विधानसभा चुनावः भाजपा और आप के लिए जश्न का मौका, लेकिन विपक्ष सिमटा

भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के हाथ से एक और बड़ा राज्य पंजाब निकल गया। सिर्फ निकला नहीं बल्कि उसे आम आदमी पार्टी के हाथों बहुत ही बुरी तरह पराजित होना पड़ा। पहली बार देश के किसी पूर्ण राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार बनेगी

विधानसभा चुनावः भाजपा और आप के लिए जश्न का मौका, लेकिन विपक्ष सिमटा

भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मिजोरम चारों राज्यों में दोबारा सरकार बनाने में कामयाब हो गई है। इस कामयाबी से उसके लिए 2024 में लोकसभा चुनाव की राह भी आसान हो गई। हालांकि विपक्षी खेमे के लिए नतीजों का दिन मायूसी भरा रहा। देश के स्तर पर भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के हाथ से एक और बड़ा राज्य पंजाब निकल गया। सिर्फ निकला नहीं बल्कि उसे आम आदमी पार्टी के हाथों बहुत ही बुरी तरह पराजित होना पड़ा। पहली बार देश के किसी पूर्ण राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार बनेगी। इस चुनाव ने एक बार फिर यह साबित किया कि भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़ा जिताऊ चेहरा हैं। चुनाव से पहले मोदी ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के लगातार दौरे किए थे। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में जीत के बाद अगले राष्ट्रपति चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी को कोई खास मुश्किल नहीं आएगी। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई 2022 को खत्म हो रहा है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए इसे जीत का चौका बताते हुए कहा कि चुनाव के नतीजे पार्टी के गवर्नेंस मॉडल पर मुहर की तरह हैं। पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश ने कई प्रधानमंत्री दिए, लेकिन इसने पहली बार किसी मुख्यमंत्री को दोबारा चुना है।

शिवसेना के नेता संजय राउत ने चार राज्यों में भाजपा की जीत पर कहा कि पार्टी बेहतर चुनाव मैनेजमेंट के कारण जीती है और उसे सफलता को हजम करना सीखना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब में कांग्रेस पार्टी का चुनाव मैनेजमेंट ठीक नहीं था। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की साझा सरकार है।

उत्तर प्रदेशः धरे रह गए महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे

चुनाव आयोग की तरफ से शाम 8 बजे तक दी गई जानकारी के अनुसार भारतीय जनता पार्टी 253 सीटों पर आगे थी या जीत चुकी थी। उसके सहयोगी दल अपना दल (सोनेलाल) 11 और निषाद पार्टी 7 सीटों पर आगे थी या जीत चुकी थी। समाजवादी पार्टी 113, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी छह और राष्ट्रीय लोक दल 8 सीटों पर आगे थी या जीत चुकी थी। अन्य दलों में बहुजन समाज पार्टी को एक, कांग्रेस को दो, जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को दो सीटें मिलीं। प्रदेश में कुल 403 सीटें हैं।

विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा को धार्मिक ध्रुवीकरण के अलावा सरकारी योजनाओं का भी लाभ मिला, खासकर मुफ्त राशन वितरण काय़ पिछले साल पश्चिम बंगाल में भी मुफ्त राशन और महिलाओं को प्रतिमाह नकद राशि देने का फायदा सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को मिला था। इस चुनाव के बाद निश्चित रूप से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कद और बड़ा होगा। उन्हें संसदीय बोर्ड में भी जगह मिल सकती है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तर प्रदेश में पार्टी की जीत पर कहा कि यह गांव, गरीब और किसान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कल्याणकारी योजनाओं पर लोगों का भरोसा है। लोगों ने योगी आदित्यनाथ के बेहतर प्रशासन पर भी ठप्पा लगाया है। प्रदेश में 36 साल के बाद पहली बार सत्तारूढ़ भाजपा दोबारा सरकार बनाएगी।

करीब तीन दशक तक प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहने के बाद पहली बार बहुजन समाज पार्टी हाशिए पर गई है। 2017 में उसे 19 सीटें मिली थी और उसका वोट प्रतिशत 21 रहा था, लेकिन इस बार वह घटकर 12.7 फ़ीसदी रह गया है। माना जा रहा है कि बहुजन समाज पार्टी के अनेक मतदाताओं ने भाजपा का साथ दिया। असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के बारे में माना जा रहा था कि वह समाजवादी पार्टी का वोट काटेगी, हालांकि वह कोई बड़ा फेरबदल करने में नाकाम रही। उसे कुल मिलाकर 0.43 फ़ीसदी वोट ही मिले। किसी भी सीट पर उसे 5000 से अधिक वोट नहीं मिले।

महंगाई और बेरोजगारी आवारा पशु जैसे विपक्ष के मुद्दे प्रचार में ही सुनाई दिए, नतीजों पर उनका कोई बड़ा असर होता नहीं दिख रहा है। हालांकि इतना असर जरूर हुआ है कि समाजवादी पार्टी की सीटें लगभग 3 गुना हो गई है। भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नुकसान ज्यादा हुआ है जिसका फायदा समाजवादी पार्टी के गठबंधन को मिला है।

पंजाबः राजनीति के नए अध्याय की शुरुआत

पंजाब में आम आदमी पार्टी ने 117 में से 92 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। कांग्रेस को 18, शिरोमणि अकाली दल को तीन, बहुजन समाज पार्टी को एक, भारतीय जनता पार्टी को दो और निर्दलीय को एक सीट मिली है। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी दोनों सीटों पर चुनाव हार गए तो अमृतसर पूर्व से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और अकाली नेता विक्रम सिंह मजीठिया को आप की जीवनजोत कौर ने हरा दिया। कैप्टन अमरिंदर के लिए यह आखिरी चुनाव हो सकता है, जो पटियाला से हार चुके हैं।

आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने नई दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि विरोधियों ने पार्टी को रोकने के लिए बड़े षड्यंत्र रचे इसके बावजूद जनता ने पार्टी का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “उन लोगों ने मुझे आतंकवादी कहा लेकिन जनता ने कहा कि केजरीवाल आतंकवादी नहीं, सच्चा देशभक्त है। पंजाब चुनाव के नतीजे बड़ा इंकलाब है। इसने पंजाब की बड़ी-बड़ी कुर्सियों को हिला दिया है। पार्टी के दूसरे नेताओं का कहना है कि आम आदमी पार्टी के दिल्ली मॉडल ने पंजाब के मतदाताओं को काफी आकर्षित किया।

तीन दशक में पहली बार होगा जब पंजाब विधानसभा में बादल परिवार का एक भी सदस्य नहीं होगा। लंबी में प्रकाश सिंह बादल आम आदमी पार्टी के गुरमीत सिंह कोदियां से 11 हजार से अधिक वोटों से हार गए। उनके बेटे और शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल जलालाबाद में आम आदमी पार्टी के जगदीप कंबोज से 31000 वोटों से हारे। प्रकाश सिंह बादल के भतीजे मनप्रीत बादल बठिंडा शहरी सीट से, सुखबीर बादल के संबंधी बिक्रम सिंह मजीठिया अमृतसर पूर्व सीट से और प्रकाश सिंह बादल के दामाद आदेश प्रताप सिंह कैरों पट्टी सीट से हार गए।

पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत पर एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा कि यह कांग्रेस के लिए एक झटके की तरह है। आम आदमी पार्टी को यहां सफलता दिल्ली में उसकी पार्टी के प्रदर्शन के कारण मिली है। पवार ने यह भी कहा कि भाजपा विरोधी पार्टियों को हताश नहीं होना चाहिए बल्कि उन कारणों पर गौर करना चाहिए जिनकी वजह से उनकी हार हुई है।

उत्तराखंडः मोदी है तो मुमकिन है

उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी 45 सीटों पर आगे है या जीत चुकी है। कांग्रेस के हिस्से 19, बहुजन समाज पार्टी के दो और निर्दलीय के हिस्से दो सीटें आई हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा से अपना चुनाव तो हार गए लेकिन प्रदेश में पार्टी की दो तिहाई बहुमत मिलने जीत पर लोगों को धन्यवाद देते हुए कहा कि मैंने हमेशा लोगों को यह ध्यान दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सड़क और स्वास्थ्य क्षेत्र में राज्य सरकार ने जो काम किया है उसे ध्यान में रखिए। उन्होंने इस बात पर खुशी भी जताई कि प्रदेश में हर पांच साल बाद सरकार (पार्टी) बदलने का ट्रेंड इस बार जनता ने तोड़ दिया।

राज्य के 21 साल के इतिहास में पहली बार कोई पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में आएगी। नतीजों से साफ है कि यहां मोदी लहर चली और उसके सामने लोग स्थानीय मुद्दे भूल गए। भाजपा का टिकट नहीं मिलने पर जो नेता बागी होकर लड़ रहे थे, वे भी हार गए।

एक समय माना जा रहा था कि प्रदेश में एंटी इनकंबेंसी है। कुछ दिनों पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का एक वीडियो भी वायरल हुआ था जिसमें उन्होंने उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बनने पर संदेह जताया था। कांग्रेस ने यहां कुछ ही महीने के अंतराल में तीन मुख्यमंत्री बदलने को मुद्दा बनाया था, लेकिन वे सब मुद्दे फीके रहे। हालांकि मुख्य विपक्षी दल को पार्टी के भीतर आपसी लड़ाई से भी काफी नुकसान हुआ है।

गोवाः समर्थन के सहारे फिर भाजपा सरकार

गोवा में भाजपा 20 सीटें जीतने में कामयाब हुई है। यहां आम आदमी पार्टी को दो, गोवा फॉरवर्ड पार्टी को एक, कांग्रेस को 11, महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी को दो और रिवॉल्यूशनरी गोअंस पार्टी को एक सीट मिली है। यहां भाजपा ने महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के दो और तीन निर्दलीय उम्मीदवारों के समर्थन का दावा किया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सदानंद तंवनडे ने कहा कि पार्टी को उनकी तरफ से समर्थन का पत्र मिला है।

प्रदेश कांग्रेस प्रमुख गिरीश चोडनकर ने पार्टी की हार स्वीकार करते हुए कहा कि मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं। हम वोट बंटने से रोकने के लिए लोगों को ठीक से समझा नहीं सके। उन्होंने यह भी कहा कि गोवा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रेसिडेंट के तौर पर मैं विफल रहा और मेरी जगह किसी और को नियुक्त करने का समय आ गया है।

मणिपुरः इस बार अपने दम पर सरकार

मणिपुर की 60 सीटों में से 32 सीटें भाजपा जीत चुकी है या आगे है। कांग्रेस को 5 सीटें मिली हैं। जनता दल यूनाइटेड को छह, कुकी पीपुल्स एलाइंस को दो, नगा पीपुल्स फ्रंट को 5, नेशनल पीपुल्स पार्टी को सात और निर्दलीयों को 3 सीटें मिली हैं। 2017 में यहां भाजपा ने नगा पीपुल्स फ्रंट और नेशनल पीपुल्स पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। लेकिन इस बार अगर उसे 32 सीटें मिल गईं तो सरकार बनाने के लिए किसी की मदद की जरूरत नहीं पड़ेगी।

 

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