ऑल इंडिया किसान सभा ने डीएपी की किल्लत के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया
अखिल भारतीय किसान सभा ने देश भर में डीएपी की किल्लत के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। किसान सभा का कहना है कि किसानों को डीएपी लेने के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद उन्हें पर्याप्त मात्रा में डीएपी नहीं मिल रहा है।
रबी सीजन के दौरान किसानों को डाय-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) ने देश भर में डीएपी की किल्लत के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। किसान सभा का कहना है कि डीएपी की कमी के बावजूद सरकार ने इसके लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई, जिस वजह से देश भर के किसान भारी दिक्कतों का सामना कर रहे हैं।
किसान सभा के अनुसार, किसानों को डीएपी लेने के लिए पूरा दिन लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ रहा है। इसके बावजूद उन्हें पर्याप्त मात्रा में डीएपी नहीं मिल रहा है। डीएपी की किल्लत इतनी बढ़ गई है कि अब राज्य सरकारों को डीएपी के वितरण के लिए पुलिस लगानी पड़ रही है।
किसान सभा की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, इस साल अप्रैल से सितंबर के बीच डीएपी का आयात घटकर 19.7 लाख टन रह गया जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 34.5 लाख टन था। 1 अक्टूबर तक सरकार के पास डीएपी का केवल 15-16 लाख टन स्टॉक था जबकि अनुशंसित स्टॉक 27-30 लाख टन होना चाहिए। इस वजह से किसानों को डीएपी के लिए सरकारी कीमत से 250 रुपये से 400 रुपये अधिक चुकाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। डीएपी के 50 किलोग्राम बैग की कीमत 1,350 रुपये प्रति बैग है।
किसान सभा ने नैनो-यूरिया जैसे विकल्पों को उनकी प्रभावशीलता के स्पष्ट प्रमाणों के बिना बढ़ावा देने के लिए भी सरकार की आलोचना की है। साथ ही घरेलू उर्वरक उत्पादन बढ़ाने तथा दीर्घकालिक आयात सौदों का आह्वान किया है।