उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को 2027 तक एक ट्रिलियन डॉलर (लगभग 75 लाख करोड़ रुपए) का बनाने का ब्लूप्रिंट तैयार करने के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार ने वैश्विक सलाहकारों के लिए बोली लगाने की समय सीमा करीब एक महीने बढ़ा दी है। पहले ई-बोली 29 अप्रैल तक जमा करना अनिवार्य था। यूपी सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अब समय सीमा को बढ़ा कर 24 मई कर दिया गया है। वैश्विक ई-बोली प्रक्रिया के लिए हाल ही हुई प्री-बिड मीटिंग में कई सुझावों पर विचार करते हुए बोली की समय सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
सरकार ने वैश्विक प्रक्रिया के वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करने और इसे अधिक व्यापक बनाने के लिए बोली दस्तावेज में उन सुझावों को भी शामिल करने का निर्णय लिया गया। एक ट्रिलियन डॉलर का ब्लूप्रिंट तैयार करने के लिए ई-बोली प्रक्रिया के तहत सलाहकार का चयन किया जाएगा। इसके लिए राज्य योजना विभाग को नोडल एजेंसी बनाया गया है। विभाग ने संशोधित बोली दस्तावेज पर काम करना शुरू कर दिया है और बोली लगाने वालों के लिए जल्द ही संशोधित दस्तावेज अपलोड किया जाएगा।
यूपी सरकार वर्तमान में अपने विभिन्न विभागों को दुरुस्त करने की प्रक्रिया में भी है। यह राज्य के समग्र सामाजिक आर्थिक विकास के लिए 100 दिन का रोडमैप तैयार कर रही है। बोली प्रक्रिया को स्थगित करने का यह भी एक कारण है। यूपी का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) अभी 230 अरब डॉलर है। 2027 तक एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने का मतलब राज्य की अर्थव्यवस्था का चार गुना से अधिक विस्तार होगा। अर्थशास्त्री और समाज विज्ञानी प्रोफेसर ए.पी. तिवारी इसे एक कठिन कार्य मानते हैं।यूपी सरकार निकट भविष्य में भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एजेंडे के साथ अपने ट्रिलियन डॉलर की योजना को मिलाकर चलना चाहती है।
इससे पहले, मोदी ने खुद यूपी और महाराष्ट्र को प्रतिस्पर्धा करने को कहा था कि दोनों राज्यों में से कौन भारत की पहली ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनता है।सरकार ने जो रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) दस्तावेज़ जारी किया था, उसमें कहा गया था कि उत्तर प्रदेश सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। देश की जीडीपी में इसकी आठ फीसदी हिस्सेदारी है। इसलिए भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।आरएफपी के अनुसार, “इस कठिन कार्य के लिए राज्य सरकार को कुछ बड़े कदम उठाने की जरूरत है। इसके लिए निरंतर कुछ सुविचारित और दीर्घकालिक रणनीति की आवश्यकता है। अधिक प्रभावी शासन, तेजी से निर्णय लेने की प्रक्रिया और बेहतर जवाबदेही के लिए सांगठनिक पुनर्गठन, फोकस वाली नीतियों और नियमों की भी आवश्यकता होगी।”