निर्यात पाबंदियों में ढील के बाद प्याज महंगाई रोकने की चुनौती, बफर स्टॉक से बिक्री बढ़ाई

प्याज की कीमतों में वृद्धि की आशंका को देखते हुए सरकार का दारोमदार 4.7 लाख टन के बफर स्टॉक और नए सीजन के प्याज की आपूर्ति पर है।

निर्यात पाबंदियों में ढील के बाद प्याज महंगाई रोकने की चुनौती, बफर स्टॉक से बिक्री बढ़ाई

हाल ही में प्याज पर 550 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) की पाबंदी हटाने और निर्यात शुल्क को 40 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी किए जाने के बाद अब सरकार के सामने प्याज की महंगाई रोकने की चुनौती है। इसके लिए केंद्र सरकार ने बफर स्टॉक से बिक्री बढ़ाकर प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। इस खरीफ सीजन में प्याज की बुवाई का क्षेत्र बढ़ने और मानसून में अच्छी बारिश के चलते देश में प्याज का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है जिससे कीमतों पर काबू पाने में मदद मिलेगी। 

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों के थोक बाजारों में बफर स्टॉक से प्याज उतारना शुरू कर दिया है। साथ ही देश भर में रियायती दर पर प्याज की खुदरा बिक्री बढ़ाने की योजना है।

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को राजधानी दिल्ली में प्याज का खुदरा भाव 58 रुपये किलो था जो एक साल पहले 38 रुपये किलो था। हालांकि, दिल्ली-एनसीआर के कई खुदरा बाजारों में प्याज के दाम 70-80 रुपये किलो तक पहुंच गये हैं। 

निर्यात पाबंदियों में ढील के बाद प्याज की कीमतों में 20-25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। आगामी त्योहारी सीजन और प्याज की कीमतों में वृद्धि की आशंका को देखते हुए सरकार का दारोमदार 4.70 लाख टन के बफर स्टॉक और नए सीजन के प्याज की आपूर्ति पर है। प्याज की महंगाई पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने गत 5 सितंबर से दिल्ली समेत कई शहरों में 35 रुपये किलो के रेट पर प्याज की बिक्री शुरू कर दी थी। अब सरकार का फोकस उन शहरों पर है जहां प्याज की कीमतें राष्ट्रीय औसत से अधिक हैं। जल्द ही इन शहरों में भी रियायती दर पर प्याज की खुदरा बिक्री शुरू की जाएगी।

इस साल केंद्र सरकार ने बफर स्टॉक के लिए 4.70 लाख टन प्याज की खरीद की है जो पिछले साल बफर स्टॉक के लिए हुई 3.05 लाख टन प्याज खरीद से काफी अधिक है। इसलिए सरकार इस साल अधिक शहरों में रियायती दरों पर प्याज की खुदरा बिक्री करवाने की स्थिति में है। इस खरीफ सीजन में प्याज की बुवाई का क्षेत्र भी बढ़ा है जिससे उत्पादन बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। ये दोनों फैक्टर प्याज की कीमतों पर नियंत्रण में मददगार होंगे।    

महाराष्ट्र के किसान नेता अनिल घनवट ने रूरल वॉयस को बताया कि प्याज के निर्यात पर एमईपी हटने और निर्यात शुल्क घटने के बाद किसानों को बेहतर भाव मिल रहा है। महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज का भाव 5000-5500 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया है जो 10 दिन पहले तक 3500-4000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास था। इसलिए खुदरा बाजारों में प्याज 70-75 रुपये किलो के आसपास मिल रहा है। घनवट का कहना है कि प्याज के ये खुदरा दाम नवंबर तक ऐसे ही रहेंगे।

प्याज के मामले में सरकार की उम्मीद अगले महीने शुरू होने वाले नए सीजन के प्याज की आवक पर टिकी है। इस खरीफ सीजन के दौरान देश में प्याज की बुवाई का क्षेत्र बढ़ा है। कृषि मंत्रालय के अनुसार, 26 अगस्त तक खरीफ प्याज की बुवाई का क्षेत्र 2.90 लाख हेक्टेयर क्षेत्र तक पहुंच गया था जो पिछले वर्ष इसी अवधि तक 1.94 लाख हेक्टेयर था। इसके अलावा, लगभग 38 लाख टन प्याज अभी भी किसानों और व्यापारियों के पास भंडारण में होने का अनुमान है। मानसून सीजन में अच्छी बारिश के कारण प्याज की बढ़िया पैदावार की उम्मीद की जा रही है। 

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