मई में विश्व बाजार में अनाज और डेयरी के दाम बढ़े, चीनी और वनस्पति तेल के दामों में कमी
एफएओ का अनाज मूल्य सूचकांक अप्रैल से 6.3 प्रतिशत बढ़ा। इसका प्रमुख कारण वैश्विक गेहूं निर्यात कीमतों में वृद्धि है। उत्तरी अमेरिका, यूरोप और काला सागर क्षेत्र के कुछ हिस्सों सहित प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण गेहूं का उत्पादन प्रभावित हुआ।
मई में लगातार तीसरे महीने विश्व खाद्य वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार चीनी और वनस्पति तेलों के दाम में तो कमी आई, लेकिन उससे कहीं अधिक अनाज और डेयरी उत्पादों के दाम बढ़ गए। एफएओ खाद्य मूल्य सूचकांक मई में 120.4 अंक पर रहा, जो अप्रैल के संशोधित स्तर से 0.9 प्रतिशत अधिक है। हालांकि एक साल पहले की तुलना में यह 3.4 प्रतिशत कम है। मार्च 2022 के शिखर से यह 24.9 प्रतिशत नीचे है।
एफएओ का अनाज मूल्य सूचकांक अप्रैल से 6.3 प्रतिशत बढ़ा। इसका प्रमुख कारण वैश्विक गेहूं निर्यात कीमतों में वृद्धि है। उत्तरी अमेरिका, यूरोप और काला सागर क्षेत्र के कुछ हिस्सों सहित प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण गेहूं का उत्पादन प्रभावित हुआ। मई में मक्का के निर्यात की कीमतों में भी वृद्धि हुई। अर्जेंटीना में स्पाइरोप्लाज्मा रोग (मक्का स्टंट रोग) और ब्राजील में प्रतिकूल मौसम के कारण इसके दाम बढ़े। गेहूं के बाजार का भी असर मक्के पर पड़ा। मई में एफएओ ऑल-राइस प्राइस इंडेक्स में 1.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
एफएओ डेयरी मूल्य सूचकांक में अप्रैल से 1.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। खुदरा और फूड सर्विसेज सेक्टर से इसकी मांग बढ़ी। पश्चिमी यूरोप में दूध उत्पादन ऐतिहासिक स्तरों से नीचे गिरने की आशंका के चलते भी कीमतों को बल मिला। निकट पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के कुछ देशों से स्पॉट सप्लाई की मांग ने भी डेयरी की कीमतों को बढ़ाया।
एफएओ चीनी मूल्य सूचकांक में अप्रैल से 7.5 प्रतिशत की कमी आई। ब्राजील में नए सीजन की अच्छी शुरुआत के कारण इसके दाम कम हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कम कीमतों ने भी चीनी की मांग कम की जिसका असर इसकी कीमतों पर दिखा।
वनस्पति तेल मूल्य सूचकांक में भी अप्रैल से 2.4 प्रतिशत की गिरावट आई है। जैव ईंधन क्षेत्र से बढ़ती मांग के कारण सोया तेल के दाम बढ़े हैं। काला सागर क्षेत्र में निर्यात उपलब्धता कम होने के कारण रेपसीड और सूरजमुखी तेलों में भी मजबूती आई। लेकिन उत्पादन में वृद्धि और कमजोर वैश्विक मांग के कारण पाम ऑयल के भाव कम हुए हैं। इसने सोया तेल और रेपसीड और सूरजमुखी के दामों में वृद्धि की भरपाई कर दी।