कृषि क्षेत्र के तीन महत्वपूर्ण स्तंभों को दुरुस्त करने की दरकार, एमएसपी की मांगों से आगे बढ़ें किसान संगठन
कृषि क्षेत्र की विकास दर को बढ़ावा देने के लिए इसके तीन महत्वपूर्ण स्तंभों को दुरुस्त करने की दरकार है जो दरक गए हैं। किसान संगठनों को एमएसपी की मांग से आगे बढ़ने की जरूरत है। साथ ही खेती में युवाओं को बनाए रखने के लिए स्मार्ट फार्मिंग की जरूरत है। जब तक कृषि में समावेशी विकास नहीं होगा तब तक टोटल ग्रोथ नहीं बढ़ेगा। इसके लिए तकनीक आधारित खेती को बढ़ावा देने की जरूरत है। रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव में पैनलिस्टों द्वारा ये विचार रखे गए।
कृषि क्षेत्र की विकास दर को बढ़ावा देने के लिए इसके तीन महत्वपूर्ण स्तंभों को दुरुस्त करने की दरकार है जो दरक गए हैं। किसान संगठनों को एमएसपी की मांग से आगे बढ़ने की जरूरत है। साथ ही खेती में युवाओं को बनाए रखने के लिए स्मार्ट फार्मिंग की जरूरत है। जब तक कृषि में समावेशी विकास नहीं होगा तब तक टोटल ग्रोथ नहीं बढ़ेगा। इसके लिए तकनीक आधारित खेती को बढ़ावा देने की जरूरत है। रूरल वॉयस एग्रीकल्चर कॉन्क्लेव में पैनलिस्टों द्वारा ये विचार रखे गए।
रूरल वॉयस के स्थापना दिवस पर 23 दिसंबर को नई दिल्ली में आयोजित इस कॉन्क्लेव के तीसरे और अंतिम सत्र का विषय “गवर्नेंस एजेंडा फॉर एग्रीकल्चर एंड फार्मिंग फॉर 2024-29” था। इस सत्र को संबोधित करते हुए एग्री स्टार्टअप समुन्नति एग्रो के डायरेक्टर प्रवेश शर्मा ने कहा कि आजादी के बाद हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि खाद्य सुरक्षा को हासिल करना है। आज की पीढ़ी इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को समझ नहीं पा रही है। हमने बिना किसी विदेशी सहायता के अपने संसाधनों पर यह उपलब्धि हासिल की है। 1950 में देश में 5 करोड़ टन अनाज पैदा होता था जो आज बढ़कर 33 करोड़ टन से भी ज्यादा हो गया है।
उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि कृषि क्षेत्र के तीन महत्वपूर्ण स्तंभ आज हिल गए हैं। इसे दुरुस्त करने की जरूरत है। इन स्तंभों में खाद्य सुरक्षा को राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता देना, इकोसिस्टम अप्रोच (रिसर्च सिस्टम, बीज वितरण, एमएसपी पर फसलों की खरीद, पीडीएस के जरिये उनका वितरण) को बढ़ावा देना और केंद्र एवं राज्यों के बीच सामंजस्य स्थापित करना शामिल है। उन्होंने कहा कि जब तक इन तीनों स्तंभों को ठीक नहीं किया जाएगा, कृषि क्षेत्र में इन्क्लूसिव ग्रोथ को पाना मुश्किल होगा।
भारत कृषक समाज के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ ने सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सिर्फ फसलों का एमएसपी ही किसानों की समस्याओं का हल नहीं है। किसान नेताओं को सी2 लागत + 50 फीसदी मुनाफे पर एमएसपी की मांग से आगे बढ़ना चाहिए। उन्हें सिर्फ दाम नहीं मांगना चाहिए, बल्कि मुनाफे पर भी ध्यान देना चाहिए। साथ ही जीवन की बेहतरी के अन्य मुद्दों जैसे सस्ती शिक्षा और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी आंदोलन करना चाहिए। उन्होंने पंजाब का उदाहरण देते हुए कहा कि पंजाब में किसानों से धान और गेहूं की पूरी फसल की खरीद एमएसपी पर होती है और भुगतान भी 15 दिन के भीतर हो जता है। इसके बावजूद पंजाब में सबसे ज्यादा किसान आंदोलन होते हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि किसान संगठन अपनी मांगों को लेकर राज्य सरकारों के खिलाफ आंदोलन क्यों नहीं करते हैं? कृषि राज्य का विषय है, तो सबसे पहले उन्हें अपनी मांगें राज्य सरकारों के पास रखनी चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि भावांतर जैसी योजनाओं की खामियों को दूर कर किसानों को समर्थन दिए जाने की जरूरत है।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय संयोजक सरदार वीएम सिंह ने कहा कि किसानों को जात बिरादरी छोड़कर पहले किसान बनना चाहिए। आज किसान देश का पेट पालता है लेकिन खुद कर्ज में डूबा हुआ है और खुदकुशी करता है। किसानों को सरकार से लागत का डेढ़ गुना दाम की गारंटी के साथ-साथ आवारा पशुओं से भी निजात की गारंटी चाहिए। अगर खेती को उन्नत बनाना है तो सबको मिलकर किसान को ऊपर उठाना पड़ेगा।
आईपीएल सेंटर फॉर रूरल आउटरीच (इकरो) के परियोजना प्रमुख और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. राजीव रंजन ने कहा कि खेती में युवाओं को बनाए रखने के लिए स्मार्ट फार्मिंग को अपनाने की जरूरत है। पिछले 10 साल में फिशरीज की ग्रोथ 12-13 फीसदी, पॉल्ट्री की 9-10 फीसदी रही है, लेकिन एग्रीकल्चर ग्रोथ 3-4 फीसदी ही रही है। जब तक कृषि में इन्क्लूसिव ग्रोथ नहीं होगा टोटल ग्रोथ नहीं बढ़ेगा। इसके लिए तकनीक आधारित खेती को बढ़ावा देने और तकनीक को किसानों तक पहुंचाने की जरूरत है।
इस सत्र का संचालन इंडियन एक्सप्रेस के रूरल अफेयर्स एडिटर हरीश दामोदरन ने किया।