संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के खिलाफ फिर से आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया
संयुक्त किसान मोर्चा ने एमएसपी की कानूनी गारंटी, कर्जमाफी समेत लंबित मांगों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन को फिर से शुरू करने का फैसला किया है।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक बार फिर केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन के लिए कमर कस ली है। फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी और कर्जमाफी सहित कई लंबित मांगों को एसकेएम ने केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है।
बुधवार को दिल्ली में हुई एसकेएम की जनरल बॉडी की बैठक में भावी आंदोलन की रणनीति तय की गई। गुरुवार को एसकेएम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी। एसकेएम 16, 17, 18 जुलाई को किसानों की मांगों को लेकर सभी सांसदों को ज्ञापन सौंपेगा। एसकेएम के नेता प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष से मिलने का प्रयास करेंगे। 9 अगस्त को भारत को डब्ल्यूटीओ से बाहर लाने की मांग करने हुए देशव्यापी प्रदर्शन किए जाएंगे। 17 अगस्त को एसकेएम पंजाब यूनिट राज्य के मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री और सभी मंत्रियों के घरों पर प्रदर्शन करेगी।
एसकेएम ने केंद्र सरकार के साथ 9 दिसंबर, 2021 को हुए समझौते को लागू करने की मांग उठाते हुए किसान आंदोलन को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है। एसकेएम के नेताओं ने भाजपा की एनडीए सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाते हुए वादाखिलाफी की निंदा की। मोर्चा का कहना है कि भाजपा-एनडीए सरकार की कॉर्पोरेट समर्थक नीतियों में कोई बदलाव नहीं आया है। इसलिए किसानों और खेत मजदूरों के मुद्दों पर आंदोलन करना जरूरी है।
विधानसभा चुनावों पर नजर
हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए एसकेएम की प्रदेश समन्वय समिति भाजपा के खिलाफ अभियान की रणनीति तय करेगी। संयुक्त संघर्ष के लिए ट्रेड यूनियनों के साथ तालमेल किया जाएगा। एसकेएम ने लोकसभा चुनाव में 400 पार का नारा देने वाली भाजपा को 240 सीटों तक सीमित रखने के लिए देश के किसान और मजदूरों को धन्यवाद दिया है। एसकेएम का दावा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को किसान आंदोलन के प्रभाव वाले राज्यों में 38 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा और ग्रामीण बहुल 159 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। यूपी के लखीमपुर खीरी में अजय मिश्रा टेनी और झारखंड के खूंटी में अर्जुन मुंडा (पूर्व कृषि मंत्री) की हार को किसानों के संघर्ष का नतीजा बताया।
क्या हैं प्रमुख मांगें
एसकेएम ने सभी फसलों की खरीद के साथ सी2 लागत पर डेढ़ गुना एमएसपी की कानूनी गारंटी, किसानों की कर्जमाफी, पेंशन, एग्री इनपुट पर जीएसटी समाप्त करने, बिजली का निजीकरण रोकने, फसल बीमा योजना में सुधार, पराली के मुद्दे और कृषि के लिए अलग बजट सहित कई मांगें उठाई हैं। साथ ही किसान आंदोलन के दौरान सभी शहीदों के परिवारों को मुआवजा देने, किसानों पर दर्ज केस वापस लेने तथा 736 शहीद किसानों की याद में सिंघु या टिकरी बॉर्डर पर शहीद स्मारक बनाने की मांग भी की है।
संयुक्त किसान मोर्चा की जनरल बॉडी मीटिंग में 17 राज्यों से विभिन्न किसान संगठनों के 143 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसमें डॉ. अशोक धावले, डॉ. दर्शन पाल, युद्धवीर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, रेवुला वेंकैया, मेधा पाटकर, सत्यवान, रुलदू सिंह मानसा, डॉ. सुनीलम, अविक साहा, डॉ. आशीष मित्तल, तजिंदर सिंह विर्क और कंवरजीत सिंह शामिल थे। गुरुवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में डॉ. सुनीलम, अविक साहा, पी कृष्णप्रसाद, आर वेंकैया और प्रेम सिंह गहलावत मौजूद रहे।