संयुक्त किसान मोर्चा के "राजभवन चलो” कार्यक्रम के आह्वान पर किसानों ने राज्यों की राजधानियों में रैली की
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर किसानों ने शुक्रवार को राज्यों की राजधानियों और 300 से अधिक जिला मुख्यालयों और कई तहसील मुख्यालयों पर विरोध सभाएँ आयोजित की। संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक कि पूरे भारत में 3000 से अधिक विरोध प्रदर्शन हुए। किसान विरोधी भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने और किसानों की मांगों का ज्ञापन सौंपने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के 'राजभवन चलो' आह्वान में शामिल होने के लिए लाखों किसान और नागरिक सड़कों पर उतरे
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के आह्वान पर किसानों ने शुक्रवार को राज्यों की राजधानियों और 300 से अधिक जिला मुख्यालयों और कई तहसील मुख्यालयों पर विरोध सभाएँ आयोजित की। संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक कि पूरे भारत में 3000 से अधिक विरोध प्रदर्शन हुए। किसान विरोधी भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराने और किसानों की मांगों का ज्ञापन सौंपने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के 'राजभवन चलो' आह्वान में शामिल होने के लिए लाखों किसान और नागरिक सड़कों पर उतरे। संयुक्त मोर्चा ने इस संबंध में प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि राज्यपालों के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को, केंद्र में सत्ताधारी दल की किसान विरोधी गतिविधियों में हस्तक्षेप करने और रोकने के लिए किसानों ने अपनी मांगों का ज्ञापन दिया।
चंडीगढ़, लखनऊ, पटना, कोलकाता, त्रिवेंद्रम, चेन्नई हैदराबाद, भोपाल, जयपुर और कई अन्य राज्यों की राजधानियों में लाखों लोगों का भारी जमावड़ा देखा गया। संयुक्त किसान मोर्चा का अनुमान है कि 5 लाख से अधिक किसान, एक सामूहिक शक्ति का बड़े पैमाने पर प्रदर्शन और किसानों की सभी मांगों के पूरा होने तक संघर्ष जारी रखने के संकल्प के साथ, आज भारत की सड़कों पर उतरे हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा की मांगों में, संबंधित राज्यों की प्रमुख स्थानीय मांगों के साथ (1) सभी फसलों के लिए कानूनी रूप से गारंटीकृत सीटू+50% न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) (2) एक व्यापक ऋण माफी योजना के माध्यम से कर्ज मुक्ति (3) बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लेना (4) लखीमपुर खीरी में किसानों के नरसंहार के आरोपी केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी एवं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई (5) प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की फसल बर्बाद होने पर शीघ्र क्षतिपूर्ति के लिए व्यापक एवं प्रभावी फसल बीमा योजना (6) सभी मध्यम, छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों को ₹ 5,000 प्रति माह की किसान पेंशन (7) किसान आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज सभी झूठे मामलों को वापस लेना (8) किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान शामिल है।
मोर्चा का कहना है कि भारत में 26 नवंबर की तारीख का विशेष महत्व है। यह हमारा संविधान दिवस है, जब हमारे संविधान पर हस्ताक्षर किए गए जो बाद में देश के कानूनों की नींव बनी। 26 नवंबर 2020 को ही एसकेएम ने ऐतिहासिक "दिल्ली चलो" आंदोलन शुरू किया था, जो दुनिया का सबसे लंबा और सबसे बड़ा किसान आंदोलन बन गया, और किसानों को उनकी जमीन और आजीविका से बेदखल करने के लिए कॉर्पोरेट-राजनीतिक गठजोड़ के खिलाफ किसानों की आश्चर्यजनक जीत हुई। आज 26 नवंबर को राष्ट्रव्यापी "राजभवन मार्च" किसानों के विरोध के अगले चरण की शुरुआत का प्रतीक है।