उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रीपरिषद की गई बैठक में निर्णय लिया गया कि कमजोर मानसून के कारण जिन जिलों औऱ क्षेत्रो में खरीफ की बुवाई नहीं हो पाई है। ऐसे क्षेत्रों में खाली पड़े खेतों में बुवाई के लिए तोरिया की निःशुल्क बीज मिनीकिट का वितरण किया जायेगा। जिससे कि खरीफ में सूखे कारण हुए किसानों के नुकसान को कम किया जा सके। इस निःशुल्क बीज मिनीकिट के वितरण में लघु,सीमान्त किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी।
उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि मंत्री सुर्यप्रताप शाही ने बताया कि खरीफ मौसम में कमजोर मौसम के कारण राज्य में लगभग दो लाख हेक्टेयर एरिया में फसलों की बुवाई नहीं हो पूरी हुई है। उन एरिया में रबी फसलों के पहले किसानों के खाली खेतों में कमजोर मानसून से हुए नुकसान की भरपाई हो सके। क्योंकि तोरिया कम दिन की फसल है गेहूं की बुवाई पहले तोरिया की फसल तैयार हो जाती है। इसके बाद किसान आसानी से गेहूं की बुवाई कर सकता है।
इस योजना के तहत 100 फीसदी राज्य सहायता के आधार पर दो किलो प्रति पैकेट तोरिया बीज मिनीकिट किसानों को निःशुल्क वितरण किया जायेगा। निःशुल्क बीज मिनी किट वितरण के लिए प्रमाणित बीजों पर अनुदान के मद में 4.57 करोड़ रुपये की धनराशि की व्यवस्था के प्रस्ताव को अनुमोदित किया गया ।
तोरिया के निःशुल्क बीज मिनीकिट का वितरण पारदर्शिता मे पार्दिशता बनी रहे। इसके लिए सरकार ने ग्राम पंचायतों एवं अन्य जनप्रतिनिधियों के सहयोग एवं उनकी उपस्थिति में तोरिया का मिनी किट का वितरण किया जायेगा। तोरिया के निःशुल्क बीज मिनीकिट का वितरण में 25 फीसदी अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित-जनजाति के किसानो प्राथमिकता दी जाएगी और बचे शेष अन्य किसानो को दिया जाएगा। इस वितरण में यह प्रयास किया जाएगा चयनित किसानों में 30 फीसदी महिला किसानों की भागीदारी सुनिश्चित हो। सरकार को अनुमान है इस योजना के क्रियान्वयन से राज्य को लगभग चार लाख क्विंटल अतिरिक्त तोरिया का उत्पादन प्राप्त होगा जिससे लाभार्थी किसानों को औसतन 8000 रुपये प्रति हेक्टेयर का लाभ मिलेगा ।
भारतीय कृषि अंनुसंधान संस्थान पूसा के सस्य विज्ञान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ राजीव कुमार सिंह ने रूरल वॉयस को बताया कि तोरिया एक खरीफ और रबी के बीच बोई जाने वाली तिलहन फसल है। इसकी खेती कर अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है। यह फसल 85 से 90 दिनों में पक जाती है। अगर किसान उन्नत किस्मों की बुवाई करे 12 से 15 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की उपज प्राप्त हो जाती है। अगर खेत में गेहूं की फसल बोनी है तो किसानों को तोरिया की सितंबर के पहले पखवाड़े में बुवाई कर देनी चाहिए।