त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय से सहकारिता क्षेत्र को बड़ी उम्मीदें, बताया ऐतिहासिक कदम

देश में कोऑपरेटिव क्षेत्र के विकास और विस्तार को देखते हुए प्रशिक्षित मानव संसाधन की जरूरत है। त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय इस जरूरत को पूरा करने का काम करेगा।

त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय से सहकारिता क्षेत्र को बड़ी उम्मीदें, बताया ऐतिहासिक कदम

गुजरात के आनंद में त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए लोकसभा ने बुधवार को एक विधेयक पारित किया। यह भारत का पहला सहकारी विश्वविद्यालय होगा जिसे ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद (गुजरात) में सहकारिता आंदोलन के बड़े नेता त्रिभुवन दास पटेल के नाम पर स्थापित किया जाएगा। सहकारिता क्षेत्र की प्रमुख संस्थाओं और लोगों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है।

त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि आजादी के 75 वर्षों बाद देश को पहला सहकारिता विश्वविद्यालय मिल रहा है। इसका नाम त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय रखने का निर्णय लिया गया है। त्रिभुवन दास पटेल, सरदार पटेल जैसे महान नेता के सानिध्य में रहकर भारत में सहकारिता की नींव डालने वाले व्यक्तियों में से एक थे। आज जिस गुजरात राज्य सहकारी दुग्ध विपणन संघ (GCMMF) को हम सब अमूल के नाम से जानते हैं, वह त्रिभुवन जी के विचार की ही देन है।

देश में कोऑपरेटिव क्षेत्र के विकास और विस्तार को देखते हुए प्रशिक्षित मानव संसाधन की जरूरत है। त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय इस जरूरत को पूरा करने का काम करेगा। अमित शाह ने बताया कि हमने यूनिवर्सिटी बनने से पहले ही कोऑपरेटिव क्षेत्र की जरूरत को ध्यान में रख कर कोर्स डिजाइन का काम शुरू कर दिया है। यूनिवर्सिटी में डिग्री, डिप्लोमा कोर्स होंगे और पीएचडी की डिग्री भी दी जाएगी। साथ ही सहकारिता के क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए अल्पावधि का सर्टिफिकेट कोर्स भी होगा। यह विश्वविद्यालय सहकारिता क्षेत्र में नवाचार, अनुसंधान और उद्यमिता को बढ़ावा देकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करेगा। 

सहकारी क्षेत्र की प्रमुख संस्था इफको के एमडी व सीईओ डॉ. यूएस अवस्थी ने त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना को ऐतिहासिक कदम करार देते हुए कहा कि इससे सहकारी क्षेत्र में एक नई क्रांति आएगी। भारतीय कृषि, किसानों और ग्रामीण विकास के लिये यह बहुत बड़ा कदम है जो हमारे गांवों को और मजबूती प्रदान करेगा।

अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन (एशिया और प्रशांत) के अध्यक्ष चंद्रपाल सिंह ने त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय को भारत के सहकारी क्षेत्र के लिए मील का पत्थर बताते हुए कहा कि यह अनुसंधान और प्रशिक्षण के माध्यम से सहकारी समितियों को मजबूत करते हुए गेम-चेंजर साबित होगा। साथ ही समावेशिता व सामूहिक विकास के मूल मूल्यों को बनाए रखते हुए उन्हें कॉरपोरेट्स के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाएगा। 

राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना महासंघ (NFCSF) के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने कहा कि त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना भारत के सहकारी आंदोलन के लिए एक नए युग का प्रतीक है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में, सहकारिता मंत्रालय ने एक परिवर्तनकारी कदम उठाया है जो सहकारी समितियों के भविष्य को आकार देगा। यह विश्वविद्यालय ज्ञान केंद्र के रूप में काम करेगा और सहकारी क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता से पेशेवरों को लैस करेगा।

जीसीएमएमएफ (अमूल) के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता ने कहा कि श्वेत क्रांति के पीछे अहम भूमिका निभाने वाले त्रिभुवन दास पटेल को अब उनके नाम पर एक विश्वविद्यालय का सम्मान दिया जा रहा है। यह संस्थान सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने और पेशेवर प्रबंधन को बढ़ाने में सहायक होगा।

 

 

 

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