मोदी सरकार ने कृषि के लिए लगभग 14 हजार करोड़ की 7 योजनाओं को मंजूरी दी
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इन योजनाओं का मकसद किसानों की आमदनी बढ़ाना और उनके जीवन में सुधार लाना है। ये योजनाएं कृषि क्षेत्र के डिजिटलीकरण, अनुसंधान और शिक्षा के आधुनिकीकरण, जलवायु अनुकूल खेती और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर केंद्रित हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने किसानों की आय बढ़ाने और उनके जीवन में सुधार के लिए लगभग 13,966 करोड़ रुपये की सात प्रमुख योजनाओं को मंजूरी दी है। कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इन योजनाओं का मकसद किसानों की आमदनी बढ़ाना और उनके जीवन में सुधार लाना है। ये योजनाएं कृषि क्षेत्र के डिजिटलीकरण, अनुसंधान और शिक्षा के आधुनिकीकरण, जलवायु अनुकूल खेती और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर केंद्रित हैं। 13,966 करोड़ रुपये का बजट कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन: 2,817 करोड़ रुपये के बजट के साथ, इस मिशन का उद्देश्य किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है। यह योजना दो आधारभूत स्तंभों- एग्री स्टैक और कृषि निर्णय सहायता प्रणाली पर आधारित है। इसमें एआई, बिग डेटा और सेटेलाइट डेटा जैसी उन्नत तकनीकें शामिल हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को पेश बजट में कृषि के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की घोषणा की थी।
- खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए फसल विज्ञान: 3,979 करोड़ रुपये के आवंटन वाली इस योजना का लक्ष्य किसानों को जलवायु-अनुकूल खेती और देश को 2027 तक खाद्य सुरक्षा के लिए तैयार करना है। इस योजना के छह स्तंभों में अनुसंधान और शिक्षा, आनुवंशिक सुधार, दलहन व तिलहन फसलों में सुधार के साथ ही कीटों, सूक्ष्म जीवों और परागणकों पर अनुसंधान शामिल हैं।
- कृषि शिक्षा, प्रबंधन और सामाजिक विज्ञान को मजबूत करना: कुल 2,291 करोड़ रुपये के बजट के साथ इस योजना का उद्देश्य कृषि अनुसंधान और शिक्षा को आधुनिक बनाना है। यह योजना नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है और इसमें AI, बिग डेटा और डिजिटल DPI सहित नवीनतम तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें प्राकृतिक खेती और जलवायु रिजिलेंस को भी शामिल किया जाएगा।
- सतत पशुधन स्वास्थ्य और उत्पादन: 1,702 करोड़ रुपये के बजट वाली इस योजना का उद्देश्य बेहतर पशुधन और डेयरी उत्पादन के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाना है। इसमें पशु स्वास्थ्य प्रबंधन, पशु चिकित्सा शिक्षा, डेयरी उत्पादन तकनीक और पशु आनुवंशिक संसाधन प्रबंधन शामिल हैं।
- बागवानी का सतत विकास: 860 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ, इस योजना का उद्देश्य बागवानी के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाना है। इसमें उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण फसलों के साथ-साथ जड़, कंद, बल्बनुमा, सब्जी, फूलों की खेती और औषधीय पौधों सहित कई तरह की फसलें शामिल हैं।
- कृषि विज्ञान केंद्रों को मजबूत बनाना: कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) में सुधार के लिए 1,202 करोड़ रुपये के परिव्यय को मंजूरी दी गई है। ये केंद्र किसानों को कृषि तकनीक हस्तांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन: 1,115 करोड़ रुपये के बजट के साथ, यह योजना दीर्घकालिक कृषि उत्पादकता सुनिश्चित करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों के सतत प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करती है।