एग्रीकल्चर एक्सलरेटर फंड कृषि क्षेत्र में खोल सकता है स्टार्टअप्स के लिए संभावनाओं के नए द्वार
विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी स्टार्टअप की सफलता के लिए जरूरी है कि उसका आइडिया बिल्कुल नया होना चाहिए। कई बार आइडिया तो नया नहीं होता, लेकिन उस पर काम करने का तरीका औरों से अलग होता है। इसके अलावा, टेक्नोलॉजी का समावेश भी जरूरी है
वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में घोषित एग्रीकल्चर एक्सलरेटर फंड कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप्स के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोल सकता है। वैसे तो कृषि क्षेत्र में पहले ही अनेक स्टार्टअप आ चुके हैं और अच्छा काम किया है। सरकार भी रफ्तार योजना के तहत स्टार्टअप्स की मदद कर रही है। लेकिन उनके लिए अलग फंड बनने से इसे और गति मिल सकती है। हालांकि अभी सिर्फ घोषणा की गई है। बजट में इसके लिए रकम का कोई प्रावधान नहीं किया गया है। फिर भी विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में कृषि का आकार इतना विशाल है कि इनपुट से लेकर उपज की बिक्री तक हर जगह मौके हैं।
नए स्टार्टअप्स के लिए कृषि क्षेत्र में कहां अवसर हैं, इस पर प्रमुख एग्री स्टार्टअप आर्य.एजी के सह-संस्थापक प्रसन्ना राव ने बताया कि गांवों में स्थानीय स्तर पर अगर युवा आगे आएं तो वे इस दिशा में बेहतर कार्य कर सकते हैं। स्थानीय होने के नाते वे अपने इलाके के किसानों से आसानी से जुड़ सकेंगे। उन्होंने कहा कि शुरुआती चरण में इनपुट और फसल तैयार होने के बाद उनकी मार्केटिंग में तो अवसर हैं ही, किसानों को फाइनेंस उपलब्ध कराने वाले एग्री-फिनटेक भी आ सकते हैं।
राव के अनुसार डेल्हीवरी जैसे कुछ स्टार्टअप्स ने लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में काम किया है, लेकिन अब भी ग्रामीण क्षेत्र में लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्टेशन में बहुत काम करने की गुंजाइश है। राव का मानना है कि ग्रामीण युवाओं के लिए यह अच्छा मौका है। बजट भाषण में एक्सलरेटर फंड का ऐलान करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा भी कि इसका उद्देश्य यह है कि ग्रामीण युवा किसानों की समस्याओं का नया और सस्ता सॉल्यूशन लेकर आएं।
फसल लगाने से पहले मिट्टी की जांच भी एक अहम क्षेत्र के रूप में उभर रहा है, क्योंकि मिट्टी पर ही फसल की पैदावार निर्भर करती है। सॉयल टेस्टिंग किट बनाने वाली कंपनी हार्वेस्ट के हर्ष दहिया ने बताया कि इसमें भी गांव के स्तर पर नए उद्यमी बन सकते हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल स्तर तक पढ़े और टेक्नोलॉजी की मामूली समझ रखने वाले युवा भी यह काम कर सकते हैं।
हाल में खेती में ड्रोन, सेंसर और ऑटोमेशन का प्रयोग बढ़ा है। हाइड्रोपोनिक्स के क्षेत्र में काफी काम कर चुके आदित्य भल्ला के मुताबिक इसमें काफी संभावनाएं हैं। किसान इसे इसलिए भी अपना रहे हैं कि इससे उनका खर्च कम हो रहा है। जैसे, खेत में कब उर्वरक डालना उचित होगा, कितना पानी देना चाहिए, कौन सा कीटनाशक कितनी मात्रा में देना चाहिए, अगर किसान को इन बातों की सटीक जानकारी मिले तो वह कम खर्च में ही अच्छी उपज ले सकता है। भल्ला एरोगेनिक्स नाम की कंपनी के संस्थापक हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी स्टार्टअप की सफलता के लिए जरूरी है कि उसका आइडिया बिल्कुल नया होना चाहिए। कई बार आइडिया तो नया नहीं होता, लेकिन उस पर काम करने का तरीका औरों से अलग होता है। इसके अलावा, टेक्नोलॉजी का समावेश भी जरूरी है। यही नहीं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स आदि के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का निरंतर विकास हो रहा है, इसलिए स्टार्टअप को भी अपनी टेक्नोलॉजी को अपडेट करते रहना पड़ेगा।