जून में थोक महंगाई 16 महीने के उच्चतम स्तर पर, दालें 21.64%, सब्जियां 38.76% महंगी

जून महीने में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित सालाना महंगाई दर 16 महीनों के उच्चतम स्तर 3.36 फीसदी पर पहुंच गई है। फल-सब्जियों और खाने-पीने की वस्तुओं के महंगे होने के कारण थोक महंगाई नई ऊंचाई पर पहुंची है। यह लगातार चौथा महीना था जब थोक महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है

जून में थोक महंगाई 16 महीने के उच्चतम स्तर पर, दालें 21.64%, सब्जियां 38.76% महंगी

जून महीने में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित सालाना महंगाई दर 16 महीनों के उच्चतम स्तर 3.36 फीसदी पर पहुंच गई है। फल-सब्जियों और खाने-पीने की वस्तुओं के महंगे होने के कारण थोक महंगाई नई ऊंचाई पर पहुंची है। यह लगातार चौथा महीना था जब थोक महंगाई दर में बढ़ोतरी हुई है। जून में खुदरा महंगाई भी चार महीने के उच्चतम स्तर 5.1 फीसदी पर पहुंच गई थी।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, जून में खाद्य वस्तुओं की थोक महंगाई 10.87 फीसदी थी। इस दौरान प्याज की महंगाई 93.35 फीसदी, आलू की 66.37 फीसदी, सब्जियों की 38.76 फीसदी, दालों की 21.64 फीसदी, अनाज की महंगाई 9.27 फीसदी और फलों की महंगाई 10.14 फीसदी बढ़ी है। गत मई में थोक महंगाई दर 2.61 प्रतिशत थी जबकि पिछले साल जून में थोक महंगाई दर (-) 4.18 फीसदी रही थी। 

जून महीने में अंडा, मीट और मछली की थोक महंगाई 3.06 फीसदी और तिलहन की थोक महंगाई 3.33 फीसदी कम हुई है। इस दौरान दूध की महंगाई 3.37 फीसदी बढ़ी। फल-सब्जियों और दालों की महंगाई बढ़ने के कारण थोक मूल्य सूचकांक के फूड इंडेक्स में सालाना आधार पर 8.68 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मई में फूड इंडेक्स में 7.40 फीसदी बढ़ोतरी हुई थी। मैन्युफैक्चर्ड फूड प्रोडक्टस की महंगाई भी 4.28 फीसदी बढ़ी है।       

कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की बढ़ती कीमतों के कारण भी थोक महंगाई दर बढ़ी है। जून में क्रूड पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की थोक महंगाई 12.55 फीसदी रही जबकि टेक्सटाइल की महंगाई 1.19 फीसदी थी। विनिर्मित उत्पादों में, मुद्रास्फीति जून में 1.43 प्रतिशत रही, जो मई में 0.78 प्रतिशत थी। ईंधन और बिजली क्षेत्र में मुद्रास्फीति 1.03 प्रतिशत रही। , जो मई में 1.35 प्रतिशत से मामूली कम है।

इस साल अच्छे मानसून के अनुमान के चलते कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन मई-जून में भीषण गर्मी और मानसून पूर्व बारिश में कमी के चलते फल-सब्जियों की उपज को नुकसान पहुंचा। इससे खाद्य वस्तुओं की महंगाई बढ़ी है। दालों की बढ़ती महंगाई भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।

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