पंजाब के कृषक परिवारों की आय देश में सबसे अधिक, बिहार में सबसे कम, प्रति दिन 300 रुपये से भी कम

नाबार्ड की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब के कृषक परिवारों की औसत मासिक आय देश में सबसे अधिक है। यहां के कृषक परिवारों की औसत मासिक आय 31,433 रुपये है जबकि बिहार में यह सबसे कम है। यहां के कृषक परिवारों की औसत मासिक आय प्रति दिन 300 रुपये से भी कम है

पंजाब के कृषक परिवारों की आय देश में सबसे अधिक, बिहार में सबसे कम, प्रति दिन 300 रुपये से भी कम

पंजाब के कृषक परिवारों की औसत मासिक आय देश में सबसे अधिक है। यहां के कृषक परिवारों की औसत मासिक आय 31,433 रुपये है, जो रोजाना 1,000 रुपये से ऊपर बैठती है। बिहार के कृषक परिवारों की औसत मासिक आय देश में सबसे कम है। यहां के कृषक परिवारों की औसत मासिक आय 9,252 रुपये है, जो प्रति दिन 300 रुपये ( प्रति दिन लगभग 298.45 रुपये) से भी कम है। ये तथ्य हाल ही में नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) द्वारा जारी अखिल भारतीय ग्रामीण वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण (एनएएफआईएस) 2021-22 की रिपोर्ट में सामने आए हैं। 

नाबार्ड की रिपोर्ट के अनुसार, देश के जिन राज्यों में कृषक परिवारों की औसत मासिक आय सबसे अधिक है उममें पंजाब के बाद हरियाणा में औसत मासिक आय 25,655 रुपये, केरल में 22,757 रुपये, जम्मू-कश्मीर में 18,343 रुपये, महाराष्ट्र में 17,208 रुपये और गुजरात में 16,759 रुपये है। 

सबसे कम औसत मासिक आय वाले राज्यों में बिहार पहले नंबर है। इसके बाद ओडिशा के कृषक परिवारों की औसत मासिक आय 9,290 रुपये, झारखंड में 9,787 रुपये, त्रिपुरा में 9,643 रुपये और झारखंड में 9,787 रुपये है। 

कृषक परिवारों की औसत आय गैर-कृषक परिवारों से अधिक 

रिपोर्ट के मुताबिक, देश में कृषक परिवारों की औसत मासिक आय, सभी परिवारों और गैर-कृषक परिवारों की औसत मासिक आय से अधिक है। देश में सभी परिवारों की औसत मासिक आय 12,698 रुपये है, जबकि कृषक परिवारों की औसत मासिक आय 13,661 रुपये और गैर-कृषक परिवारों की औसत मासिक आय 11,438 रुपये है।

कृषक परिवारों और गैर-कृषक परिवारों के आय के स्रोत

कृषक परिवारों के लिए, खेती सबसे बड़ा आय का स्रोत है, जो कुल मासिक आय का लगभग एक-तिहाई 33 फीसदी है। इसके बाद सरकारी या निजी सेवाओं का 23 फीसदी, मजदूरी का 16 फीसदी, और अन्य उद्यमों का 15 फीसदी योगदान है। दूसरी ओर, गैर-कृषक परिवारों की आय में सरकारी या निजी नौकरियों का सबसे बड़ा हिस्सा 57 फीसदी है, जबकि मजदूरी से गैर-कृषक परिवारों को 26 फीसदी आय होती है।

रिपोर्ट में बताया गया कि जिन परिवारों के पास 2 हेक्टेयर से अधिक भूमि है, उनकी औसत आय छोटे जोत वाले किसानों की तुलना में लगभग दोगुनी होती है। इसके विपरीत, जिनके पास 0.01 हेक्टेयर से कम भूमि है, उनकी आय का अधिकांश हिस्सा सरकारी या निजी नौकरियों से 31 फीसदी, मजदूरी से 29 फीसदी, और पशुपालन से 25 फीसदी आता है। ऐसे छोटे किसानों की कुल आय में खेती का योगदान केवल 2 फीसदी है। 

जिन किसानों के पास 2 हेक्टेयर से अधिक भूमि है, उनकी खेती से होने वाली आय 0.01 हेक्टेयर से कम भूमि वाले किसानों की तुलना में 57 गुना अधिक है। बड़े किसान अपनी आय का 61 फीसदी खेती से कमाते हैं, जबकि छोटे किसान अपनी आय के लिए विविध स्रोतों पर निर्भर होते हैं, जैसे मजदूरी, सरकारी या निजी नौकरियां, और पशुपालन। छोटे किसानों के लिए आय के स्रोतों में विविधता आर्थिक स्थिरता लाने में मदद करती है।

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