क्रॉपफिटः किसानों के लिए ऐसा ऐप जहां एमएसपी से नीचे खरीदारी नहीं हो सकेगी
इस ऐप में पारदर्शिता होगी। किसान जो खरीद-बिक्री करेंगे, भविष्य में उसका रिकॉर्ड भी उपलब्ध होगा। अभी किसानों को कोई बिलिंग वाउचर नहीं मिलता है। टैक्सेबल नहीं होने के कारण अनेक जगहों पर ट्रेडिंग बिना किसी रिकॉर्ड के होती है। क्रॉपफिट ऐप के जरिए बैंक के साथ ट्रांजैक्शन भी संभव हो सकेगा। पेमेंट गेटवे के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान किया जा सकेगा
जब किसानों के लिए फसलों से मुनाफा कमाने के मकसद से कोई एप्लीकेशन (ऐप) तैयार किया जाए तो उसका नाम क्या होना चाहिए? ‘क्रॉपफिट’ ऐसा ही एक ऐप तैयार हो रहा है। इस ऐप को बनाने का मकसद यह है कि किसान जब अपनी फसल बेचें तो वे किसी भी भाव पर उसे बेचने को मजबूर ना हों। इस ऐप का एल्गोरिदम कुछ ऐसा होगा कि कोई भी खरीदार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बोली नहीं लगा सकेगा।
क्रॉपफिट ऐप पर काम करने वाले तलवडी फार्मर्स फाउंडेशन की सह संस्थापक अश्विनी गणेशन ने रूरल वॉयस को बताया कि यह ऐप किसानों और व्यापारियों को जोड़ने के लिए है। यह एक स्वस्थ ईकोसिस्टम तैयार करेगा। किसान ही इसके स्टेकहोल्डर हैं। क्रॉपफिट ऐप एंड्रॉयड और आईओएस दोनों पर चलेगा।
इस ऐप को जनवरी 2023 में अंग्रेजी और तमिल भाषाओं में लांच किया जाएगा। आगे इसमें कई और भाषाओं के विकल्प उपलब्ध कराए जाएंगे। योजना अप्रैल तक इसे पूरे भारत में लॉन्च करने की है। तलवडी फार्मर्स फाउंडेशन कोयंबटूर के आईटी पार्टनर्स के साथ मिलकर इसे तैयार कर रहा है।
यह ऐप औरों से किस तरह अलग है, यह पूछने पर अश्विनी बताती हैं, कृषि से जुड़े अनेक एप्लीकेशन हैं। लेकिन उनका फोकस मुख्य रूप से ट्रेडर्स पर होता है। उनमें इस बात का ख्याल रखा जाता है कि ट्रेडर्स, मंडी आदि को कैसे फायदा पहुंचे। हमारे फोकस में किसान हैं क्योंकि वही इसे डेवलप कर रहे हैं। इसलिए इसमें किसानों का हित सर्वोपरि होगा।
तलवडी फार्मर्स फाउंडेशन के दूसरे सह-संस्थापक कण्णैयन सुब्रमण्यम ने बताया कि किसान जो कुछ उपजाते हैं, हम उन सबको इस ऐप में लिस्ट करना चाहते हैं। किसान हमेशा उपज बेचते ही नहीं, कई बार खरीदते भी हैं। हम एक किसान से दूसरे किसान की खरीदारी को बढ़ावा देना चाहते हैं। इस ऐप पर सभी फसलों के साथ मवेशी भी होंगे।
कण्णैयन के अनुसार नीलामी इस ऐप का खास फीचर है, और नीलामी एमएसपी (MSP) से शुरू होगी। उन्होंने बताया कि इस ऐप में पारदर्शिता होगी। किसान जो खरीद-बिक्री करेंगे, भविष्य में हम उसका रिकॉर्ड भी उपलब्ध कराएंगे। अभी किसानों को कोई बिलिंग वाउचर नहीं मिलता है। टैक्सेबल नहीं होने के कारण अनेक जगहों पर ट्रेडिंग बिना किसी रिकॉर्ड के होती है।
कण्णैयन के अनुसार इस ऐप पर एक और तरह की पारदर्शिता होगी। अभी किसके पास क्या है यह दूसरों को मालूम नहीं होता है। किसानों को भी यह पता नहीं रहता है कि दूसरे किसान क्या उपजा रहे हैं। इसी का नतीजा होता है कि बिचौलिए बीच में आते हैं और किसानों की लागत बढ़ जाती है। यह ऐप इस अंतर को पूरा करेगा।
