प्याज पर न्यूनतम निर्यात मूल्य खत्म होने के बाद कीमतों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी
केंद्र सरकार द्वारा प्याज पर एमईपी हटाने और निर्यात शुल्क घटाने के बाद प्याज की कीमतें बढ़ने लगी हैं। महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज की थोक कीमतें 4000 रुपये प्रति क्विंटल के पार पहुंच गई हैं, जिससे किसानों को पहले से बेहतर दाम मिलने लगा है
केंद्र सरकार द्वारा प्याज पर 550 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) हटाने और निर्यात शुल्क 40 फीसदी से घटाकर 20 फीसदी करने का असर प्याज की कीमतों पर दिखने लगा है। प्याज से जुड़े इन फैसलों के बाद से प्याज की सबसे बड़ी थोक मार्केट नासिक की लासलगांव मंडी में प्याज की कीमतों में करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 20 सितंबर को देश में प्याज का औसत खुदरा मूल्य 52.52 रुपये प्रति किलो और औसत थोक मूल्य 44.45 रुपये प्रति किलो था।
महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज का औसत थोक भाव हफ्ते भर पहले 3000 से 3500 रुपये प्रति क्विंटल था जो अब बढ़कर 4000 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर पहुंच गया है। कीमतों में इस वृद्धि से प्याज उत्पादक किसानों को कुछ राहत मिली है। निर्यात पाबंदियों के चलते महाराष्ट्र के किसानों को इस साल काफी नुकसान उठाना पड़ा। इसके चलते प्याज किसानों की नाराजगी लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र की प्याज बेल्ट में दिखाई दी थी। महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने प्याज पर एमईपी हटाने और निर्यात शुल्क घटाने का निर्णय लेकर किसानों की नाराजगी को कम करने का प्रयास किया है।
महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भारत दिघोले ने रूरल वॉयस को बताया कि जैसे ही प्याज पर एमईपी हटाई गई और निर्यात शुल्क कम हुआ, प्याज की कीमतों में तेज देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि प्याज की मांग बढ़ गई है, जिससे कीमतों में सुधार हुआ है। महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में शुक्रवार को प्याज का औसत भाव 4650 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि एक महीने पहले यह 3600 रुपये प्रति क्विंटल के करीब था। उन्होंने कहा कि कीमतों में अभी और सुधार होने की उम्मीद है।
शेतकरी संघटना के नेता और एमएसपी पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के सदस्य अनिल घनवट ने रूरल वॉयस को बताया कि किसानों को अब प्याज के बेहतर दाम मिल रहे हैं। सरकार के फैसले के बाद प्याज की कीमतें बढ़कर 4000 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं। यह बढ़ोतरी अगले महीने तक जारी रह सकती है। हालांकि, अक्टूबर के अंत में जैसे ही प्याज की नई फसल मंडियों में आएगी, कीमतों में गिरावट देखने को मिलेगी।
प्याज की थोक कीमतों में बढ़ोतरी का असर खुदरा बाजार में भी दिखाई दे रहा है। पिछले एक सप्ताह में प्याज की खुदरा कीमतें 50 रुपये किलो से बढ़कर 65-70 रुपये किलो तक पहुंच गई हैं। यही वजह है कि केंद्र सरकार सहकारी संस्था नेफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से रियायती दरों पर प्याज की बिक्री करवा रही है। दिल्ली, मुंबई समेत कई शहरों में 35 रुपये प्रति किलो की दर से प्याज बेचा जा रहा है।