लखनऊ
उत्तर प्रदेश सरकार ने चीनी उद्योग के बाजार में चीनी की कीमतों के उतार-चढ़ाव और गन्ना मूल्य भुगतान के बकाया को निपटाने के लिए पिछले तीन साल में राज्य के चीनी मिलों को को 5,500 करोड़ रुपये से अधिक का बेलआउट पैकेज दिया। इस फंड का एक बड़ा हिस्सा सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की मिलों को बकाया गन्ना मूल्य भुगतान के निपटाने में मदद के लिए ऋण के रूप में वित्तीय सहायता के तहत प्रदान किया गया।
उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, वित्तीय सहायता देने के लिए एक विशेष योजना के तहत निजी क्षेत्र की 53 मिलों को 2,916 करोड़ रुपये का ऋण साधारण ब्याज पर दिया गया है । राज्य ने पेराई सत्र के दौरान मिलों को 4.50 रुपये प्रति क्विंटल की अतिरिक्त राहत भी प्रदान की जिसकी कुल राशि 484 करोड़ रुपये थी।
सरकार ने पिछले तीन वर्षों में चीनी मिलों को दी गई वित्तीय सहायता के संबंध में पूछे गये में एक सवाल के जवाब में 18 अगस्त को विधान सभा को सूचित किया।
इसी तरह, यूपी स्टेट शुगर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPSSCL) को किसानों के बकाया भुगतान के निपटाने के लिए 2018-19 में 23 करोड़ रुपये और 2019-20 और 25 करोड़ रुपये की ऋण सहायता दी गई थी।
इसके अलावा, यूपी सहकारी चीनी कारखाना संघ की मिलों को गन्ना किसनों को भुगतान करने के लिए 2018-19 में 885 करोड़ रुपये 2019-20 में 700 करोड़ रुपये और 2020-21 में 500 करोड़ रुपये की क्रेडिट विंडो प्रदान की गई थी। यूपी में 120 चीनी मिलों में से 94 निजी क्षेत्र में हैं और सहकारी क्षेत्र में 24 इकाइयां हैं, जबकि यूपीएसएससीएल राज्य में दो मिलों का संचालन करती है।
इस बीच, योगी आदित्यनाथ सरकार ने महत्वपूर्ण चुनावी वर्ष में अतिरिक्त खर्च को पूरा करने के लिए चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिए राज्य विधानमंडल में 7,300 करोड़ रुपये से अधिक का अनुपूरक बजट पेश किया है।
राज्य के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना द्वारा मुख्यमंत्री की उपस्थिति में पेश किया गया यह अनुपूरक बजट 22 फरवरी, 2021 को पेश किए गए साढ़े पांच लाख रुपये के वार्षिक बजट 2021-22 का लगभग 1.33 प्रतिशत हिस्सा है ।