प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) जारी रखने की मंजूरी दी है। इस योजना के जरिए सरकार किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने और उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने का प्रयास करती है। इस पर 15वें वित्त आयोग के दौरान वर्ष 2025-26 तक 35,000 करोड़ रुपये का वित्तीय व्यय होगा।
सरकार ने मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) योजनाओं को पीएम आशा में मिला दिया है। पीएम-आशा की एकीकृत योजना से किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने और उपभोक्ताओं को किफायती मूल्यों पर आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। पीएम-आशा में अब मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ), मूल्य घाटा भुगतान योजना (पीओपीएस) और बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के घटक शामिल होंगे।
मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद 2024-25 से इन फसलों के राष्ट्रीय उत्पादन का 25 प्रतिशत होगी। इससे राज्यों को किसानों से एमएसपी पर इन फसलों की खरीद करने में मदद मिलेगी। हालांकि, 2024-25 के लिए तुअर, उड़द और मसूर के मामले में यह सीमा लागू नहीं होगी क्योंकि 2024-25 के दौरान तुअर, उड़द और मसूर की 100 प्रतिशत खरीद होगी। सरकार ने एमएसपी पर दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद के लिए किसानों से मौजूदा सरकारी गारंटी का नवीनीकरण करते हुए उसे बढ़ाकर 45,000 करोड़ रुपये कर दिया है। इससे कृषि मंत्रालय को किसानों से एमएसपी पर दलहन, तिलहन और खोपरा की अधिक खरीद करने में मदद मिलेगी।
मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) योजना के विस्तार से दालों और प्याज के रणनीतिक भंडार को बनाए रखने के साथ-साथ उपभोक्ताओं को कृषि-बागवानी वस्तुओं की कीमतों में अत्यधिक अस्थिरता से बचाने में मदद मिलेगी। जब भी बाजार में कीमतें एमएसपी से ऊपर होंगी, तो बाजार मूल्य पर दालों की खरीद उपभोक्ता कार्य विभाग (डीओसीए) द्वारा की जाएगी, जिसमें नैफेड के ई-समृद्धि पोर्टल और एनसीसीएफ के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पूर्व-पंजीकृत किसान भी शामिल होंगे। सुरक्षित भंडार के रखरखाव के अलावा, पीएसएफ योजना के तहत हस्तक्षेप टमाटर जैसी अन्य फसलों और भारत दाल, भारत आटा और भारत चावल की सब्सिडी वाली खुदरा बिक्री में किया गया है।
बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के जरिए बागवानी फसलों को उगाने वाले किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने में मदद मिलेगी। सरकार ने योजना के कवरेज को उपज के 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया है साथ ही एमआईएस के तहत उपज की खरीद के बजाय किसानों के खाते में सीधे अंतर का भुगतान करने का एक नया विकल्प जोड़ा है।