क्रॉपफिट ऐप के जरिए बैंक के साथ ट्रांजैक्शन भी संभव हो सकेगा। पेमेंट गेटवे के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान किया जा सकेगा। कंपनी कानून की धारा 8 के तहत तलवडी फार्मर्स फाउंडेशन गैर-लाभकारी संगठन है। इस फाउंडेशन का उद्देश्य किसानों और ट्रेडर्स को विभिन्न तरह की मदद मुहैया कराना है। कण्णैयन इस फाउंडेशन के संयोजक होने के साथ-साथ साउथ इंडियन कोऑर्डिनेशन कमेटी आफ फार्मर्स मूवमेंट के जनरल सेक्रेटरी भी हैं।
अश्विनी गणेशन का आईटी सर्विसेज में 10 साल से ज्यादा का अनुभव है। कृषि के क्षेत्र में लगाव के कारण ही 2019 में उन्होंने कोपेनहेगन में बहुराष्ट्रीय कंपनी की नौकरी छोड़ दी और भारत चली आईं। उन्होंने देखा कि छोटे और मजदूरी करने वाले किसान काफी बुरी हालत में हैं। उन्होंने इस समस्या का समाधान करने की सोची। उनका मानना है कि इस तरीके से डिजिटलाइजेशन करने पर किसानों को फायदा होगा।
तमिलनाडु के इरोड जिले के तलवडी तालुका में क्रॉपफिट का पायलट प्रयोग किया जाएगा। पश्चिमी तमिलनाडु के कुछ जिले भी इसमें शामिल किए जाएंगे। बाद में इसका विस्तार अन्य जगहों पर होगा। अश्विनी ने बताया कि हम इस ऐप पर खरीदारों को लाएंगे, साथ ही किसानों को सलाह सेवा भी मुहैया कराएंगे। खरीदारों के लिए क्रेडिट के विकल्प होंगे। हम मवेशियों की भी ऑनलाइन बिक्री इसके माध्यम से करने की सोच रहे हैं।
फंडिंग और निवेश निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन इस मायने में भी यह ऐप दूसरों से अलग है। अन्य ऐप को एंजल और प्राइवेट इन्वेस्टमेंट मिल जाता है लेकिन वह निवेश मुनाफे के लिए होता है। क्रॉपफिट निवेश के लिए बिजनेस घरानों, सरकार और गैर सरकारी संगठनों से मदद लेने की सोच रहा है। लेकिन उसके पीछे मुनाफा मकसद नहीं होगा।
उन्होंने बताया कि अभी एग्रो इकोलॉजी फंड से तलवडी फार्मर्स एसोसिएशन को कुछ मदद मिली है। हमारे टेक्नोलॉजी पार्टनर्स ने भी कुछ योगदान किया है। वे स्वेच्छा से इसमें अपना समय लगा रहे हैं।
ऐप में इनपुट को शामिल करने के सवाल पर कण्णैयन ने बताया फिलहाल हम इस प्लेटफॉर्म पर बहुत ज्यादा चीजें लाने की नहीं सोच रहे हैं। देश में इनपुट डीलर्स का काफी मजबूत नेटवर्क है। सिंथेटिक और नॉन सिंथेटिक दोनों तरह के इनपुट उपलब्ध हैं। लेकिन हम ऑर्गेनिक इनपुट जरूर इस प्लेटफॉर्म पर लाना चाहेंगे। जैसे, अगर किसी पोल्ट्री किसान के पास ऑर्गेनिक खाद है तो वह उसे इस ऐप पर लिस्ट कर सकता है और किसान उसे खरीद सकते हैं। क्रॉपफिट के डेवलपर एक और कैटेगरी चाहते हैं जहां किसान आपस में बीज और सूचनाओं का लेनदेन कर सकें।
उन्होंने बताया कि किसानों को क्रॉपफिट ऐप से जोड़ने की कोशिश की जा रही है। तलवडी फार्मर्स फाउंडेशन इसके लिए स्वयंसेवकों को किसानों के पास भेज रहा है और उनके मोबाइल पर ऐप डाउनलोड करवा रहा है।