज कर रही है। राज्य में अब तक 1,100 से अधिक किसानों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है और उन पर करीब 2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। इसके विरोध में किसान संगठन राज्यव्यापी प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी कड़ी में पटियाला में किसानों ने मिनी सचिवालय का घेराव किया और गेट पर ट्रॉलियां खड़ी कर दीं। जबकि बरनाला में डीसी ऑफिस के गेट के सामने किसानों ने पराली जमा कर दिया। वहीं फतेहगढ़ साहिब में भारतीय किसान यूनियन-एकता सिधुपुर के प्रदेश अध्यक्ष जगजीत सिंह दलेवाल के नेतृत्व में किसानों ने पराली से लदी अपनी ट्रॉलियां सड़कों पर खड़ी कर दी। पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद उन्होंने सड़क पर विरोध प्रदर्शन किया।
उधर, सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर मंगलवार को हुई सुनवाई में अदालत ने पंजाब सरकार को खूब फटकार लगाई। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ सुनवाई कर रही है। पीठ के जज जस्टिस हिमांशु धूलिया ने कहा कि किसानों को खलनायक बनाया जा रहा है, उनकी समस्या को कोई नहीं सुन रहा। पराली जलाने के कुछ तो कारण होंगे। हमें इस पर विचार करने की जरूरत है। जबकि जस्टिस कौल ने कहा कि पराली जलाने वालों को धान उगाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसानों को आर्थिक प्रोत्साहन देने को लेकर पंजाब को हरियाणा से सीखना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य को राजनीति छोड़कर इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए कि पंजाब में धान की खेती को किस तरह हतोत्साहित किया जा सकता है। अगर इसी तरह आरोप-प्रत्यारोप चलता रहा तो राज्य में सूखे की स्थिति पैदा हो जाएगी। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 5 दिसंबर को तय की है।
पंजाब में पराली जलाने के कुल मामले बढ़कर 35,093 तक पहुंच गए हैं। फाजिल्का में पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए हुए हैं। पुलिस और नागरिक अधिकारियों सहित 1,085 उड़न दस्ते पराली जलाने पर निगरानी रख रहे हैं। इस बीच, बठिंडा 302 की औसत एक्यूआई के साथ राज्य का सबसे प्रदूषित शहर बना हुआ है। इसके बाद जालंधर में एक्यूआई 247, लुधियाना में 220, पटियाला में 209, अमृतसर में 207, मंडी गोबिंदगढ़ में 190 और खन्ना में 150 दर्ज किया गया है।