रिकॉर्ड उत्पादन आंकड़ों के बाद भी क्यों बढ़ रहे गेहूं के दाम

केंद्र सरकार के मुताबिक, देश में इस बार गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। लेकिन, इसके बाद भी गेहूं की कीमतों में तेजी बनी हुई है। पिछले एक महीने में गेहूं 8 फीसदी तक मंहगा हुआ है। जबकि, आगे इसके और मंहगा होने का अनुमान है।

रिकॉर्ड उत्पादन आंकड़ों के बाद भी क्यों बढ़ रहे गेहूं के दाम

केंद्र सरकार के रबी सीजन (2023-24) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में रिकार्ड 11.2 करोड़ टन गेहूं उत्पादन हुआ है। इसके बावजूद पिछले एक महीने में गेहूं 8 फीसदी तक मंहगा हुआ है और कीमतें 2600 रुपये प्रति क्विंटल तक तक पहुंच गई हैं। वहीं, देशभर की थोक मंडियों में गेहूं का दाम लगातार बढ़ रहे हैं। चालू रबी मार्केटिंग सीजन (2024-25) में गेहूं की सरकारी खरीद 265 लाख टन तक ही पहुंची हैं। इसके साथ ही गेहूं की कीमतों में आने वाले दिनों में बढ़ोतरी होने की संभावना है। वहीं उद्योग की ओर से गेहूं आयात की मांग होने लगी है। 

केंद्र अब तक 265 लाख टन गेहूं की खरीद कर पाया है, जो तय टारगेट 320 लाख टन से काफी कम है। वहीं, गेहूं का सीजन अब लगभग खत्म होने की कगार पर है। देश के ज्यादतर राज्यों में गेहूं की खरीद पूरी हो चुकी है। जबकि, बचे हुए राज्यों में इस महीने के अंत तक गेहूं की खरीद पूरी होने की उम्मीद है। मंडियों में आवक को देखते हुए जून महीने में गेहूं खरीद में कोई उल्लेखनीय सुधार की उम्मीद नहीं है। 

रूरल वॉयस से बात करते हुए रोलर फ्लोर मिल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रमोद कुमार जैन ने बताया कि बाजार में गेहूं की काफी शॉर्टेज है। जिस वजह से गेहूं के दाम बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार भी इस बार गेहूं खरीद का टारगेट पूरा नहीं कर पाई है। कई ट्रेडर्स और किसान अच्छे दाम की उम्मीद में गेहूं को स्टॉक कर रहे हैं। जिस वजह से बाजार में गेहूं का दाम बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर स्थिति ऐसी ही रही तो सरकार को गेहूं का आयात करना पड़ेगा, ताकि उद्योग की मांग को पूरा किया जा सके। 

वहीं, मध्य भारत कंसोर्टियम ऑफ एफपीओ के सीईओ योगेश द्विवेदी ने बताया कि इस बार किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2400 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी के भाव पर किसानों से गेहूं खरीदा था। जिसमें राज्य सरकार ने 125 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस भी दिया था। जबकि केंद्र सरकार ने चालू साल के लिए 2275 रुपये प्रति क्विंटल का एमएसपी तय किया है। लेकिन ओपन मार्केट में वही गेहूं 2600 से 2700 रुपये प्रति क्विंटल में बिक रहा है। ऐसे में अच्छे दाम के लिए किसान अपनी उपज प्राइवेट व्यापारियों को बेच रहे हैं। 

दूसरी तरफ केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक भी पिछले साल के मुकाबले काफी कम है। फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, 1 जून 2024 को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 299.05 लाख टन था, जो पिछले साल की इसी अवधि से कम है। जून 2023 में यही केंद्रीय पूल में 313.8 लाख टन था। वहीं, एक अप्रैल, 2024 को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 2008 के बाद सबसे कम स्तर पर रहा। एक अप्रैल के लिए बफर मानक के तहत केंद्रीय पूल में 74.6 लाख टन गेहूं का स्टॉक होना चाहिए था। जबकि, एक अप्रैल, 2024 को केंद्रीय पूल में 75.02 लाख टन गेहूं था, जो पिछले 16 वर्षों में सबसे कम स्तर है। अप्रैल 2008 में गेहूं का स्टॉक 58.03 लाख टन रह गया था।

पिछले साल जब कीमतें बढ़ी थीं, तो कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार ने ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत 100 लाख टन गेहूं खुले बाजार में उतारा था। लेकिन इस साल गेहूं खरीद की स्थिति को देखते हुए सरकार इतनी अधिक मात्रा में गेहूं खुले बाजार में बेचने की हालत में नहीं होगी।

किस राज्य में कितनी हुई खरीद

एफसीआई के मुताबिक पंजाब और हरियाणा में  कुल 19.56 मिलियन टन गेहूं की खरीद की गई है। जबकि दोनों राज्यों का संयुक्त लक्ष्य 210 लाख टन था।  इसी तरह, उत्तर प्रदेश में अब तक 9.27 लाख टन, मध्य प्रदेश में 48.34 लाख टन और राजस्थान में 11.73 लाख टन गेहूं की ही खरीद हो पाई है। जो तीनों राज्यों के संयुक्त लक्ष्य का आधा भी नहीं है। 

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