अक्टूबर में 20 फीसदी महंगी हुई शाकाहारी थाली, प्याज, टमाटर व दालों की महंगाई का असर

प्याज, टमाटर व दालों की महंगाई के चलते अक्टूबर में वेज और नॉन-वेज थाली की लागत बढ़ गई। अक्टूबर में वेज थाली की लागत 20 फीसदी बढ़कर 33.3 रुपये प्रति थाली हो गई जबकि पिछले साल इसी महीने में यह लागत 27.7 रुपये प्रति थाली थी। वहीं, नॉन-वेज थाली की लागत 5.11 फीसदी बढ़कर 61.6 रुपये प्रति थाली हो गई जबकि पिछले साल अक्टूबर में यह लागत 58.6 रुपये प्रति थाली थी।

अक्टूबर में 20 फीसदी महंगी हुई शाकाहारी थाली, प्याज, टमाटर व दालों की महंगाई का असर

अक्टूबर 2024 में सब्जियों की कीमतों में भारी उछाल के चलते शाकाहारी थाली (वेज) की लागत में इजाफा हुआ है। क्रिसिल की ‘राइस रोटी रेट’ रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में वेज थाली की लागत 20 फीसदी बढ़कर 33.3 रुपये प्रति थाली हो गई जबकि पिछले साल इसी महीने में यह लागत 27.7 रुपये प्रति थाली थी। इसके अलावा, महीने के आधार पर भी वेज थाली की लागत में 6.3 फीसदी का इजाफा हुआ है। सितंबर 2024 में वेज थाली की लागत 31.3 रुपये प्रति थाली थी। 

रिपोर्ट के अनुसार, सब्जियों की कीमतों में वृद्धि के कारण वेज थाली की कीमत में वृद्धि हुई है, जिसकी हिस्सेदारी थाली की लागत में करीब 40 फीसदी होती है। सितंबर में लगातार बारिश के कारण प्याज और आलू की आपूर्ति में कमी आई, जिसके परिणामस्वरूप अक्टूबर में प्याज की कीमत में 46 फीसदी और आलू की कीमत में 51 फीसदी तक की वृद्धि देखी गई। इसके साथ ही, महाराष्ट्र और कर्नाटक में बारिश के चलते प्याज की कटाई में देरी हुई, जिससे प्याज की कीमतें और बढ़ गईं। रबी सीजन के आलू की आवक में कमी और कोल्ड स्टोरेज स्टॉक घटने से भी आलू की कीमतों में उछाल देखा गया। दिसंबर-जनवरी में नए आलू के बाजार में आने के बाद कीमतों में थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। 

अक्टूबर में टमाटर की कीमतें भी लगभग दोगुनी हो गईं। पिछले साल अक्टूबर में टमाटर की कीमत 29 रुपये प्रति किलो थी, जो इस साल बढ़कर 64 रुपये प्रति किलो हो गई। सितंबर में हुई बारिश से टमाटर की फसल को काफी नुकसान हुआ, जिससे अक्टूबर में कीमतों में उछाल देखा गया। त्योहारी सीजन के दौरान मांग में वृद्धि और महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों से आपूर्ति में कमी भी इस वृद्धि का कारण बनी। हालांकि, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश से आपूर्ति बढ़ने से नवंबर में कीमतों में स्थिरता आने की संभावना है।

दालों की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। त्योहारी मांग और शुरुआती स्टॉक में कमी के कारण अक्टूबर में दालों की कीमतें 11 फीसदी बढ़ गईं। दालों का हिस्सा वेज थाली में करीब 9 फीसदी होता है। दिसंबर से नई फसल की आवक शुरू होने पर दालों की कीमतों में गिरावट की उम्मीद है। इसके विपरीत, ईंधन की कीमत में 11 फीसदी की गिरावट ने वेज थाली की लागत में अधिक बढ़ोतरी को रोकने में मदद की।

मांसाहारी थाली (नॉन-वेज थाली) की लागत में भी अक्टूबर में सालाना आधार पर 5.11 फीसदी की वृद्धि हुई, जो 61.6 रुपये प्रति थाली हो गई जबकि पिछले साल अक्टूबर में यह लागत 58.6 रुपये प्रति थाली थी। महीने के आधार पर नॉन-वेज थाली की लागत में 3.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई, सितंबर में इसकी लागत 59.3 रुपये प्रति थाली थी। ब्रॉयलर चिकन की कीमतों में 9 फीसदी की गिरावट होने के कारण नॉन-वेज थाली की लागत में और अधिक बढ़ोतरी नहीं हुई, क्योंकि नॉन-वेज थाली में ब्रॉयलर चिकन का हिस्सा करीब 50 फीसदी होता है। टमाटर और प्याज की कीमतों में उछाल ने नॉन-वेज थाली की लागत पर भी असर डाला।

Subscribe here to get interesting stuff and updates!