प्रमुख गेहूं उत्पादन क्षेत्रों में बाधाओं के चलते इसकी वैश्विक आपूर्ति पर गहराया संकट
रूस का अनाज उद्योग हाल के दशकों में अपने सबसे गंभीर संकट का सामना कर रहा है। इस बार वहां सर्दियों की फसल को 23 वर्षों में सबसे खराब बताया जा रहा है। लगभग 38% फसल खराब स्थिति में है। केवल 31% फसलें अच्छी स्थिति में हैं, जो पिछले वर्ष के 74% से काफी कम है।
भू-राजनीतिक तनाव, प्रतिकूल मौसम की स्थिति और आर्थिक दबाव एक साथ आ जाने से वैश्विक गेहूं बाजार में संकट के हालात बनते जा रहे हैं। इस संकट के केंद्र में दुनिया का सबसे बड़ा गेहूं निर्यातक रूस है। वह इस बार कई दशक में सबसे खराब सर्दियों की फसल का सामना कर रहा है। अन्य प्रमुख गेहूं उत्पादक देशों में अलग तरह की बाधाएं और रूस-यूक्रेन युद्ध अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अनिश्चितता पैदा कर रहे हैं। इस वर्ष वैश्विक गेहूं आपूर्ति में गिरावट का अनुमान है।
रूस का अनाज उद्योग हाल के दशकों में अपने सबसे गंभीर संकट का सामना कर रहा है। इस बार वहां सर्दियों की फसल को 23 वर्षों में सबसे खराब बताया जा रहा है। लगभग 38% फसल खराब स्थिति में है। केवल 31% फसलें अच्छी स्थिति में हैं, जो पिछले वर्ष के 74% से काफी कम है।
यह संकट प्रतिकूल मौसम, टेक्नोलॉजी में गिरावट और आर्थिक दबावों का मिलाजुला परिणाम है। पहले तो अप्रैल से अक्टूबर 2024 तक चलने वाले सूखे ने फसल को गंभीर रूप से प्रभावित किया। हालांकि, रूसी अनाज यूनियन (आरजीयू) का मानना है कि यह संकट केवल मौसम के कारण नहीं है। कृषि प्रौद्योगिकी में तेज गिरावट ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है। पश्चिमी देशों ने 2021 से उच्च गुणवत्ता वाले बीजों पर निर्यात शुल्क और आयात कोटा लगा रखा है। इसने रूस में उत्पादकता को प्रभावित किया है। रूसी बीजों की गुणवत्ता तुलनात्मक रूप से कम है।
कर्ज महंगा होने और आर्थिक अस्थिरता के कारण भी किसान आधुनिक कृषि मशीनरी खरीद नहीं पा रहे हैं। वहां 2024 में कृषि उपकरणों की बिक्री में 16.5% गिरावट आई, जबकि अनाज हार्वेस्टर उत्पादन 18% घटा है। ब्याज दर 21% तक बढ़ाने के निर्णय ने कॉमर्शियल लोन को लगभग असंभव बना दिया है। गेहूं उत्पादन में कभी 32.5% की रिकॉर्ड लाभप्रदता थी, वह अब घाटे में चल रहा है।
खर्च कम करने के लिए किसानों ने उर्वरकों का कम उपयोग, सरल कृषि तकनीकों को अपनाने और निम्न गुणवत्ता वाले बीजों का उपयोग करने जैसे कदम उठाए हैं। इन कारणों से फसल चरम मौसम की स्थिति से नहीं निपट पा रही है। इससे उत्पादन और लाभप्रदता में गिरावट का दुष्चक्र बन गया है। युद्ध के कारण सशस्त्र बलों में भर्ती और शहरी क्षेत्रों में बेहतर अवसरों के कारण श्रमिकों की भी कमी हुई है। रूस का अनाज उत्पादन 2022 के रिकॉर्ड 15.36 करोड़ टन से घटकर 2024 में 13 करोड़ टन रह गया है, जबकि सरकार ने 2030 तक 17 करोड़ टन का लक्ष्य रखा था।
वैश्विक गेहूं बाजार की परिस्थितियां
दुनिया के सबसे बड़े गेहूं निर्यातकों में से एक होने के नाते, रूसी आपूर्ति में कोई भी बाधा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर प्रभाव डाल सकती है। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) की दिसंबर 2024 की रिपोर्ट ने 2024-25 के लिए वैश्विक गेहूं आपूर्ति, खपत और व्यापार में गिरावट का अनुमान लगाया। वैश्विक गेहूं आपूर्ति 6 लाख टन घटकर 106 करोड़ टन रहने की उम्मीद है। यूरोपीय संघ और ब्राजील में उत्पादन में कमी आई है। ईयू का उत्पादन 13 लाख टन घटकर 12.13 करोड़ टन रहने का अनुमान है।
दक्षिणी गोलार्ध में विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया में बेहतर फसल ने कुछ राहत प्रदान की है, लेकिन भू-राजनीतिक तनाव भी बाजार की स्थिरता को प्रभावित कर रहा है। युद्ध के कारण रूस और यूक्रेन निर्यात बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। रूस की तरफ से लगाए गए निर्यात कोटा और यूक्रेन के बंदरगाह संचालन में व्यवधान ने व्यापार को और जटिल बना दिया है।
युद्ध का गेहूं पर ऐतिहासिक प्रभाव
युद्ध के दौरान गेहूं का रणनीतिक महत्व कोई नई बात नहीं है। वर्ल्ड ग्रेन ने डेनिस वोजनेसेन्स्की की पुस्तक वॉर एंड व्हीट: नैविगेटिंग मार्केट्स ड्यूरिंग ग्लोबल कॉन्फ्लिक्ट के हवाले से लिखा है कि गेहूं ऐतिहासिक रूप से युद्धरत राष्ट्रों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन रहा है। विश्व युद्धों के दौरान भी गेहूं आपूर्ति पर नियंत्रण ने आबादी और सरकारों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रूस-यूक्रेन युद्ध भी इस ऐतिहासिक प्रवृत्ति को दर्शाता है।
रूस ने यूक्रेन की उपजाऊ कृषि भूमि और बंदरगाहों पर नियंत्रण किया है। यह उसके भू-राजनीतिक दांव को उजागर करता है। युद्ध के दौरान गेहूं आपूर्ति में व्यवधान से अक्सर मूल्य वृद्धि और सामाजिक अशांति होती है। अरब स्प्रिंग के दौरान भी यह देखा गया था। वोजनेसेन्स्की चेतावनी देते हैं कि काला सागर संघर्ष का गेहूं व्यापार पर प्रभाव यदि अनसुलझा रहा तो यह व्यापक वैश्विक अस्थिरता में बदल सकता है।