कश्मीरी सेब के लिए विशेष नीति की मांग, जम्मू कश्मीर चुनाव में कितना अहम है बागवानों का मुद्दा
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में बागवानों का मुद्दा अहम है, लेकिन इसकी कहीं कोई चर्चा नहीं है। राजनीतिक पार्टियों के घोषणापत्र में बागवानों के लिए वादे जरूर किए गए हैं, लेकिन बागवानों की मांगें इससे बिल्कुल अलग हैं। रूरल वॉयस से जम्मू कश्मीर के सेब बागवानों और स्थानीय व्यापारियों से बात की। उनके मुताबिक, बागवानों की कई मांगें हैं, लेकिन उन पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। लिहाजा मौजूदा चुनाव में किसानों और बागवानों का मुद्दा अहम हो सकता है
जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव का दौर जारी है। दो चरणों की वोटिंग पूरी हो चुकी है और एक अक्टूबर को अंतिम चरण के लिए मतदान होने है। जम्मू कश्मीर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सेब उत्पादन के लिए जाना जाता है। देश में सबसे ज्यादा सेब का उत्पादन यहीं होता है, लेकिन चुनाव में बागवानों का मुद्दा कहीं खो गया है। बागवानों का कहना है कि न तो सरकार उनकी समस्याओं का समाधान कर रही है और न ही उनकी आवाज सुनी जा रही है। जम्मू कश्मीर के बागवानों की तकनीकी जानकारी सीमित है और वह आज भी पारंपरिक तरीके से खेती कर रहे हैं। मौजूदा विधानसभा चुनाव में बागवानों का मुद्दा अहम तो है लेकिन इसकी कहीं कोई चर्चा नहीं है। राजनीतिक पार्टियों के घोषणापत्र में बागवानों के लिए वादे जरूर किए गए हैं, लेकिन बागवानों की मांगें इससे बिल्कुल अलग हैं। रूरल वॉयस से जम्मू कश्मीर के सेब बागवानों और स्थानीय व्यापारियों से बात की। उनके मुताबिक, बागवानों की कई मांगें हैं, लेकिन उन पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। लिहाजा मौजूदा चुनाव में किसानों और बागवानों का मुद्दा अहम हो सकता है।