1901 के बाद सबसे गर्म जून और 33% कम बारिश ने बढ़ाई खरीफ फसलों की चुनौती
उत्तर-पश्चिम भारत में वर्ष 1901 के बाद इस साल जून का सबसे गर्म महीना रहा है। देश में इस दौरान औसत बारिश सामान्य से 11 फीसदी कम हुई।
इस साल मानसून सीजन में सामान्य से अच्छी बारिश के अनुमान के बावजूद जून महीने में मौसम काफी असामान्य रहा है। मौसम विभाग के अनुसार, जून में पूरे देश में सामान्य से 11 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई। यह पिछले पांच वर्षों में जून में हुई सबसे कम बारिश है।
उत्तर-पश्चिम भारत में वर्ष 1901 के बाद इस साल जून का सबसे गर्म महीना रहा है। इस दौरान औसत अधिकतम तापमान सामान्य से 1.96 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा और औसत बारिश सामान्य से 33 फीसदी कम हुई। भीषण गर्मी और कम बारिश से उत्तर भारत में खरीफ फसलों की ग्रोथ और उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
1 से 30 जून तक मध्य भारत में सामान्य से 14 प्रतिशत कम और पूर्वोत्तर भारत में 13 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई। जबकि दक्षिण भारत में सामान्य से 14 प्रतिशत अधिक बारिश हुई। देश के 12 प्रतिशत क्षेत्र में अत्यधिक, 38 प्रतिशत में सामान्य और 50 प्रतिशत में कम बारिश हुई।
इस साल मानसून 30 मई को दो दिन पहले ही केरल पहुंच गया था, लेकिन उसके बाद मानसून की रफ्तार धीमी पड़ गई। अधिकांश बारिश जून के आखिरी चार दिनों में हुई है। 10 जून से 19 जून के दौरान पश्चिमी विक्षोभ का सक्रिय न होना भी उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत में भीषण गर्मी और कम बारिश का कारण रहा है।
कहां पहुंचा मानसून
1 जुलाई तक मानसून राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों के अलावा देश के अधिकांश भागों में पहुंच चुका है। अगले दो-तीन दिनों में मानसून पूरे देश को कवर कर लेगा। मौसम विभाग के अनुसार, 01 और 02 जुलाई को हिमाचल प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर, 01-03 जुलाई के दौरान उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में और 03-05 जुलाई के दौरान पूर्वी राजस्थान में बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है। 02 जुलाई को उत्तराखंड में अलग-अलग स्थानों पर अत्यधिक भारी वर्षा हो सकती है।
जुलाई में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान
मौसम विभाग ने जुलाई में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना जताई है। एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में आईएमडी के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि पूरे देश में जुलाई की औसत बारिश सामान्य से अधिक होने की संभावना है। पूर्वोत्तर भारत के कई क्षेत्रों तथा उत्तर-पश्चिम, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना है।
आईएमडी के आंकड़ों से पता चलता है कि 25 वर्षों में से 20 वर्षों में जब जून में सामान्य से कम बारिश हुई, तब जुलाई में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश हुई थी। यानी जून में कम बारिश के बाद जुलाई में अधिक बारिश की संभावना बढ़ जाती है।
खरीफ बुवाई ने जोर पकड़ा
देश के अधिकांश क्षेत्रों में मानसून के आगमन के साथ ही खरीफ की बुवाई भी जोर पकड़ रही है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 28 जून तक खरीफ की बुवाई 240.72 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हो चुकी है जो पिछले साल के मुकाबले 59.12 लाख हेक्टेयर यानी करीब 33 फीसदी अधिक है। खरीफ की मुख्य फसल धान की बुवाई पिछले साल के स्तर पर है, वहीं दलहन की बुवाई में 14.52 लाख हेक्टेयर की बढ़त है।
पश्चिम और दक्षिण भारत के राज्यों में अच्छी बारिश से अरहर, उड़द और मूंग की बुवाई में काफी तेजी आई है। तिलहन की बुवाई भी पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 26.12 लाख हेक्टेयर ज्यादा हो चुकी है। जबकि श्री अन्न और मोटे अनाजों की बुवाई पिछले साल के मुकाबले करीब 15 फीसदी कम हुई है। अभी खरीफ फसलों की लगभग एक चौथाई से भी कम बुवाई पूरी हुई है। जुलाई के आखिर तक खरीफ सीजन में बुवाई की स्पष्ट तस्वीर सामने आएगी।