यूरिया का गैर-कानूनी उपयोग करने वाले उद्योगों पर बड़ी कार्रवाई, 112 इकाइयों का लाइसेंस रद्द
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने 370 इकाइयों की जांच की और 268 सैंपल लिए। इनमें मिक्सचर फर्टिलाइजर बनाने वाली कंपनियां, सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) बनाने वाली कंपनियां, एनीमल फीड, डाइंग इकाइयां और सनमाइका बनाने वाली इकाइयां शामिल हैं। ये कंपनियां कृषि के लिए बेचे जाने वाले सब्सिडी वाले यूरिया का उपयोग कर रही थीं। इसके अलावा खराब गुणवत्ता का मिक्सचर फर्टिलाइजर बनाने वाली 112 इकाइयों का लाइसेंस रद्द किया गया है।
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने सब्सिडी वाले यूरिया का गैरकानूनी उपयोग करने वाली कंपनियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। मंत्रालय ने 370 इकाइयों की जांच की और 268 सैंपल लिए। इनमें मिक्सचर फर्टिलाइजर बनाने वाली कंपनियां, सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) बनाने वाली कंपनियां, एनीमल फीड, डाइंग इकाइयां और सनमाइका बनाने वाली इकाइयां शामिल हैं। ये कंपनियां कृषि के लिए बेचे जाने वाले सब्सिडी वाले यूरिया का उपयोग कर रही थीं। इसके अलावा खराब गुणवत्ता का मिक्सचर फर्टिलाइजर बनाने वाली 112 इकाइयों का लाइसेंस रद्द किया गया है।
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को संवाददाताओं के साथ एक बातचीत में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 30 इकाइयों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। वहीं आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस कार्रवाई में सरकार की सब्सिडी वाले यूरिया के 70 हजार बैग जब्त किए गए हैं। यह कार्रवाई पिछले छह महीने में देश के 15 राज्यों में की गई है। इनमें 220 मिक्सचर उर्वरक बनाने वाली इकाइयां, यूरिया का डायवर्जन करने वाली 130 इकाइयां, एसएसपी की 15 इकाइयां और पांच एक्सपोर्टर शामिल हैं।
मांडविया ने कहा कि सरकार किसानों को सब्सिडी वाला यूरिया मुहैया कराती है। किसानों के लिए यूरिया की कीमत 268 प्रति बैग है। यह कीमत प्रति बैग करीब दो हजार रुपये की सब्सिडी के चलते है। किसानों के हक की सब्सिडी का किसी को भी दुरुपयोग नहीं करने दिया जाएगा।
सब्सिडी वाले यूरिया के डायवर्जन को रोकने और उर्वरकों की गुणवत्ता से समझौता करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उर्वरक मंत्रालय ने एक दस्ता बनाया है जो छापेमारी का काम करती है। सरकार ने सब्सिडाइज्ड यूरिया के औद्योगिक उपयोग में डायवर्जन को रोकने के लिए नीम कोटेड यूरिया उत्पादन करने का फैसला किया था। इसकी पैकिंग भी अलग होती है। इसके बावजूद सनमाइका बनाने वाली इकाइयों, एनीमल फीड बनाने वाली इकाइयों और डाइंग यूनिट्स ने इसके दुरुपयोग का रास्ता निकाल लिया है। मंत्रालय की छापेमारी में अगर नीम ऑयल की मौजूदगी इन उत्पादों में मिलती है तो वह डायवर्जन किए गए यूरिया की जांच के दायरे में आ जाता है।
इंडस्ट्रियल ग्रेड के यूरिया की कीमत अधिक होती है, इसलिए कुछ इकाइयां सब्सिडाइज्ड यूरिया का गैर-कानूनी उपयोग करती हैं। इस जांच के दायरे में उपयोगकर्ता के साथ-साथ यूरिया के डीलर और होलसेलर को भी शामिल किया जाता है। जहां तक मिक्सचर उर्वरकों और एसएसपी की बात है तो जो इकाइयां फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर के तहत तय मानकों वाला उर्वरक नहीं बनाती हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। इसके साथ ही मंत्रालय ने यूरिया डायर्वजन में संलिप्त इकाइयों की गुड्स एवं सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) जांच के लिए भी संबंधित विभाग को लिखा है।