गैर-बासमती व्हाइट राइस निर्यात पर रोक हटी, लेकिन 490 डॉलर प्रति टन न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त
केंद्र सरकार ने गैर-बासमती व्हाइट राइस के निर्यात पर लगी पाबंदी हटा ली है। विदेश व्यापार महानिदेशालय की तरफ से शनिवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक यह आदेश तत्काल प्रभावी हो गया है
सरकार ने गैर-बासमती व्हाइट राइस के निर्यात पर लगी पाबंदी हटा ली है। विदेश व्यापार महानिदेशालय की तरफ से शनिवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक यह आदेश तत्काल प्रभावी हो गया है। हालांकि निर्यात के लिए 490 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) की शर्त रखी गई है। इसी महीने 13 तारीख को सरकार ने बासमती चावल के निर्यात पर लागू 950 डॉलर प्रति टन एमईपी को समाप्त कर दिया था।
दो दिनों में चावल निर्यात से जुड़े दो बड़े फैसले देश में चावल उत्पादन में अग्रणी राज्य हरियाणा में विधान सभा चुनाव के कुछ दिन पहले ही आए हैं। हरियाणा में विधान सभा के लिए 5 अक्तूबर को वोट डाले जाएंगे।
इस फैसले से महज एक दिन पूर्व, शुक्रवार को सरकार ने गैर-बासमती पारवॉयल्ड राइस (सेला चावल) पर निर्यात शुल्क को 20 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया था। साथ ही, बाकी गैर-बासमती व्हाइट राइस पर भी निर्यात शुल्क को समाप्त कर दिया था। वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने 27 सितंबर को इसकी अधिसूचना जारी की थी। वह फैसला भी तत्काल प्रभावी हो गया। केंद्र सरकार ने घरेलू बाजार में चावल की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से पिछले साल सेला चावल पर निर्यात शुल्क लगा दिया था।
देश में चालू खरीफ सीजन में धान की रिकॉर्ड बुआई के चलते चावल उत्पादन की अच्छी संभावना बनी है। इस साल मानसून भी बहुत अच्छा है। कई दिन पहले ही सरकार ने पिछले साल (2023-24) के लिए रिकॉर्ड 13.78 करोड़ टन चावल उत्पादन का अनुमान जारी किया।
पिछले साल देश से करीब 170 लाख टन चावल का निर्यात हुआ था। वहीं इसके पहले साल, 2022-23 में करीब 210 लाख टन चावल निर्यात के साथ भारत सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश बन गया था और उस वर्ष वैश्विक चावल बाजार में भारत की हिस्सेदारी 40 फीसदी पर पहुंच गई थी।