फलों का राजा आम पाचन क्रिया को बेहतर रखने के साथ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाएगा
आम खाना आपके पेट को मजबूत बना सकता है, कब्ज की शिकायत दूर कर सकता है और साथ ही आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कई तरह के विटामिन दे सकता है। इसलिए इस बार गर्मियों में इस रसीले फल को खाने का कोई भी मौका ना गवाएं। इसका स्वाद आपको और अधिक खाने की इच्छा बढ़ाएगा।
आम खाना आपके पेट को मजबूत बना सकता है, कब्ज की शिकायत दूर कर सकता है और साथ ही आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कई तरह के विटामिन दे सकता है। इसलिए इस बार गर्मियों में इस रसीले फल को खाने का कोई भी मौका ना गवाएं। इसका स्वाद आपको और अधिक खाने की इच्छा बढ़ाएगा।
हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने बताया है कि आम में पाया जाने वाला एक सक्रिय पोषक तत्व, मैंगीफेरिन बाहर से दी गई कोलाइटिस से पशुओं को बचाता है। यह पेट की एक तरह की इन्फ्लेमेटरी बीमारी है। आम में पॉलीफेनॉल और फाइबर भी होता है जो पेट को ठीक करने के साथ कब्ज भी दूर करता है। मैंगीफेरिन एक जैंथोन सी ग्लूकोसाइड है। यह आम समेत कई प्रजाति के पौधों में पाया जाता है। इसमें कई तरह के औषधीय गुण होते हैं।
भारत में के विभिन्न राज्यों में आम की कई किस्में पाई जाती हैं। हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि बेहतरीन स्वाद के अलावा आम में विटामिन ए, विटामिन बी6 और विटामिन सी जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं। हालांकि उनका यह भी कहना है कि पेट की इन्फ्लेमेटरी बीमारी तथा अन्य बीमारियों में इसका इस्तेमाल करने से पहले प्री-क्लीनिकल और क्लीनिकल अध्ययन करना जरूरी है।
हैदराबाद विश्वविद्यालय में स्कूल आफ लाइफ साइंसेज के प्रोफेसर रेडन्ना प्रयोगशाला में डॉ. गंगाधर, डॉ. सुरेश कलंगी और डॉ. अनिल कोथा के शोध के नतीजे अमेरिकन केमिकल सोसायटी फार्मोकोलॉजी एंड ट्रांसलेशनल साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं। (https://pubs.acs.org/doi/epdf/10.1021/acsptsci.3c00323).
इससे पहले अमेरिका में किए गए एक अध्ययन में पता चला कि अगर किसी व्यक्ति को कब्ज है तो फाइबर सप्लीमेंट की तुलना में आम उसके लिए अधिक लाभदायक हो सकता है। टैक्सास एएंडएम यूनिवर्सिटी का यह शोध मॉलेक्युलर न्यूट्रिशन एंड फूड रिसर्च पत्रिका में 2018 में प्रकाशित हुआ था। उसमें भी शोधकर्ताओं ने पाया कि आम में पॉलीफेनॉल और फाइबर का एक मिश्रण पाया जाता है जो कब्ज दूर करने में समान मात्रा के फाइबर पाउडर से ज्यादा प्रभावी होता है। अमेरिका में करीब 20% लोग कब्ज से पीड़ित हैं।
फाइबर का एक और फायदा है कि यह वजन कम करने में मदद करता है, क्योंकि इससे देर तक पेट भरा लगता है और व्यक्ति ज्यादा नहीं खाता। शोधकर्ताओं का कहना है कि कम वजन से डायबिटीज, कैंसर और दिल की बीमारियों का खतरा भी काम होता है। इस फल में कोलेस्ट्रॉल और वसा नहीं होता। इसमें कैल्शियम, आयरन, कॉपर, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फोलेट और लाइकोपिन जैसे तत्व पाए जाते हैं। यह शरीर में विटामिन सी की 67% जरूरत पूरी कर सकता है।
