10 साल में भी दोगुना नहीं हुआ कई फसलों का MSP, यूपीए के समय हुई थी तीन गुना तक बढ़ोतरी

जिन फसलों की एमएसपी पर सरकारी खरीद अधिक होती है, सरकार ने उनके एमएसपी कम बढ़ाए हैं जबकि जिन फसलों की एमएसपी पर खरीद नहीं होती या बहुत कम खरीद होती है उनके एमएसपी में अधिक बढ़ोतरी की गई है।

10 साल में भी दोगुना नहीं हुआ कई फसलों का MSP, यूपीए के समय हुई थी तीन गुना तक बढ़ोतरी

केंद्र सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। अगर पिछले 20 वर्षों में एमएसपी में हुई बढ़ोतरी को देखें तो यूपीए सरकार का प्रदर्शन मोदी सरकार से बेहतर रहा है। 

वर्ष 2024-25 के लिए खरीफ की मुख्य फसल धान का एमएसपी 5.36 फीसदी बढ़ा है जबकि ज्वार का एमएसपी 6.01 फीसदी, बाजरा का 5 फीसदी, मक्का का 6.46 फीसदी, रागी का 11.54 फीसदीमूंगफली का 6.37 फीसदी, सूरजमुखी का 7.69 फीसदी, सोयाबीन का 6.35 फीसदी, तिल का 7.32 फीसदी और कपास (मध्यम रेशा) का एमएसपी 7.57 फीसदी बढ़ाया गया है। सर्वाधिक 12.71 फीसदी एमएसपी नाइजरसीड का बढ़ा है। 

दलहन के मामले में आत्मनिर्भरता के लिए किसानों को दालें उगाने के लिए प्रोत्साहन देने की जरूरत है। लेकिन मूंग का एमएसपी मात्र 1.45 फीसदी बढ़ाया गया है। अरहर के एमएसपी में 7.86 फीसदी और उड़द का एमएसपी 6.47 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। 

जिन फसलों की एमएसपी पर सरकारी खरीद अधिक होती है, सरकार ने उनके एमएसपी कम बढ़ाए हैं जबकि जिन फसलों की एमएसपी पर खरीद ही नहीं होती या बहुत कम खरीद होती है उनके एमएसपी में अधिक बढ़ोतरी की गई है।

सबसे ज्यादा 983 रुपये यानी 12.71 फीसदी एमएसपी नाइजरसीड का बढ़ा है। लेकिन सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में सरकार ने नाइजरसीड की शून्य खरीद की है। इसी प्रकार रागी का एमएसपी 11.54 फीसदी बढ़ाया गया है जिसकी बहुत कम सरकारी खरीद होती है। 

सबसे ज्यादा सरकारी खरीद वाली उपज धान का एमएसपी 5.36 फीसदी बढ़ाकर 2300 रुपये प्रति कुंतल किया गया है जबकि छत्तीसगढ़ सरकार पहले ही 3100 रुपये प्रति कुंतल के भाव पर धान की खरीद कर रही है और ओडिशा में भी इसी भाव पर खरीद का वादा किया गया है।

मोदी सरकार बनाम यूपीए सरकार  

अगर कांग्रेस की यूपीए सरकार के दस वर्षों (2003-04 से 2013-14) और भाजपा की मोदी सरकार के 10 वर्षों (2013-14 से 2023-24) में खरीफ फसलों के एमएमपी वृद्धि की तुलना करें तो यूपीए के कार्यकाल में खरीफ फसलों के एमएसपी 108 से 228 फीसदी तक बढे थे, जबकि मोदी सरकार के 10 वर्षों में खरीफ फसलों के एमएसपी 59 से 156 फीसदी तक बढ़े। 

मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन खरीफ की अधिकांश फसलों के एमएसपी में मोदी सरकार के 10 वर्षों के दौरान दोगुना से कम बढ़ोतरी हुई। 

खरीफ की प्रमुख फसल धान का एमएसपी 2003-04 में 550 रुपये था जो 2013-14 में 138 फीसदी बढ़कर 1310 रुपये प्रति कुंतल हो गया था। लेकिन 2013-14 से 2023-24 तक धान का एमएसपी 66 फीसदी ही बढ़ा और 2183 रुपये निर्धारित किया गया। यूपीए के कार्यकाल में सबसे ज्यादा 228 फीसदी बढ़ोतरी मूंग के एमएसपी में हुई जो 2003-04 में 1370 रुपये से बढ़कर 2013-14 में 4500 रुपये प्रति कुंतल तक पहुंच गया। लेकिन उसके बाद 10 वर्षों में मूंग का एमएसपी 90 फीसदी ही बढ़ा। यूपीए के कार्यकाल में अरहर, उड़द, ज्वार, रागी और सूरजमुखी का एमएसपी करीब तीन गुना हो गया था। 

मोदी सरकार के पहले दो कार्यकाल (2013-14 से 2013-24) के दौरान खरीफ की अधिकांश फसलों के एमएसपी में दोगुने से कम बढ़ोतरी हुई है। इन 10 वर्षों में सबसे कम 59.43 फीसदी एमएसपी मूंगफली और 59.54 फीसदी मक्का का बढ़ा। इस दौरान अरहर और उड़द का एमएसपी क्रमश: 61.63 फीसदी और 62.79 फीसदी बढ़ाया गया।

2013-14 से 2013-24 के बीच सबसे अधिक 156 फीसदी एमएसपी रागी का बढ़ा है, जबकि नाइजरसीड का एमएसपी 121 फीसदी, ज्वार का 112 फीसदी और बाजरा का एमएसपी 100 फीसदी बढ़ाया गया। जबकि दालों के एमएसपी में 61 से 90 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई। 

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