उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य को जैविक प्रदेश के रूप में विकसित करने का आह्वान किया है। लखनऊ में उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के 33 वें स्थापना दिवस के मौके पर उन्होंने किसानों से जैविक और प्राकृतिक खेती अपनाने को कहा।
उन्होंने कहा कि बीते 5 वर्षों में राज्य के कृषि विभाग ने जैविक खेती और फसल विविधीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, सबसे बड़ी चुनौती कम खर्च में रसायन मुक्त खेती सुनिश्चित करना है। इसके लिए जैविक खेती को बढ़ावा देना और इसे बड़े पैमाने पर अपनाना जरूरी है। उन्होंने इस दिशा में उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की।
जैविक और प्राकृतिक खेती के महत्व को रेखांकित करते हुए योगी ने कम इनपुट लागत, अच्छे उत्पादन और जहरीले तत्वों से मुक्त खेती के प्रति जागरूकता फैलाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, मैं सभी कृषि वैज्ञानिकों से इसे बढ़ावा देने का आग्रह करता हूं। इससे न सिर्फ किसानों की आमदनी कई गुना बढ़ाने में मदद मिलेगी बल्कि अनेक तरह की बीमारियों की रोकथाम भी की जा सकती है।
योगी ने बताया कि राज्य सरकार मंडल मुख्यालय स्तर पर परीक्षण लैब स्थापित कर रही है। वहां बीज सर्टिफिकेशन और उत्पादन का कार्य किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने केंद्रीय बजट में गाय पर निर्भर प्राकृतिक खेती के प्रावधान का समर्थन किया। केंद्र और राज्य दोनों सरकारें गंगा नदी के किनारे प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने पर कार्य कर रही हैं। उत्तर प्रदेश सरकार समूचे बुंदेलखंड क्षेत्र में प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के किसानों के व्यापक हित में हमारी सरकार ने 2017 में फसल ऋण माफ किया था। दशकों से लंबित पड़े सिंचाई प्रोजेक्ट समयबद्ध तरीके से पूरे करके हमने किसानों के जीवन में व्यापक बदलाव लाने में सफलता पाई है। उत्तर प्रदेश में चीनी उद्योग को रिवाइव करने के सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए योगी ने कहा कि कोविड-19 संकट के समय भी राज्य में 120 चीनी मिलें कार्य कर रही थीं।