खेती में तकनीक को बढ़ावा देना भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए जरूरी, अनाजों का हो रहा रिकॉर्ड उत्पादनः तोमर
भविष्य की जरूरतों और चुनौतियों को देखते हुए कृषि क्षेत्र में तकनीक को बढ़ावा देना जरूरी है। जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ेगी खेती करना आसान होगा, मेहनत कम लगेगी व ज्यादा मुनाफे की स्थिति बनेगी। इससे आने वाली पीढ़ियों का भी खेती के प्रति रूझान बढ़ेगा। इसके लिए केंद्र सरकार कई योजनाएं चला रही है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को आयोजित राष्ट्रीय कृषि सम्मेलन- खरीफ अभियान- 2023 में यह बात कही।
नरेंद्र तोमर ने कहा कि कृषि राज्यों का विषय है। केंद्र सरकार फंड का इंतजाम कर सकती है, योजनाएं बना सकती है और बनी योजनाओं को लेकर उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर सकती है। मगर परिणाम तभी आएगा जब राज्यों की गति बढ़ेगी, राज्य कई प्रकार के नवाचार के साथ कृषि की चुनौतियों का समय-समय पर समाधान करेंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करने की वजह से देश आज खाद्यान्न, दलहन-तिलहन के उत्पादन, बागवानी, निर्यात सहित तमाम क्षेत्रों में अच्छी स्थिति में है। आवश्यकता इस बात की है कि खेती मुनाफे की गारंटी दे। अगर ऐसा नहीं होगा तो आने वाली पीढ़ियां खेती करने नहीं आएंगी और देश के सामने यह बड़ी चुनौती होगी। इसलिए जरूरी है कि खेती में ज्यादा से ज्यादा तकनीक का समर्थन बढ़े। केंद्र सरकार इस दिशा में लगातार प्रयासरत है। कई योजनाओं के माध्यम से नई तकनीकें किसानों तक पहुंचाई जा रही है।
तोमर ने इस बात पर खुशी जताई कि देश का कृषि क्षेत्र पिछले छह वर्षों से 4.6 फीसदी की औसत वार्षिक वृद्धि दर्ज कर रहा है। उन्होंने कहा, "इस वजह से देश कृषि और संबद्ध गतिविधियों के क्षेत्र में समग्र विकास और खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम बना है।" उन्होंने कहा कि दूसरे अग्रिम अनुमान (2022-23) में देश में खाद्यान्न का उत्पादन 32.35 करोड़ टन अनुमानित है जो 2021-22 के खाद्यान्न उत्पादन से 79 लाख टन अधिक है। चावल, मक्का, चना, दलहन, रेपसीड और सरसों सहित तिलहन फसलों और गन्ने का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है।
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2022-23 के दौरान गन्ने का कुल उत्पादन रिकॉर्ड 46.88 करोड़ टन होने का अनुमान है जो औसत गन्ना उत्पादन से 15.53 करोड़ टन अधिक है। बागवानी के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक, 2021-22 में रिकॉर्ड 34.23 करोड़ टन बागवानी उत्पादन का अनुमान है जो 2020-21 के उत्पादन से 77.30 लाख टन अधिक है।
इस सम्मेलन का मकसद पूर्ववर्ती फसल मौसमों के दौरान फसल के प्रदर्शन की समीक्षा और आकलन करना था। साथ ही राज्य सरकारों के परामर्श से खरीफ मौसम के लिए फसल-वार लक्ष्य निर्धारित करना, महत्वपूर्ण इनपुट की आपूर्ति सुनिश्चित करना और फसलों की उत्पादकता व उत्पादन बढ़ाने की दृष्टि से नवीन तकनीकों को अपनाने की सुविधा प्रदान करना था।
सरकार की प्राथमिकता तिलहन और दलहन फसलों सहित उच्च मूल्य निर्यात आय वाली फसलों की खेती को बढ़ावा देना है। रबी सीजन 2020-21 में विशेष सरसों कार्यक्रम शुरू किया गया था जिसके शानदार परिणाम सामने आए हैं। पिछले तीन साल में सरसों का उत्पादन 91.24 लाख टन से 40 फीसदी बढ़कर 128.18 लाख टन हो गया है। सरसों की उत्पादकता में भी 11 फीसदी की वृद्धि देखी गई है। यह 1331 किलो प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 1447 किलो प्रति हेक्टेयर हो गई। रेपसीड और सरसों का रकबा 2019-20 के 68.56 लाख हेक्टेयर से 29 फीसदी बढ़कर 2022-23 में 88.58 लाख हेक्टेयर हो गया। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा समय पर की गई कार्रवाई से यह उल्लेखनीय उपलब्धि संभव हो पाई है।
इस मौके पर तोमर ने कृषि मैपर ऐप भी लॉन्च किया। इससे कृषि क्षेत्र की गतिविधियों को सैटेलाइट के जरिये मॉनीटर किया जा सकेगा कि भूमि के किस हिस्से में कौन-सी खेती की जा रही है, इसकी जानकारी मिलेगी। इसके जरिये एकत्रित डाटा के माध्यम से किसानों को जरूरी सलाह दी जा सकेगी। कृषि मैपर प्रयासों के दोहराव कम करेगा, देश में नवप्रवर्तकों को विश्लेषण के लिए तैयार डाटा उत्पाद प्रदान करेगा।