राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान 31 मार्च 2026 तक रहेगा जारी, कैबिनेट ने मंजूर किए 5,911 करोड़ रुपए
इस योजना का कुल व्यय 5,911 करोड़ रुपये है जिसमें केंद्र का हिस्सा 3,700 करोड़ रुपये और राज्य का हिस्सा 2,211 करोड़ रुपये है। योजना से 2.78 लाख ग्रामीण स्थानीय निकायों को विकास लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद मिलेगी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति पंचायती राज संस्थाओं की शासन संबंधी क्षमताओं को विकसित करने के लिए संशोधित केंद्र प्रायोजित योजना-राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (आरजीएसए) को 01 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2026 की अवधि (15वें वित्त आयोग की अवधि) के दौरान कार्यान्वयन जारी रखने की मंजूरी दे दी है। इस योजना का कुल व्यय 5,911 करोड़ रुपये है, जिसमें केंद्र का हिस्सा 3,700 करोड़ रुपये और राज्य का हिस्सा 2,211 करोड़ रुपये है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 21 अप्रैल 2018 को आरजीएसए को वित्तीय वर्ष 2018-19 से 2021-22 तक कार्यान्वयन के लिए मंजूरी दी गई थी। इसके लिए 2364.13 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई।
सरकार की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि आरजीएसए की स्वीकृत योजना देश भर में पारंपरिक निकायों सहित 2.78 लाख से अधिक ग्रामीण स्थानीय निकायों को उपलब्ध संसाधनों के अधिकतम उपयोग पर केंद्रित है। इसके साथ यह योजना समावेशी स्थानीय शासन के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को लेकर काम करने के लिए शासन संबंधी क्षमता विकसित करने में मदद करेगी। राष्ट्रीय महत्व के विषयों- गरीबी मुक्त और आजीविका के संसाधनों में वृद्धि वाले गांव, स्वस्थ गांव, बच्चों के अनुकूल गांव, जल की पर्याप्त मात्रा वाले गांव, स्वच्छ और हरित गांव, गांव में महिला-पुरुष समानता आधारित विकास को मुख्य रूप से प्राथमिकता दी जाएगी।
चूंकि पंचायतों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं का प्रतिनिधित्व होता है, और वे जमीनी स्तर के सबसे करीब संस्थान हैं, इसलिए पंचायतों को मजबूत करने से सामाजिक न्याय और समुदाय के आर्थिक विकास के साथ-साथ समानता और समावेश को बढ़ावा मिलेगा। पंचायती राज संस्थाओं द्वारा ई-गवर्नेंस के अधिक उपयोग से बेहतर सेवा वितरण और पारदर्शिता हासिल करने में मदद मिलेगी। बयान के मुताबिक एसडीजी के लक्ष्य तक पहुंचने में पंचायतों की भूमिका को पहचानने और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा करने के लिए पंचायतों को मजबूत किया जाएगा। योजना के तहत कोई स्थायी पद सृजित नहीं किया जाएगा, लेकिन योजना के कार्यान्वयन की निगरानी और योजना के तहत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राज्यों/ केंद्र-शासित प्रदेशों को तकनीकी सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से मानव संसाधन का प्रावधान किया जा सकता है।
देश भर में पारंपरिक निकायों सहित ग्रामीण स्थानीय निकायों के लगभग 60 लाख निर्वाचित प्रतिनिधि, पदाधिकारी और अन्य हितधारक इस योजना के प्रत्यक्ष लाभार्थी होंगे। योजना के केंद्रीय घटकों को पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा। राज्य घटकों के लिए वित्तपोषण पैटर्न केंद्र और राज्यों के बीच क्रमशः 60:40 के अनुपात में होगा।
सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए योजना की गतिविधियों के कार्यान्वयन और निगरानी को व्यापक रूप से चिन्हित किया जाएगा। संशोधित आरजीएसए के तहत मंत्रालय पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों को नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए सक्षम बनाने की दिशा में अपना ध्यान केंद्रित करेगा ताकि सरकार के प्रभावी तीसरे स्तर को विकसित किया जा सके। यह योजना सतत विकास लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए अन्य मंत्रालयों/विभागों की क्षमता निर्माण से जुड़ी पहलों को भी एक साथ करेगी।
योजना की कार्यान्वयन रणनीति के अनुसार केंद्र और राज्य सरकारें अपनी-अपनी भूमिकाओं के लिए स्वीकृत गतिविधियों को पूरा करने के लिए कार्रवाई करेंगी। राज्य सरकार अपनी प्राथमिकताओं और आवश्यकता के अनुसार केंद्र सरकार से सहायता प्राप्त करने के लिए अपनी वार्षिक कार्य योजना तैयार करेगी। यह योजना देश के सभी राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में लागू की जाएगी।