विश्व बाजार में अनाज और चीनी के दाम में गिरावट का रुख लेकिन वनस्पति तेल महंगे हुए: एफएओ
मार्च में अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाने-पीने की चीजों के दाम में कुल मिलाकर थोड़ी कमी देखने को मिली है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) का फूड प्राइस इंडेक्स मार्च में 118.3 अंक पर रहा जो एक साल पहले की तुलना में 7.7% कम है। हालांकि पिछले महीने वनस्पति तेल, डेयरी प्रोडक्ट और मीट के दाम बढ़े जबकि अनाज की कीमतों में गिरावट आई है।
मार्च में अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाने-पीने की चीजों के दाम में कुल मिलाकर थोड़ी कमी देखने को मिली है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) का फूड प्राइस इंडेक्स मार्च में 118.3 अंक पर रहा जो एक साल पहले की तुलना में 7.7% कम है। हालांकि पिछले महीने वनस्पति तेल, डेयरी प्रोडक्ट और मीट के दाम बढ़े जबकि अनाज की कीमतों में गिरावट आई है। भारत में बेहतर उत्पादन की सूचना से चीनी के दाम में भी नरमी आई है।
एफएओ के अनुसार पिछले महीने वनस्पति तेलों के दाम में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई। फरवरी के मुकाबले इसका इंडेक्स 8% बढ़ा है। पाम, सोया, सनफ्लावर और रेपसीड सभी तेलों की कीमतों में वृद्धि हुई है। ग्लोबल मार्केट में पाम तेल के दाम बढ़ने का कारण प्रमुख उत्पादक देशों में उपज में कमी आना है। इसके अलावा दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में इसकी डिमांड भी मजबूत है। बायोफ्यूल सेक्टर में खासकर ब्राजील और अमेरिका से मांग आने के कारण सोया ऑयल कई साल के निचले स्तर से ऊपर आ गया है।
डेयरी प्राइस इंडेक्स में लगातार छठे महीने वृद्धि हुई है। फरवरी के मुकाबले यह 2.9% बढ़ा है। विश्व बाजार में चीज और बटर के दाम बढ़ने के कारण इस इंडेक्स में वृद्धि हुई है। फाओ का मीट प्राइस इंडेक्स भी फरवरी के मुकाबले 1.7% बढ़ा है।
इन कमोडिटी के विपरीत फाओ का अनाज मूल्य सूचकांक 2.6% कम हुआ है। मार्च 2023 से तुलना करें तो इसमें 20% की गिरावट आई है। यह गिरावट मुख्य रूप से ग्लोबल मार्केट में गेहूं के निर्यात मूल्य में कमी आने के कारण है। चीन की तरफ से गेहूं की खरीद के कुछ सौदे रद्द करने के बाद यूरोपीय यूनियन, रूस और अमेरिका में गेहूं निर्यात के लिए प्रतिस्पर्धा लगी हुई है। हालांकि मक्के की कीमतों में पिछले महीने थोड़ी वृद्धि देखने को मिली है। इसकी मुख्य वजह यूक्रेन में लॉजिस्टिक्स की समस्या बताई गई है। चावल की कीमत का इंडेक्स 1.7% कम हुआ है क्योंकि विश्व बाजार में इसकी डिमांड नरम है।
चीनी की कीमतों का इंडेक्स फरवरी की तुलना में 5.4% नीचे आया है। इसकी मुख्य वजह भारत में 2023-24 के सीजन में चीनी के उत्पादन के अनुमान में बढ़ोतरी है। इसके अलावा थाईलैंड में भी गन्ने की अच्छी फसल की खबर है।
एफएओ ने शुक्रवार को अनाज की सप्लाई और डिमांड के नए अनुमान भी जारी किए। गेहूं, मक्का और चावल के उत्पादन में वृद्धि के संभावना को देखते हुए इसने 2023-24 के सीजन में अनाज का उत्पादन का अनुमान बढ़ाकर 284.1 करोड़ टन कर दिया है। इसने इस सीजन में अनाज की खपत 282.8 करोड़ टन रहने का अनुमान जताया है। यह 2022-23 की तुलना में 1.3 प्रतिशत अधिक होगा। संगठन का अनुमान है कि 2024 के सीजन के अंत में 89.4 करोड़ टन अनाज का स्टॉक होगा। यह एक साल पहले की तुलना में 2.3 प्रतिशत अधिक रहेगा।
इसका अनुमान है कि 2024 में दुनिया में गेहूं का 79.6 करोड़ टन का उत्पादन होगा। यह पिछले साल की तुलना में एक प्रतिशत अधिक है। जहां तक मोटे अनाज की बात है तो उत्तरी गोलार्ध के देशों में जल्दी ही इनकी बुवाई शुरू होगी जबकि दक्षिणी गोलार्ध में इनकी कटाई शुरू हो चुकी है।