World Milk Day: 50 साल में 10 गुना बढ़ा दूध का उत्पादन, 8 करोड़ किसानों को मिल रहा लाभ
2022-23 में दूध का वार्षिक उत्पादन 23.05 करोड़ टन से अधिक रहा। वहीं, वर्ष 2047 तक इसके 62.8 करोड़ टन तक पहुंच जाने का अनुमान है। डेयरी उद्योग में आई इस ग्रोथ की एक वजह इसमें हो रहा निवेश भी है। भारत में अगले 7-8 साल में डेयरी में एक लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा। इससे नौकरियों के लाखों अवसर पैदा होंगे।
World Milk Day: भारत का डेयरी सेक्टर तेजी से ग्रोथ कर रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था यानी जीडीपी में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान है। खासतौर पर दूध इसमें अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं की भारत विश्व स्तर पर दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है। आंकड़े बताते हैं कि बीते 50 सालों में दूध का उत्पादन 10 गुना तक बढ़ा है। 50 साल पहले देश में दूध का उत्पादन 2.4 करोड़ मीट्रिक टन था, जो अब बढ़कर 23.05 करोड़ मीट्रिक टन हो गया है।
2022-23 में दूध का वार्षिक उत्पादन 23.05 करोड़ टन से अधिक रहा। वहीं, वर्ष 2047 तक इसके 62.8 करोड़ टन तक पहुंच जाने का अनुमान है। डेयरी उद्योग में आई इस ग्रोथ की एक वजह इसमें हो रहा निवेश भी है। इंडियन डेयरी एसोसिएशन (आईडीए) के प्रेसीडेंट और अमूल के पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. आर एस सोढ़ी के मुताबिक भारत में अगले 7-8 साल में डेयरी में एक लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा। इससे नौकरियों के लाखों अवसर पैदा होंगे। नई दिल्ली में पिछले दिनों रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि एक लाख करोड़ रुपये के निवेश से संगठित क्षेत्र में दूध की रोजाना प्रोसेसिंग क्षमता बढ़कर 24 करोड़ लीटर हो जाएगी। अभी संगठित क्षेत्र में रोजाना 12 करोड़ लीटर दूध की प्रोसेसिंग होती है। उन्होंने आगे कहा कि इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। संगठित क्षेत्र में जहां एक लाख लीटर दूध की प्रोसेसिंग से 6000 लोगों को रोजगार मिलता है। वहीं, 12 करोड़ लीटर दूध की प्रोसेसिंग बढ़ेगी तो करीब 72 लाख नए रोजगार पैदा होंगे।
उन्होंने कहा कि आज दूध का उत्पादन 10 गुना तक बढ़ा है। 50 साल पहले देश में 2.4 करोड़ टन दूध का उत्पादन होता था, आज यह 23.1 करोड़ टन पर पहुंच गया है। 2047 तक इसके 62.8 करोड़ टन तक पहुंच जाने का अनुमान है। उन्होंने आगे कहा कि दूध उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ प्रति व्यक्ति खपत भी बढ़ेगी। अभी प्रति व्यक्ति खपत 460 ग्राम है। इसके 2047 में 850 ग्राम तक पहुंचने का अनुमान है।
उन्होंने बताया कि कृषि बाजार अभी लगभग 50 लाख करोड़ रुपये का है। इसमें संगठित क्षेत्र 7 लाख करोड़ रुपये का है। इसमें भी आधा करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये का संगठित बाजार दूध का है। वर्ष 2030 तक खाने के सामान का बाजार 170 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि दुग्ध क्षेत्र का विकास इसलिए हुआ क्योंकि इसमें किसान और उपभोक्ता दोनों फायदे की स्थिति में थे। आज ब्रांडेड फूड मार्केट महानगरों में ही नहीं, बल्कि टियर 2 और टियर 3 शहरों में भी फैल रहा है, खासकर छोटे पैक में। यहां यह देखने की बात है कि उपभोक्ता अच्छी क्वालिटी के लिए 10% से 20% प्रीमियम तो दे देता है, लेकिन उससे अधिक प्रीमियम होने पर प्रॉडक्ट में वैल्यू तलाशता है।
उन्होंने कहा कि आज ग्राहकों में ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन, फैट और एनीमल सोर्स वाले उत्पादों की मांग बढ़ रही है। इसलिए किसानों को उसका उत्पादन बढ़ाना चाहिए जिसकी बाजार में मांग हो। उन्होंने कहा कि अगर आपके उत्पाद में स्वाद एवं न्यूट्रिशन होगा और वह बजट में रहेगा, तो उनकी मांग हमेशा बनी रहेगी। यह बाजार की सालों पुरानी परंपरा है जो आज भी कायम है और आने वाले समय में भी रहेगी।
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र का 15 प्रतिशत का योगदान है। इसमें से 5 प्रतिशत सिर्फ डेयरी योद्योग से आता है। पीआईबी की ओर से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, डेयरी उद्योग सीधे तौर पर 8 करोड़ से अधिक किसानों को रोजगार देता है। भारत दूध उत्पादन में पहले स्थान पर है, जो वैश्विक दूध उत्पादन में 24.64 प्रतिशत का योगदान देता है। पिछले 9 वर्षों में दूध उत्पादन 5.85% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ रहा है, जो 2014-15 के दौरान 146.31 मिलियन टन से बढ़कर 2022-23 के दौरान 230.58 मिलियन टन हो गया है। तुलनात्मक रूप से देखें तो वर्ष 2021 की तुलना में 2022 के दौरान विश्व दूध उत्पादन में 0.51% की वृद्धि हुई है।