गेहूं की ई-नीलामी शुरू होते ही थोक में 700 रुपये तक गिरे भाव, आम उपभोक्ताओं को कीमतें घटने का करना होगा इंतजार
ई-नीलामी से गेहूं के थोक भाव में 600-700 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गई है। एफसीआई ने ई-नीलामी के लिए गेहूं का आरक्षित मूल्य 2,350 रुपये प्रति क्विंटल रखा है। कुछ जगहों पर तो थोक भाव आरक्षित मूल्य से भी नीचे 2,300 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। हालांकि, खुदरा बाजार में अभी भी ज्यादा गिरावट नहीं आई है
खुले बाजार में गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों को थामने के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा की जा रही ई-नीलामी से गेहूं के थोक भाव में 600-700 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट दर्ज की गई है। एफसीआई ने ई-नीलामी के लिए गेहूं का आरक्षित मूल्य 2,350 रुपये प्रति क्विंटल रखा है। कुछ जगहों पर तो थोक भाव आरक्षित मूल्य से भी नीचे 2,300 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। हालांकि, खुदरा बाजार में अभी भी ज्यादा गिरावट नहीं आई है जिससे आम उपभोक्ताओं को तत्काल राहत मिलने की संभावना कम ही है।
केंद्रीय भंडार ने 29.50 रुपये प्रति किलो की दर पर “भारत आटा” की खुदरा बिक्री करने की शुरुआत कर दी और 6 फरवरी से नैफेड भी इसी कीमत पर खुदरा बिक्री शुरू करेगा लेकिन इससे खुदरा बाजार में कीमतों पर बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा और न ही देश के ज्यादातर उपभोक्ताओं को इसका लाभ मिल पाएगा क्योंकि एक तो नैफेड की मौजूदगी 8 राज्यों में ही है और उसके ज्यादातर बिक्री केंद्र बड़े शहरों में ही हैं, दूसरा नैफेड को केंद्रीय पूल से मिलने वाली गेहूं की मात्रा इतनी नहीं है कि उसका बड़ा असर खुदरा बाजार पर पड़े। केंद्रीय पूल से 3 लाख टन गेहूं नैफेड, केंद्रीय भंडार, एनसीसीएफ आदि को बिना नीलामी के दिए जाएंगे। इसमें से नैफेड और केंद्रीय भंडार को 1-1 लाख टन गेहूं देने की घोषणा की गई है। इसलिए खुदरा उपभोक्ताओं को अगले महीने से ही कीमतों में कमी का लाभ मिलने की संभावना है। हालांकि, सरकार ने मोबाइल वैन के जरिये भी कम कीमत वाले आटे की बिक्री बढ़ाने के इंतजाम करने के सरकारी एजेंसियों को निर्देश दिए हैं ताकि आम लोगों को इसका फायदा मिल सके। कीमतों की समीक्षा के बाद सरकार ने आटा सप्लाई बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। सरकारी एजेंसियों के लिए यह शर्त रखी गई है कि पैकेट पर आटा का नाम और दाम बड़े अक्षरों में लिखना जरूरी है। पिछले रबी सीजन में सरकार ने 444 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा था जिसके मुकाबले 179 लाख टन गेहूं की ही खरीद हो पाई थी। इस वजह से ही घरेलू कीमतें बढ़ी हैं। कीमतों को थामने के लिए ही सरकार ने पहले गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया और अब केंद्रीय पूल से खुले बाजार में गेहूं बिक्री की जा रही है।
खुदरा कीमतों में कटौती का करना होगा इंतजार
मध्य भारत कंसोर्टियम ऑफ एफपीओ के सीईओ योगेश द्विवेदी ने बताया कि गेहूं का थोक बाजार भाव तीन हजार रुपये प्रति क्विंटल के स्तर से घटकर 2,300-2,500 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गया है। आगे इसमें 100-200 रुपये तक की और कमी देखने को मिल सकती है। इसका मतलब यह हुआ कि थोक बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के आसपास रह सकता है। सरकार ने रबी सीजन 2023-24 के लिए गेहूं का एमएसपी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। यह पूछने पर कि थोक कीमतों में कमी का लाभ आम उपभोक्ताओं को कब तक मिलेगा, उन्होंने कहा, “जहां तक खुदरा कीमत की बात है तो इसमें अभी 200 रुपये प्रति क्विंटल तक की ही गिरावट देखने को मिली है। खुदरा बाजार में कीमतों में ज्यादा गिरावट आने में एक महीने से ज्यादा का समय लग सकता है। इसकी वजह ये है कि एक तो व्यापारियों या आटा मिलों के पास जो पुराना स्टॉक है जिसे उन्होंने ऊंची कीमत पर खरीद रखा है पहले उसे निकालेंगे, दूसरा ई-नीलामी में जो गेहूं खरीदा जा रहा है एफसीआई के गोदामों से उनकी डिलीवरी होने में भी समय लगता है। जैसे-जैसे ई-नीलामी बढ़ती जाएगी और डिलीवरी होती जाएगी खुदरा कीमतों में भी धीरे-धीरे कमी आती जाएगी।” उन्होंने कहा कि इस बार गेहूं की फसल अच्छी है। मौजूदा स्थिति को देखते हुए इस बात की पूरी संभावना है कि नई फसल की कीमत एमएसपी से 100-200 रुपये प्रति क्विंटल ऊपर ही रहेगी।
9.2 लाख टन गेहूं की हुई ई-नीलामी
जनवरी में गेहूं का थोक भाव 3,000-3,200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था जिससे खुदरा बाजार में आटे का औसत भाव 40 रुपये प्रति किलो से ऊपर पहुंच गया था। इससे महंगाई तेजी से भड़कने की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने 26 जनवरी को केंद्रीय पूल से ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत 30 लाख टन गेहूं बेचने का फैसला किया था। इसमें से 25 लाख टन गेहूं की बिक्री 1 फरवरी से ई-नीलामी के जरिये आटा मिलों, गेहूं उत्पाद निर्माताओं और व्यापारियों जैसे थोक खरीदारों को की जा रही है। ई-नीलामी के पहले दो दिनों में थोक खरीदारों को 2,474 रुपये प्रति क्विंटल की औसत दर से 9.2 लाख टन गेहूं बेचा गया है। एफसीआई ने ई-नीलामी के लिए गेहूं का आरक्षित मूल्य 2,350 रुपये प्रति क्विंटल रखा है। 15 मार्च तक हर बुधवार को गेहूं की ई-नीलामी की जाएगी।
ई-नीलामी में छोटे व्यापारी ज्यादा सक्रिय
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक आंकड़ा जारी कर बताया है कि 2 फरवरी को गेहूं का औसत खुदरा मूल्य 33.47 रुपये प्रति किलो था जबकि गेहूं के आटे की औसत कीमत 38.1 रुपये प्रति किलो थी। एक साल पहले इसी समय गेहूं व आटे का औसत खुदरा मूल्य क्रमशः 28.11 रुपये और 31.14 रुपये प्रति किलो था। एफसीआई ने पहले दो दिन की ई-नीलामी से गेहूं बेचकर 2,290 करोड़ रुपये जुटाए हैं। 23 राज्यों में हुई ई-नीलामी में 1,150 से अधिक थोक खरीदारों ने हिस्सा लिया। छोटे व मध्यम आटा मिलों और व्यापारियों ने नीलामी में बढ़-चढ़ कर भाग लिया क्योंकि 100 से 499 टन की सीमा में अधिक मांग थी। एक बार में 3,000 टन की मात्रा के लिए केवल 27 बोलियां प्राप्त हुईं।