चीनी उत्पादन 18 लाख टन घटा, महाराष्ट्र में 21.5 लाख टन की भारी गिरावट
चालू चीनी वर्ष 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) में उत्पादन घटकर 311 लाख टन रह गया है। पिछले वर्ष की समान अवधि में 328.7 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इस समय तक पिछले वर्ष देशभर की 305 चीनी मिलें पेराई कर रही थीं जो इस साल सिर्फ 132 रह गई हैं। महाराष्ट्र की सभी चीनी मिलें पेराई बंद कर चुकी हैं, जबकि पिछले साल इस अवधि तक 153 मिलें चल रही थीं। पिछले चीनी वर्ष 2021-22 में कुल उत्पादन 359.25 लाख टन रहा था। चालू वर्ष में 334 लाख टन चीनी का कुल उत्पादन रहने का अनुमान जताया गया है।
चालू चीनी वर्ष (2022-23) में उत्पादन घटने की आशंका सच साबित होने लगी है। चीनी का कुल उत्पादन करीब 18 लाख टन घट गया है। देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और तीसरे बड़े उत्पादक कर्नाटक के उत्पादन में बड़ी गिरावट की वजह से यह स्थिति बनी है। पिछले वर्ष के मुकाबले महाराष्ट्र में 21.5 लाख टन की भारी गिरावट दर्ज की गई है, जबकि कर्नाटक में उत्पादन 2.7 लाख टन घट गया है। इसकी वजह से कुल उत्पादन के आंकड़ों में कमी आई है। हालांकि दूसरे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के उत्पादन में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
चीनी उद्योग के शीर्ष संगठन इस्मा की ओर से मंगलवार को जारी किए गए ताजा आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है। इस्मा ने 15 अप्रैल तक के आंकड़े जारी करते हुए बताया है कि चालू चीनी वर्ष 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) में उत्पादन घटकर 311 लाख टन रह गया है। पिछले वर्ष की समान अवधि में 328.7 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इस समय तक पिछले वर्ष देशभर की 305 चीनी मिलें पेराई कर रही थीं जो इस साल सिर्फ 132 रह गई हैं। महाराष्ट्र की सभी चीनी मिलें पेराई बंद कर चुकी हैं, जबकि पिछले साल इस अवधि तक 153 मिलें चल रही थीं। पिछले चीनी वर्ष 2021-22 में कुल उत्पादन 359.25 लाख टन रहा था। चालू वर्ष में 334 लाख टन चीनी का कुल उत्पादन रहने का अनुमान जताया गया है।
इस्मा के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वर्ष 15 अप्रैल तक महाराष्ट्र में चीनी का कुल उत्पादन 126.5 लाख टन रहा था जो इस साल 21.5 लाख टन घटकर 105 लाख टन रह गया है। इसी तरह, कर्नाटक का उत्पादन पिछले साल के 58 लाख टन के मुकाबले 55.3 लाख टन रह गया है। हालांकि, उत्तर प्रदेश के उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई है। यहां उत्पादन पिछले साल के 94.4 लाख टन से 2.2 लाख टन बढ़कर 96.6 लाख टन हो गया है। पिछले साल यहां इस समय तक सिर्फ 68 मिलें ही चल रही थीं, जबकि इस साल 77 मिलें अभी भी पेराई कर रही हैं।
तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और ओडिशा का कुल उत्पादन 49.8 लाख टन से बढ़कर 54.1 लाख टन पर पहुंच गया है। समीक्षाधीन अवधि में इन राज्यों में 53 मिलें पेराई कर रही थीं। पिछले साल यहां 78 मिलें इस समय तक चल रही थीं। इस्मा के मुताबिक, चालू सीजन में 532 मिलों ने पेराई शुरू की थी जिसमें से 400 मिलों में पेराई बंद हो चुकी हैं। पिछले सीजन में 518 मिलों ने पेराई शुरू की थी जिसमें से 213 मिलों में 15 अप्रैल तक पेराई बंद हो चुकी थी।
यह भी पढ़ेंः खाद्य तेलों का आयात 8% बढ़ा, इंडस्ट्री की क्रूड पाम ऑयल पर ड्यूटी बढ़ाने की मांग
महाराष्ट्र में इस बार गन्ने की बुवाई का रकबा काफी घट गया था जिसकी वजह से उत्पादन कम रहने का अनुमान जताया गया था। इसे देखते हुए ही सरकार ने निर्यात का कोटा 61 लाख टन निर्धारित कर दिया था। यह कोटा जनवरी में ही पूरा हो चुका था। चीनी उद्योग निर्यात का कोटा और बढ़ाने की मांग कर रहा था जिस पर सरकार ने कहा था कि उत्पादन के सटीक आंकड़े सामने के बाद इस पर विचार किया जाएगा। मगर अब लग रहा है कि सरकार शायद ही निर्यात का कोटा बढ़ाए।