उत्तर प्रदेश में गन्ने की पेराई जोर पकड़ रही है, वहीं राज्य सरकार ने नकदी फसल गन्ना की खरीद में गड़बड़ी को लेकर चेतावनी दी है। चालू गन्ना पेराई सत्र (अक्टूबर-सितंबर) 2021-22 में 119 मिलों के साथ उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य है। इन चीनी मिलों द्वारा गन्ने की खरीद के लिए किसानों को सालाना करीब 35,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता है।
उत्तर प्रदेश गन्ना एवं चीनी आयुक्त संजय भुसारेड्डी के अनुसार, राज्य में चीनी मिलों के गेट और गन्ना खरीद केंद्रों के निरीक्षण के दौरान 213 अनियमितताएं पाई गईं। इनमें 17 गंभीर मामले शामिल हैं। इसके बाद चीनी मिल मालिकों और तुलाई लिपिकों को अनियमितता के 128 मामलों में नोटिस जारी किए गए जबकि 14 तुलाई लिपिकों के लाइसेंस निलंबित कर दिए गए। साथ ही कम वजन व अवैध रूप से गन्ने की खरीद के गंभीर मामले में चार पुलिस प्रकरण दर्ज किये गये हैं।
इस दौरान चीनी मिलों को गन्ने की सुचारू आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ ही किसानों के हितों की रक्षा के लिए गन्ना कम वजन के मामलों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। यह कार्रवाई तौल उपकरण निर्माता, सॉफ्टवेयर प्रोवाइडर और एएमसी प्रोवाइडर के बीच मिलीभगत के कारण गन्ना तौल में कम वजन की धोखाधड़ी के तरीकों को अपनाने के संबंध में शिकायतों के बाद की गई है।
लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट, 2009 और प्रासंगिक नियम 2011 के तहत यह सॉफ्टवेयर प्रोवाइडर की जिम्मेदारी है कि जब इसे तौल के लिए उपयोग किया जाता है तो उपकरण और सॉफ्टवेयर को दोषों से मुक्त रखें।
उत्तर प्रदेश की गन्ना मिलों ने 5 दिसंबर तक 20 लाख टन से अधिक चीनी का उत्पादन किया था।