बंपर उत्पादन के बावजूद सरकार ने गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगाई
गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगाने का फैसला ऐसे समय लिया गया है जब सरकार देश में गेहूं के रिकॉर्ड 11.29 करोड़ टन उत्पादन का दावा कर रही है।
केंद्र सरकार ने सोमवार से खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं, प्रोसेसर और बड़ी चेन खुदरा विक्रेताओं के लिए गेहूं पर स्टॉक सीमा लागू कर दी है। गेहूं की जमाखोरी और महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है। गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगाने का फैसला ऐसे समय लिया गया है जब सरकार देश में गेहूं के रिकॉर्ड 11.29 करोड़ टन उत्पादन का दावा कर रही है। लेकिन इस साल लक्ष्य से कम सरकारी खरीद और अब गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगाने का फैसला रिकॉर्ड उत्पादन के अनुमान पर सवाल खड़े करता है।
केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा है कि अभी गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध जारी है। सरकार चाहती है कि गेहूं की कीमतें स्थिर रहें। इसलिए थोक विक्रेताओं, प्रोसेसर, बड़ी रिटेल चेन और खुदरा विक्रेताओं के लिए गेहूं की स्टॉक सीमा निर्धारित की गई है। स्टॉक लिमिट का 24 जून को जारी आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा और 31 मार्च, 2025 तक जारी रहेगा।
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, थोक विक्रेताओं के लिए गेहूं की स्टॉक सीमा 3,000 टन होगी, जबकि प्रोसेसर्स के लिए यह प्रोसेसिंग क्षमता का 70 प्रतिशत होगी। बड़ी चेन वाले रिटेलरों के लिए गेहूं की स्टॉक लिमिट 10 टन और उनके सभी डिपो पर 3000 टन होगी। प्रत्येक खुदरा दुकानों के लिए यह सीमा 10 टन निर्धारित की गई है।
सरकार के आदेश के अनुसार, व्यापारियों को गेहूं के स्टॉक की स्थिति खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के पोर्टल (https://evegoils.nic.in/wsp/login) पर नियमित रूप से अपडेट करनी होगी। यदि उनके पास स्टॉक निर्धारित सीमा से अधिक है तो उन्हें इस अधिसूचना के जारी होने के 30 दिनों के भीतर उसे निर्धारित स्टॉक सीमा तक लाना होगा।
केंद्र सरकार ने खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने और गेहूं की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए स्टॉक सीमा लगाने का फैसला किया है। गौरतलब है कि सेंट्रल पूल में गेहूं का स्टॉक 1 अप्रैल को घटकर लगभग 75.02 लाख टन रह गया था जो 16 साल में सबसे कम है। फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक, 1 जून 2024 को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 299.05 लाख टन था, जो पिछले साल की इसी अवधि से कम है।
रबी सीजन 2024-25 में सरकार ने केंद्रीय पूल के लिए करीब 266 लाख टन गेहूं की खरीद की है जो गत वर्ष हुई लगभग 262 लाख टन खरीद से थोड़ी ही अधिक है। ऐसे में सरकार के पास खुले बाजार में गेहूं की बिक्री के जरिए कीमतों को नियंत्रित करने का विकल्प भी सीमित रहेगा।
इस साल गेहूं का अच्छा भाव मिलने की वजह से किसानों ने सरकारी एजेंसियों के बजाय प्राइवेट व्यापारियों को गेहूं बेचा या खुद स्टॉक कर लिया। मध्यप्रदेश में गेहूं की कम खरीद के पीछे यह वजह मानी जा रही है। इसके अलावा गेहूं की फसल पर मौसम की मार भी पड़ी, जिससे उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है।