वनस्पति तेलों का आयात जून में 18 फीसदी बढ़ा, 15.51 लाख टन तेल हुआ आयात

जून 2024 में वनस्पति तेलों के आयात में 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वनस्पति तेलों का आयात जून में बढ़कर 15.51 लाख टन रहा, जो जून 2023 में 13.15 टन था। हालांकि, चालू तेल वर्ष 2023-24 के पहले 8 महीनों में वनस्पति तेलों के आयात में 2 फीसदी की गिरावट आई है।

वनस्पति तेलों का आयात जून में 18 फीसदी बढ़ा, 15.51 लाख टन तेल हुआ आयात

गत जून महीने में वनस्पति तेलों का आयात 18 फीसदी बढ़ा है। इस साल जून में कुल 15.51 लाख टन वनस्पति तेलों का आयात हुआ है, जो जून 2023 के 13.15 लाख टन वनस्पति तेल आयात से 18 फीसदी अधिक है। चालू तेल वर्ष 2023-24 में नवंबर से जून तक पहले 8 महीनों में वनस्पति तेलों के आयात में 2 फीसदी की कमी आई है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) द्वारा जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।

एईए के मुताबिक, तेल वर्ष 2023-24 के पहले 8 महीनों में 1.02 करोड़ टन वनस्पति तेलों का आयात किया, जबकि तेल वर्ष 2022-23 की इसी अवधि में यह 1.04 करोड़ टन था। इस जून महीने में देश में 15.27 लाख टन खाद्य तेल और 23,178 टन गैर खाद्य वनस्पति तेल का आयात हुआ। जबकि, जून 2023 में खाद्य तेल का आयात 13.11 लाख टन और गैर खाद्य वनस्पति तेल का आयात 2900 टन हुआ था। 

चालू तेल वर्ष 2023-24 में नवंबर 2023 से जून 2024 के दौरान 8 महीनों में पाम ऑयल का आयात 4 फीसदी घटा है। यह आयात गत वर्ष में 60.31 लाख टन था, जो इस साल घटकर 57.63 लाख टन रह गया। इस दौरान रिफाइंड ऑयल के आयात में 2 फीसदी और क्रूड ऑयल के आयात में 3 फीसदी की गिरावट आई है। 

एईए के मुताबिक, तेल वर्ष 2023-24 के पहले आठ महीनों के दौरान भारत में सोयाबीन तेल का आयात 18.68 लाख टन रहा, जो नवंबर-जून 2022-23 के दौरान 24.8 लाख टन था। हालांकि, नवंबर-जून 2023-24 के दौरान भारत में सूरजमुखी तेल का आयात बढ़कर 24.63 लाख टन हो गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 18.53 लाख टन था। 

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा, "हमें विश्वास है कि इस वर्ष का बजट कृषि पर ध्यान केंद्रित करेगा। तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने और खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन शुरू करेगा। जिससे आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी।" एसईए ने पूर्व-बजट ज्ञापन में क्रुड और रिफाइंट तेलों के बीच शुल्क के अंतर को 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने की मांग की है। साथ ही क्रूड ऑयल पर वर्तमान शुल्क को 5 फीसदी से बढ़कार 20 फीसदी करने तथा रिफाइंड ऑयल पर शुल्क को बढ़ाकर 35 फीसदी करने की मांग की है।

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