राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के 81 करोड़ लाभार्थियों को सालभर मुफ्त में मिलेगा अनाज
कैबिनेट के इस फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत चावल 3 रुपए प्रति किलो, गेहूं 2 रुपए प्रति किलो और मोटे अनाज एक रुपया प्रति किलो के दाम पर दिए जाते हैं। अब लाभार्थियों को इसकी कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत करीब 81.35 करोड़ लोग आते हैं। गोयल ने कहा कि केंद्र सरकार इस पर आने वाले पूरे दो लाख करोड़ रुपए खर्च का वहन करेगी
2024 के आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने पूरे 2023 साल के दौरान राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 के तहत सभी लाभार्थियों को मुफ्त में अनाज देने का फैसला किया है। साथ ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना को दिसंबर 2022 के बाद आगे ना बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। मुफ्त अनाज देने के फैसले से खाद्य सुरक्षा बिल बढ़कर करीब दो लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा, लेकिन गरीब कल्याण योजना खत्म करने से प्रतिमाह 15,000 रुपए के हिसाब से साल में 1.8 लाख करोड़ रुपए की बचत भी होगी।
कैबिनेट के इस फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत चावल 3 रुपए प्रति किलो, गेहूं 2 रुपए प्रति किलो और मोटे अनाज एक रुपया प्रति किलो के दाम पर दिए जाते हैं। अब लाभार्थियों को इसकी कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ेगी। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत करीब 81.35 करोड़ लोग आते हैं। गोयल ने कहा कि केंद्र सरकार इस पर आने वाले पूरे दो लाख करोड़ रुपए खर्च का वहन करेगी।
केंद्र सरकार की सब्सिडी के बाद अभी कई राज्य अपने स्तर पर अतिरिक्त सब्सिडी देते हैं। लेकिन जब खाद्य सुरक्षा कानून के तहत पूरा अनाज मुफ्त में मिलेगा तो राज्यों को सब्सिडी देने की नौबत नहीं आएगी। इस तरह खाद्य सुरक्षा कानून के तहत वितरित किए जाने वाले अनाज का पूरा श्रेय केंद्र सरकार को जाएगा।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में देश की 50% शहरी आबादी और 75% ग्रामीण आबादी आती है। इसके तहत लाभार्थियों के 2 वर्ग हैं। अंत्योदय अन्न योजना जिसमें प्रत्येक परिवार को 35 किलो अनाज हर महीने दिया जाता है। दूसरा, सामान्य वर्ग के परिवारों में प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से 5 किलो अनाज प्रतिमाह मिलता है। जाहिर है कि कैबिनेट के नए फैसले को अमल में लाने के लिए खाद्य सुरक्षा कानून में संशोधन की जरूरत होगी।
कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन लगने के बाद राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत दिए जाने वाले अनाज के अलावा अप्रैल 2020 में 5 किलो और अनाज मुफ्त में देने का फैसला किया गया था। गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून में विलय कर दिया गया है और अब खाद्य सुरक्षा कानून के तहत पूरा अनाज मुफ्त में दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत हर महीने सात लाख टन गेहूं और 33 लाख टन चावल की जरूरत पड़ती थी। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत दिसंबर में 13.67 लाख टन गेहूं और 31.72 लाख टन चावल का आवंटन किया गया।
खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सब्सिडी पर गेहूं, चावल तथा मोटे अनाज की बिक्री से सरकार को प्रति वर्ष लगभग 13900 करोड़ रुपए मिलते हैं, जबकि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पर प्रतिमाह 15000 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मुफ्त अनाज वितरण से खाद्य सुरक्षा बिल 13900 करोड़ रुपए बढ़कर 200000 करोड़ रुपए हो जाएगा। दूसरी ओर, गरीब कल्याण योजना बंद होने से साल में 1.8 लाख करोड़ रुपए की बचत होगी।
दिसंबर की शुरुआत में सरकार के केंद्रीय पूल में 190.27 लाख टन गेहूं और 364 लाख टन चावल का भंडार था। गेहूं का स्टॉक बफर मानकों से थोड़ा ही ज्यादा है। गौरतलब है कि गरीब कल्याण अन्य योजना पर केंद्र सरकार अप्रैल 2020 से दिसंबर 2022 तक लगभग 3.91 लाख करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है।