पिंक बॉलवॉर्म से राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणा में कपास की फसल को बड़ा नुकसान, उत्पादन पर पड़ेगा असर
हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के कपास उत्पादक जिलों में पिंक बॉलवॉर्म के भयानक प्रकोप से 50-70 फीसदी फसल खराब हो गई है। कुछ जगहों पर तो 90 फीसदी तक नुकसान हुआ। इसे देखते हुए किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
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हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के कपास उत्पादक जिलों में पिंक बॉलवॉर्म बीमारी के चलते बड़े स्तर पर फसल को नुकसान हुआ है। किसानों का कहना है कि नुकसान 50 फीसदी तक है वहीं कुछ जगहों पर फसल को 90 फीसदी तक नुकसान हुआ है। नुकसान की भरपाई के लिए किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं। हरियाणा सरकार ने किसानों को 12,500 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने का फैसला किया है लेकिन पंजाब और राजस्थान ने अभी नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे की कोई घोषणा नहीं की है। राजस्थान के किसान पिछले करीब दो हफ्ते से मुआवजे की मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
रूरल वॉयस ने कपास उत्पादक इलाकों के किसानों से बात की है। हरियाणा में फसल को सबसे ज्यादा नुकसान सिरसा, फतेहाबाद और हिसार जिलों में हुआ है जो कपास उत्पादन का सबसे बड़ा क्षेत्र है। राज्य में करीब 70 फीसदी कपास का उत्पादन इन्हीं जिलों में होता है। बाकी जिलों में भी इसका असर है। वहीं राजस्थान के श्रीगंगानगर, हनुमागढ़ और अनूपगढ़ तथा पंजाब के अबोहर, फाजिल्का, बठिंडा और मनसा जिलों में पिंक बॉलवॉर्म ने काफी नुकसान पहुंचाया है। हरियाणा में यह लगातार दूसरा सीजन है जब पिंक बॉलवॉर्म की वजह से फसल खराब हुई है।
पिंक बॉलवॉर्म काफी घातक कीट है जो कपास को नुकसान पहुंचाता और पौधों पर आने वाली बाल से कपास को नष्ट कर देता है। इसकी वजह से कपास की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है और पैदावार घट जाती है।
सिरसा जिले के किसान परमजीत सिंह ने रूरल वॉयस को बताया कि उनकी 50 फीसदी फसल खराब हो गई है। गुलाबी सुंडी (पिंक बॉलवॉर्म) के अलावा बारिश ने भी फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है। पिछले साल भी कीटों के प्रकोप की वजह से फसल खराब हुई थी। पिछले अनुभव को देखते हुए किसानों ने शुरुआत से ही कीटनाशकों का छिड़काव करना शुरू कर दिया था जिससे उनका नुकसान कम हुआ। जिन किसानों ने थोड़ी भी देर की उनकी फसल बर्बाद हो गई। परमजीत सिंह 2 एकड़ में कपास की खेती करते हैं। इस साल तो कपास किसानों के लिए लागत निकालना भी मुश्किल दिख रहा है।
हरियाणा की तुलना में पंजाब और राजस्थान में नुकसान ज्यादा है क्योंकि वहां पिछले साल कीटों का प्रकोप नहीं था, इसलिए वहां के किसान इसके प्रति जागरूक नहीं थे। राजस्थान में तो पहली बार पिंक बॉलवॉर्म का इतना भयानक प्रकोप हुआ। जब तक किसानों को इसकी जानकारी मिली और वे जागरूक हुए तब तक उनकी फसल खराब हो चुकी थी।
पंजाब की मंडियों में कपास की नई फसल की आवक शुरू हो चुकी है। इसका भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर चल रहा है। कर्नाटक में भी कपास की नई फसल मंडियों में आने लगी है। हरियाणा में पहले चरण की तुड़ाई-तैयारी शुरू हो गई। राजस्थान में भी अगैती फसल की आवक जल्दी ही शुरू होने वाली है। केंद्र सरकार ने लंबे रेशे वाले कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 7020 रुपये प्रति क्विंटल और मध्यम रेशे वाले कपास का एमएसपी 6620 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
इस साल कपास का कुल रकबा पिछले साल के 126.87 लाख हेक्टेयर से घटकर 125 लाख हेक्टेयर रह गया है। सामान्य तौर पर कपास का रकबा 128.67 लाख हेक्टेयर रहता है। रकबे में कमी और फसल बर्बाद होने को देखते हुए इस साल कपास के घरेलू उत्पादन में फिर से गिरावट आने की पूरी संभावना है।
आमतौर पर एक एकड़ में 10-12 क्विंटल कच्चे कपास का उत्पादन होता है लेकिन इस बार 2-2.5 क्विंटल प्रति एकड़ फसल मिल रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2022-23 में देश में कपास का कुल उत्पादन 343.5 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो) रहा था, जबकि औसत उत्पादन 447 किलो प्रति हेक्टेयर रहा था।