अर्थव्यवस्था के पहले इंजन में ईंधन की कंजूसी, कृषि के लिए बातें ज्यादा संसाधन कम

प्रधानमंत्री धनधान्य कृषि योजना से लेकर कॉटन मिशन, दालों में आत्मनिर्भरता और 100 जिलों को राज्यों का साथ मिलकर उत्पादकता और आय में बढ़ोतरी की योजनाएं लागू करने की घोषणा  की गई है, लेकिन कृषि शोध और विकास के लिए कोई बड़ी बढ़ोतरी नहीं है।

अर्थव्यवस्था के पहले इंजन में ईंधन की कंजूसी, कृषि के लिए बातें ज्यादा संसाधन कम

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नये वित्त वर्ष 2025-26 का बजट पेश करते हुए विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए कृषि पर जोर देने का दावा किया और कहा कि यह अर्थव्यवस्था का यह पहला इंजन है लेकिन जब इस इंजन में संसाधनों के आवंटन का ईंधन डालने की बात आई तो वह कंजूसी कर गईं। कृषि और ग्रामीण मंत्रालय का कुल बजट प्रावधान पिछले साल के मुकाबले कम है। अधिकांश योजनाओं में आवंटन लगभग पिछले साल के बराबर ही रखा गया है। कुछ योजनाओं में जरूर आवंटन अधिक किया गया है लेकिन यह बहुत बड़ा आवंटन नहीं है।

प्रधानमंत्री धनधान्य कृषि योजना से लेकर कॉटन मिशन, दालों में आत्मनिर्भरता और 100 जिलों को राज्यों का साथ मिलकर उत्पादकता और आय में बढ़ोतरी की योजनाएं लागू करने की घोषणा  की गई है, लेकिन कृषि शोध और विकास के लिए कोई बड़ी बढ़ोतरी नहीं है। पीएम किसान सम्मान निधि चालू साल के स्तर पर ही है। यही नहीं किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख किया गया है लेकिन उसके लिए ब्याज छूट का प्रावधान पिछले बजट के स्तर पर ही रखा गया है।

किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा बढ़ने का फायदा जरूर कुछ किसानों को मिलेगा, लेकिन यह बात भी एक तथ्य है कि देश में 88 फीसदी किसान लघु और सीमांत किसान हैं और उनकी जोत का औसत एक हैक्टेयर से कम है। ऐसे में इस सीमा के बढ़ने का फायदा कुछ किसानों को ही मिलेगा क्योंकि बैंक द्वारा फाइनेंशिलय वैल्यू के आधार पर ही क्रेडिट की सीमा तय की जाती है।

पीएम फसल बीमा के लिए चालू साल के संशोधित अनुमान 15864 करोड़ रुपये के मुकाबले नये साल के लिए 12242 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। केसीसी पर ब्याज छूट के लिए 22600 करोड़ के चालू साल के बराबर ही प्रावधान किया गया है। वहीं पीएम किसान सम्मान योजना के लिए 63500 करोड़ रुपये के प्रावधान को ही बरकरार रखा गया है। पीएमआशा के लिए 6945.36 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया जो पिछले बजट में 6437 करोड़ रुपये था। किसानों को पेंशन देने वाली पीएम मानधन योजना के लिए केवल 120 करोड़ रुपये का प्रावधान है जो पिछले बजट में 100 करोड़ रुपये था। दस हजार एफपीओ बनाने की योजना के लिए 584.60 करोड़ रुपये का प्रवाधान है जो पिछले साल के लगभग बराबर है। एग्री इंफ्रा फंड के लिए ब्याज छूट देने के लिए प्रावधान को 750 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 900 करोड़ रुपये किया गया है। मधुमक्खी पालन के लिए 75 करोड़ और एग्री स्टार्ट-अप के लिए 71.50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

ड्रोन दीदी के लिए बजट को 250 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 676.85 करोड़ रुपये किया गया है। कॉटन मिशन के लिए 500 करोड़ रुपये और मिशन पल्सेज के लिए 1000 करोड़ रुपये दिये गये हैं। मिशन आन वेजिटेबल और फ्रूट के लिए 500 करोड़ रुपये और नेशनल मिशन आन हाइब्रिड के लिए 100 करोड़ और मखाना बोर्ड के लिए भी 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। 

डिपार्टमेंट ऑन एग्रीकल्चर एंड रिसर्च (डेअर) के लिए 10466.39 करोड़ रुपये का प्रावधान है जो पिछले साल के बजट प्रावधान 10156.35 करोड़ रुपये से केवल 310.04 करोड़ रुपये अधिक है। फिशरीज और पशुपालन के बजट में जरूर बढ़ोतरी की गई है। मत्स्त्य संपदा योजना के लिए आवंटन  1500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2465 करोड़ रुपये किया गया है वहीं पशुपालन एवं डेयरी विभाग का बजट 3839.25 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 4840.40 करोड़ रुपये कर दिया है। 

खाद्य प्रसंस्करण के बजट में बढ़ोतरी कर वहां पीएलआई के लिए आवंटन 700 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1200 करोड़ रुपये किया गया है। इसी तरह पीएम किसान संपदा योजना के लिए बजट 630 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 903.38 करोड़ रूपये किया गया है। 

उर्वरकों पर सब्सिडी की नीति में कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। अगले साल में यूरिया के लिए 100839.50 करोड़ रुपये और एनबीएस के तहत एनपीके उर्वरकों पर मिलने वाली सब्सिडी 49 हजार करोड़ रुपये रखा गया है जो चालू साल के संशोधित अनुमानों से थोड़ा कम है।

इस तरह से देखा जाए तो वित्त मंत्री ने कृषि को विकास की गाड़ी में सबसे पहला इंजन तो बनाया है लेकिन कोई बड़ी योजना या बड़ा वित्तीय प्रावधान नहीं किया जो उनकी इस बात का समर्थन करता हो। हालांकि आर्गेनिक उर्वरकों के लिए सब्सिडी को 45 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 150 करोड़ रुपये किया गया है वहीं एग्रोकेमिकल बनाने वाली कंपनियों को पीएलआई के तहत लाया गया है। साथ ही निजी क्षेत्र को कृषि शोध में प्रोत्साहन के लिए रिसर्च पर किये गये खर्च के 200 फीसदी के बराबर डिडक्शन को फिर से लागू कर दिया है। अच्छी बात यह है कि वित्त मंत्री ने किसानों की आय दो गुना करने और नेचुरल फार्मिंग व जीरो बजट फार्मिंग जैसी पुरानी बातों को दोहराने से परहेज रखा है।

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