राजस्थान और गुजरात के बाद यूपी, पंजाब, हरियाणा में भी फैला लंपी रोग, पशुपालकों की बढ़ी चिंता

संक्रामक लंपी रोग से राजस्थान और गुजरात में बड़ी संख्या में गायों की मौत हो चुकी है। अब इस रोग से ग्रसित पशु उत्तर प्रदेश, उतराखंड, पंजाब और हरियाणा में मिलने से पशुपालकों को डर सता रहा है। विशेषज्ञों का कहना है इस बीमारी को केवल वैक्सीन के जरिए रोका जा सकता है

राजस्थान और गुजरात के बाद यूपी, पंजाब, हरियाणा में भी फैला लंपी रोग, पशुपालकों की बढ़ी चिंता

देश के कई राज्यों में गाय-भैंसों में गांठदार त्वचा रोग यानि लंपी डिजीज वायरस का संक्रमण बढ़ता जा रहा है। पहले गुजरात और राजस्थान  के बाद अब देश के कई राज्यों में इस रोग फैलने की खबरें आ रही हैं। राजस्थान और गुजरात में बड़ी संख्या में गायों की मौत हो चुकी है। चूंकि इस बीमारी का अभी तक कोई ठोस इलाज नहीं है। लंपी डिजीज एक संक्रामक रोग है जो एक वायरस के कारण तेजी से फैलता है। अब इस रोग से ग्रसित पशु उत्तर प्रदेश, उतराखंड पंजाब और हरियाणा में मिलने से  पशुपालकों  को  डर सता रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि  इस बीमारी को केवल वैक्सीन के जरिए रोका जा सकता है।

 इस बीमारी की गंभीरता और इसके चलते राजस्थान में पैदा स्थिति का आकलन करने के लिए पिछले दिनों केंद्रीय पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने राजस्थान का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने राजस्थान सचिवालय में राजस्थान के पशुपालन मंत्री और अधिकारियों के साथ बैठक की। रूपाला ने राज्य सरकार से जरूरी मामलों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा कि टीकाकरण और उपचार में लगे कर्मचारियों को भी स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि संक्रमित जानवर के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इंजेक्शन या अन्य साधनों से दूसरे जानवर को भी खतरा हो सकता है।

क्या है लंपी स्किन डिजीज

इस रोग के संबध के रूरल वॉयस ने नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगकी विश्वविद्यालय कुमार गंज के सहायक प्रध्यापक और पशु रोग विशेषज्ञ डॉ राजपाल दिवाकर से बात की। उन्होंने बताया कि यह रोग गायों एवं भैंसों में कैंप्री पॉक्स वायरस के संक्रमण से होता है। यह मच्छर, मक्खी के पशुओं को लार,जूठे जल एवं पशु के चारे के द्वारा फैलता है। संक्रमित पशु के शरीर पर बैठने वाली किलनी, मच्छर व मक्खी  से भी यह फैलता है। इससे सिर और गर्दन के हिस्सा में काफी तेज दर्द होता है। पशुओं की दूध देने की क्षमता भी कम हो जाती है। बीमार पशुओं को एक दूसरे जगह ले जाने या उसके संपर्क में आने वाले स्वस्थ पशु भी संक्रमित हो जाते हैं। गायों और भैंसों के एक साथ तालाब में पानी पीने-नहाने और एकत्रित होने से भी रोग का प्रसार हो सकता है।

कब फैलता है यह रोग

डॉ. दिवाकर ने बताया कि लंपी स्किन डिजीज बीमारी का प्रकोप गर्म एवं नमी वाले मौसम में अधिक होता है। मौजूदा समय में जिस तरह से गर्मी व उमस बढ़ रही है उससे रोग फैलने का खतरा भी बढ़ा है। हालांकि ठंड के मौसम में स्वतः इसका प्रभाव कम हो जाता है।

रोग के लक्षण

डॉ दिवाकर ने बताया कि लंपी स्किन डिजीज  में पशु की त्वचा पर ढेलेदार  गांठ बन जाती है। यह पूरे शरीर में दो से पांच सेंटीमीटर व्यास के नोड्यूल (गांठ) के रूप में पनपता है। खास कर सिर, गर्दन, लिंब्स और जननांगों के आसपास के हिस्से में इन गांठों का फैलाव होता है। संक्रमित होने के बाद कुछ ही घंटों के बाद पर पूरे शरीर में गांठ बन जाती है। इसके साथ ही मवेशी की नाक एवं आंख से पानी निकलने लगता है। मवेशी बुखार की जद में आ जाते हैं। मवेशी अगर गर्भ से है तो गर्भपात भी हो सकता है। ज्यादा संक्रमण से ग्रसित हो तो निमोनिया होने के कारण पैरों में सूजन भी आ सकती है|

कैसे करें नियंत्रण बचाव

डॉ. दिवाकर के अनुसार लंपी स्किन डिजीज का अभी कोई भी पुख्ता इलाज नहीं है। टीकाकरण ही रोकथाम का सबसे प्रभावी साधन है। स्टेरॉयड एंटीइन्फ्लेमेटरी और एंटीबायोटिक दवाओं के प्रयोग से रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है। संक्रमित पशु को एक जगह बांधकर रखें। उन्हें स्वस्थ्य पशुओं के संपर्क में न आने दें। स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराएं तथा बीमार पशुओं को बुखार एवं दर्द की दवा तथा लक्षण के अनुसार उपचार करें। पशु मंडी या बाहर से नए पशुओं को खरीद कर पुराने पशुओं के साथ ना रखें, उन्हें कम से कम 15 दिन तक अलग क्वॉरेंटाइन में रखे।

पशुओं से मानव में संक्रमण नहीं 

डॉ दिवाकर ने कहा कि वायरस जनित यह रोग जूनोटिक डिजीज की श्रेणी में नहीं आता है। लिहाजा पशुपालक इससे अकारण भयभीत न हों। बीमार पशु के दूध को ऊबाल कर  सेवन करने से इस बीमारी का इंसान के शरीर पर इसका कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। सोशल मीडिया पर चल रही इस रोग की भ्रांति से पशुपालक सतर्क रहें।

 

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