उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 5275 करोड़ रुपये का गन्ना भुगतान बकाया है। चालू पेराई सीजन (अक्तूबर,2020 से सितंबर, 2021) के दौरान 33,025 करोड़ रुपये मूल्य के 10.28 करोड़ टन गन्ने की पेराई की गई। इसके लिए किसानों को 27,750 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया जबकि 5275 करोड़ रुपये का बकाया है। राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 11 सितंबर को गन्ना भुगतान के संबंध में एक समीक्षा बैठक की। उसके बाद भुगतान की ताजा स्थिति की जानकारी दी गई।
राज्य की 53 चीनी मिलों ने गन्ने का पूरा भुगतान कर दिया है लेकिन कई चीनी मिलें ऐसी भी हैं जिनका अभी तक का जनवरी, 2021 के दौरान की गई गन्ने की आपूर्ति का भी पूरा भुगतान नहीं मिला है। यह स्थिति शामली स्थित अपर दोआब सरशादीलाल चीनी मिल की है। इस मिल को गन्ने की आपूर्ति करने वाले एक किसान ने रूरल वॉयस को बताया कि अभी तक जनवरी का भी पूरा भुगतान नहीं मिला है जबकि इस चीनी मिल ने मई तक गन्ने की पेराई की थी। वैसे इस जिले की तीन चीनी मिलें गन्ना भुगतान के मामले में बुरी स्थिति में हैं।
वहीं उत्तर प्रदेश सरकार पर जहां गन्ना भुगतान पूरा कराने का दबाव है क्योंकि नये पेराई सीजन (2021-22) के शुरू होने में 18 दिन ही बचे हैं। वहीं राज्य सरकार ने राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) में पिछले तीन सीजन में कोई बढ़ोतरी नहीं की है और चार सीजन में केवल 10 रुपये प्रति क्विटंल की बढ़ोतरी की थी जो 2017-18 पेराई सीजन में की गई थी। वहीं पंजाब में किसानों द्वारा गन्ना मूल्य बढ़ोतरी के लिए आंदोलन खड़ा करने के चलते पिछले दिनों वहां की सरकार ने आगामी पेराई सीजन के लिए गन्ने का एसएपी बढ़ाकर 360 रुपये प्रति क्विटंल कर दिया है। जबकि हरियाणा सरकार ने एसएपी में 12 रुपये की बढ़ोतरी कर इसे अगले सीजन के लिए 362 रुपये प्रति क्विटंल कर दिया है। इस स्थिति में उत्तर प्रदेश सरकार पर गन्ने के एसएपी में भारी बढ़ोतरी का दबाव बन रहा है क्योंकि राज्य में अगले साल फरवरी-मार्च में विधान सभा चुनाव होने हैं। लेकिन जिस तरह से पंजाब और हरियाणा ने गन्ने का एसएपी 360 रुपये और 362 रुपये प्रति क्विटंल कर दिया है इसके चलते अब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर एसएपी में भारी बढ़ोतरी करने का दबाव बन रहा है।
समीक्षा बैठक के बाद राज्य सरकार द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार द्वारा अब तक 45 लाख गन्ना किसानों को 1 लाख 42 हजार 650 करोड़ रुपये का भुगतान 45 लाख गन्ना किसानों को कराया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया की बकाये गन्ना मूल्य का भुगतान अविलम्ब कराए जाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि डिफॉल्टर चीनी मिलों से गन्ना किसानों के बकाया मूल्य का तत्काल भुगतान कराया जाए। गन्ना किसानों के हितों की अनदेखी करने वाली चीनी मिलों के प्रबन्धन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। राज्य सरकार गन्ना किसानों के हित में हर सम्भव कदम उठा रही है।
इस समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि पेराई सत्र 2020-2021 में राज्य में कुल 120 चीनी मिलों का संचालन किया गया, जिसमें 10.28 करोड़ टन की खरीद के मुकाबले 33,025 करोड़ रुपये का गन्ना देय है। इस लक्ष्य के मुकाबले चीनी मिलों द्वारा 27,750 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया जा चुका है।
बैठक के दौरान अधिकारियो नें मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि 53 चीनी मिलों द्वारा पेराई सत्र 2020-2021 का शत-प्रतिशत गन्ना मूल्य भुगतान सुनिश्चित किया गया है। 67 चीनी मिलों का आंशिक गन्ना मूल्य भुगतान लंबित है। उन्होंने कहा कि गन्ना किसानों के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के कारण यह रिकॉर्ड भुगतान संभव हुआ है। इसके अलावा शीरा, एथेनॉल, खोई ने यह भुगतान करने में मदद की है। राज्य में गुड़ या गन्ने के रस से बने एथेनॉल के उत्पादन और बिक्री से बड़े पैमाने पर सैनिटाइज़र का निर्माण हुआ। इससे गन्ना मूल्य भुगतान में भी तेजी आई है।