आईसीएआर किसान हित की आड़ में संदिग्ध समझौतों से बाज आए: भारतीय किसान संघ

भारतीय किसान संघ ने प्रस्ताव पास कर आईसीएआर द्वारा निजी कंपनियों के साथ किए संदिग्ध समझौतों को निरस्त करने तथा समझौतों की प्रतियां व पायलट प्रोजेक्ट की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग रखी है।

आईसीएआर किसान हित की आड़ में संदिग्ध समझौतों से बाज आए: भारतीय किसान संघ

भारतीय किसान संघ की ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजित अखिल भारतीय प्रबंध समिति की दो दिवसीय बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के निजी कंपनियों के साथ संदिग्ध समझौतों पर आपत्ति जताते हुए एक प्रस्ताव पास किया गया। संगठन ने आईसीएआर के इन समझौतों को निरस्त कर इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। 

भारतीय किसान संघ की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, बैठक में किसान हितैषी बीज कानून तत्काल बनाने पर भी प्रस्ताव पारित किया गया और कृषि लागत कम करने पर मंथन हुआ। बीज कानून संबधी प्रस्ताव को अखिल भारतीय मंत्री बाबूभाई पटेल तथा आईसीएआर संबधी प्रस्ताव डॉ. सोमदेव शर्मा ने प्रबंध समिति बैठक में रखा।

भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने बताया कि केंद्र सरकार के अधीन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद कृषि क्षेत्र की सर्वोच्च सार्वजनिक कृषि शिक्षा, शोध एवं प्रचार की संस्था है। जिसमें देश भर में 731 कृषि विज्ञान केंद्र का बड़ा नेटवर्क है। इसके बावजूद भी 2023 से लगातार निजी कंपनियों जैसे ऐमाजोन, धानुका, बायर, कोरोमंडल आदि से कृषि शोध, सलाह, तकनीकी मार्गदर्शन व कृषि उत्पाद का व्यापार जैसे विषयों पर लगातार समझौता कर रहा है। 

आईसीएआर के समझौतों पर उठाए सवाल

मोहिनी मोहन मिश्र ने सवाल उठाया कि देश भर के किसानों, किसान संगठनों, कृषक उत्पादक समूह की उपेक्षा कर विदेशी कंपनियों को प्राथमिकता देकर समझौते करना क्या देश हित में है? कंपनियों के चयन में क्या प्रक्रिया, नियम, मापदण्ड अपनाये? जबकि संविधान अनुसार कृषि एक राज्य का विषय है। क्या समझौते के दस्तावेज सार्वजनिक किए गये हैं? आईसीएआर बायर कंपनी से क्या सीखेगा? इन समझौतों में यह स्पष्ट नहीं है कि किस समस्या को हल करने का प्रयास किया जा रहा है। 

मिश्रा ने कहा कि देश के किसान को यह जानने का हक है कि आईसीएआर की क्या मजबूरी है कि कुछ चुनिंदा विदेशी कंपनियों से ही समझौता करना पड़ा। जो संस्थाएं हमारे कृषि क्षेत्र के आर्थिक और पर्यावरण संकट के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें ही हिस्सेदारी देना तर्कसंगत नहीं है। इनका उद्देश्य मात्र मुनाफा कमाना है। 

जवाबदेही का मुद्दा

भारतीय किसान संघ की ओर से पारित प्रस्ताव में चिंता जताई गई कि आईसीएआर भारत की जनता के प्रति जबाबदेह है। यदि आईसीएआर कृषि मंत्रालय द्वारा तय मापदंडों को ताक पर रखकर निर्णय ले रही है तो देश का कृषि मंत्रालय अनभिज्ञ क्यों है? भारतीय किसान संघ ने आईसीएआर को सुझाव दिया कि किसानों के लिए नीतिगत निर्णय लेने से पहले देश के सभी कृषि हितधारकों, किसान संगठनों से चर्चा कर सहमति बनाकर किसान हित में नीति निर्धारित करें। 

समझौते निरस्त करने की मांग

भारतीय किसान संघ ने प्रस्ताव पास कर आईसीएआर द्वारा किए गये संदिग्ध समझौतों को निरस्त करने तथा समझौतों की प्रतियां व पायलट प्रोजेक्ट की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग रखी है। साथ ही इसकी विस्तृत जांच कर इसमें शामिल देश-विरोधी अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही की जाए तथा केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र के सार्वजनिक शोध संस्थानों के लिए पर्याप्त वित्तीय प्रावधान करे।

किसान हितैषी बीज कानून पर प्रस्ताव

भारतीय किसान संघ की बैठक में किसान हितैषी बीज कानून तत्काल बनाने का प्रस्ताव पास किया गया। सही बीज कानून न होने के कारण नकली, अप्रमाणिक व अनाधिकृत बीज धड़ल्ले से बाजार में चल रहे हैं। इन बीजों के कारण किसानों का भारी नुकसान हो रहा है। मूल्य नियंत्रण न होने के कारण किसानों की लागत में बेतहाशा वृद्वि हो रही है। 15 हजार करोड़ के बीज बाजार पर किसान की निर्भरता बढ़ रही है। इसलिए केंद्र सरकार से आग्रह किया कि किसान के शोषण को रोकने के लिए सरकार तुरंत कानून बनाए। जिससे बीज किफायती मूल्यों पर उपलब्ध हो। गलत बीज, नकली बीज बनाने वाली कंपनियों के लिए कड़े दंड का विधान हो और किसानों को अच्छी गुणवत्ता के बीज उचित मूल्य पर मिल सकें। 

कृषि लागत कम करने पर मंथन

भारतीय किसान संघ की बैठक में किसानों की कृषि लागत कम करने पर भी मंथन हुआ। देश भर से आए किसानों ने सुझाव रखे कि सरकार को किसान सम्मान निधि में इजाफा कर किसान को आर्थिक मदद देनी चाहिए। कृषि आदानों पर जीएसटी कम करने की मांग भी किसानों द्वारा रखी गई। किसानों ने खाद सब्सिडी के नाम पर कंपनीयों को दी जाने वाली सब्सिडी किसानों को देने, सस्ती बिजली, पानी देनेेे की मांग को रखा।

बैठक में देश भर के दो सौ से अधिक किसान प्रतिनिधि सम्मिलित हुए। भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय अध्यक्ष बद्रीनारायण चौधरी, कार्यकारी अध्यक्ष रामभरोस वासोतिया, महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र, संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी, महिला आयाम प्रमुख मंजू दीक्षित, मंत्री वीणा सतीश और सुशीला सिंह उपस्थिति रहे। 

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