अमेरिका के कृषि विभाग के अनुसार एक कप आम के टुकड़े में ये चीजें पाई जाती हैंः-
99 कैलोरी
1.3 ग्राम प्रोटीन
25 ग्राम कार्बोहाइड्रेट
2.6 ग्राम फाइबर
22 ग्राम शुगर
शोधकर्ताओं ने पाया है कि मैंगीफेरिन पशुओं में एसिटिक एसिड के कारण उत्पन्न होने वाले म्यूकस के क्षरण और इन्फ्लेमेटरी कोशिकाओं को रोकता है। उन्होंने यह भी पाया कि मैंगीफेरिन में कोलोन कैंसर को लेकर प्रतिरोधी क्षमता होती है। मैंगीफेरिन आम के गूदे की तुलना में उसके पत्तों और आम के छिलके में अधिक पाया जाता है। कई वैज्ञानिक अध्ययनों में इसके एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइन्फ्लेमेटरी और कैंसर रोधी गुनों का भी पता चला है।
आम खाना हृदय की समस्याओं को भी काम करता है क्योंकि इससे लिपिड स्तर और इन्फ्लेमेशन में कमी आती है। हैदराबाद विश्वविद्यालय का अध्ययन इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि पेट में इन्फ्लेमेटरी बीमारियां बढ़ रही हैं। भारत में 1990 से 2019 तक इसके मरीजों की संख्या दोगुनी हुई है। इसकी वजह से मरने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। यह खासतौर से खानपान की आदतों और जीवन शैली में बदलाव के कारण हो रहा है।
डॉक्टरों का कहना है कि अगर पेट में इन्फ्लेमेटरी बीमारी लंबे समय तक रहती है और उसका इलाज नहीं किया जाए तो उससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल नली क्षतिग्रस्त होती है, और इसकी वजह से कैंसर भी हो सकता है। ऐसे समय जब जंक फूड का इस्तेमाल बढ़ रहा है और संक्रामक बीमारियां बढ़ रही हैं, भारत के परंपरागत आम अनेक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं को दूर करने में मददगार हो सकते हैं।
इसलिए हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने नया नारा तैयार किया है- पेट ठीक रखना है तो आम खाना है।
आम के पारंपरिक प्रयोग और इतिहास
आम का वैज्ञानिक नाम मैंगीफेरा इंडिका है। यह अनाकार्डियासियस परिवार का पौधा होता है। इसका मूल करीब 5000 साल पहले इंडो-बर्मा क्षेत्र में माना जाता है। यह क्षेत्र पूर्वी भारत से लेकर दक्षिण एशिया और दक्षिण चीन तक फैला है। आम का जिक्र अनेक लोक कथाओं में होता है और अनेक धार्मिक त्योहार में भी इसका प्रयोग किया जाता है। आम के पत्तों का एक पारंपरिक इस्तेमाल दरवाजे सजाने में तोरण के रूप में किया जाता है।
इन्हें हिंदू देवी देवताओं से जोड़कर देखा जाता है। माना जाता है कि आम के पत्तों में देवता निवास करते हैं। इन्हें दरवाजे पर रखने से घर में सौभाग्य और संपन्नता आती है। धार्मिक त्योहार और शादी विवाह के मौके पर भी देवताओं से संपन्नता के आशीर्वाद के लिए लोग तोरण बांधते हैं।
आम के पत्ते बड़े होने पर थोड़े सख्त हो जाते हैं, इसलिए यह कई दिनों तक रह सकते हैं। इनका गहरा हरा रंग कार्बन डाइऑक्साइड सोख कर और ऑक्सीजन छोड़ कर हवा को शुद्ध करने का काम करता है। भारतीय और आयुर्वेदिक दवाओं में आम के पत्तों के अनेक प्रयोग बताए गए हैं।
(लेखक हैदराबाद स्थित स्वतंत्र पत्रकार हैं, उनकी विशेषज्ञता विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, कृषि, बिजनेस और स्टार्टअप में है)